मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपना टेस्ट डेब्यू 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ कराची में किया था. उस समय सचिन की उम्र 16 साल और 205 दिन थी. कराची टेस्ट के जरिए सचिन तेंदुलकर का ऐसा सफर हुआ, जिसने विश्व क्रिकेट में अपनी अमिट छाप छोड़ी. कराची के बाद जब भारतीय टीम फैसलाबाद पहुंची तो सचिन ने अपने करियर का पहला अर्धशतक जड़ दिया. फैसलाबाद में भारत की ओर से 20 साल के विवेक राजदान ने भी अपना टेस्ट डेब्यू किया था, जो आज (25 अगस्त) अपना 55वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं. राजदान कमेंट्री की दुनिया का जाना-पहचाना नाम हैं.
दाएं हाथ के फास्ट बॉलर विवेक राजदान अपने डेब्यू टेस्ट मैच में कोई विकेट नहीं ले सके थे. एक तरह से उन्होंने फैसलाबाद में लगभग गुमनामी में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. हालांकि राजदान ने सियालकोट में पाकिस्तान के खिलाफ अगले टेस्ट मैच में कहर बरपाया, जहां उन्होंने पहली पारी में 79 रन देकर पांच विकेट लिए. दुख की बात यह रही कि राजदान को टेस्ट मैचों में सिर्फ इतने ही मौके मिले यानी वह सिर्फ इस फॉर्मेट में दो मैच ही खेल सके.
𝐓𝐨𝐨𝐭𝐚 𝐡𝐚𝐢 𝐆𝐚𝐛𝐛𝐚 𝐊𝐚 𝐆𝐡𝐚𝐦𝐚𝐧𝐝 🫡
— Delhi Capitals (@DelhiCapitals) January 19, 2023
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...सिर्फ 21 साल में खत्म हुआ इंटरनेशनल करियर
विवेक राजदान ने उस पाकिस्तान दौरे पर ही ही अपना ओडीआई डेब्यू भी किया था. 18 दिसंबर 1989 को गुजरांवाला में खेले गए मैच में राजदान के अलावा सचिन तेंदुलकर और सलिल अंकोला का भी वनडे डेब्यू हुआ. हालांकि वनडे में भी राजदान की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वो इस फॉर्मेट में भी भारत के लिए सिर्फ तीन मैच खेल पाए. राजदान ने अपना आखिरी ओडीआई मैच 1 दिसबंर 1990 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था.
उसके बाद ना तो वनडे और ना ही टेस्ट में उन्हें चांस मिला. यानी 21 साल की उम्र में ही विवेक राजदान का इंटरनेशनल करियर खत्म हो गया. राजदान ने चेन्नई स्थित एमआरएफ पेस फाउंडेशन में क्रिकेट का ककहरा सीखा था. राजदान को सिर्फ दो प्रथम श्रेणी मैचों के आधार पर पाकिस्तान दौरे के लिए चुना गया था. जहां उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर ज्यादा मौके नहीं मिले, वहीं घरेलू क्रिकेट में भी उन्होंने ज्यादा मैच नहीं खेले.
... जब दिल्ली के लिए किया ऑलराउंड प्रदर्शन
वैसे 1991-92 के रणजी सीजन में दिल्ली को ट्रॉफी जिताने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने उस सीजन में पहले सर्विसेज और फिर बंगाल के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में शतक जड़े थे. इसके अलावा राजदान ने अपनी पुरानी टीम तमिलनाडु के खिलाफ फाइनल में 93 रन की अहम पारी भी खेली थी. बल्ले के अलावा उन्होंने गेंद से भी कमाल किया था और 25.82 की औसत से 23 विकेट लिए. हालांकि घरेलू क्रिकेट में भी जल्द ही वे गुमनामी में चले गए और दो सीजन बाद उनका प्रथम श्रेणी करियर पूरी तरह से खत्म हो गया.
विवेर राजदान ने भारत के लिए 2 टेस्ट मैचों में 5 और तीन वनडे इंटरनेशनल में 1 विकेट लिए. फर्स्ट क्लास क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने 29 मैचों में 700 रन बनाए और 67 विकेट भी चटकाए. राजदान ने 18 लिस्ट-ए मुकाबले भी खेले, जिसमें उन्होंने 14 विकेट लेने के अलावा 103 रन बनाए. राजदान ने इसके बाद टेलीविजन कमेंट्री को अपना करियर बनाया.
'टूटा है गाबा घमंड...'
जनवरी 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गाबा टेस्ट मैच में उनकी कमेंट्री को कौन भूल सकता है. उस मैच में जोश हेलवुड की गेंद पर जब ऋषभ पंत ने चौके के साथ ही भारत को जीत दिलाई थी तो विवेक राजदान कहते हुए सुने गए, 'टूटा है का गाबा घमंड... बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जाएगी गावस्कर के देश...' बता दें कि 32 साल बाद उस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच में हार मिली थी. ऐसे में टीम इंडिया की वो जीत और राजदान की कमेंट्री इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई.