रवींद्र जडेजा ने लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट के पांचवें दिन इंग्लैंड के खिलाफ 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को मुकाबले में बनाए रखने के लिए जुझारू पारी खेली. जोफ्रा आर्चर, बेन स्टोक्स और ब्रायडन कार्स की तीखी तेज़ गेंदबाज़ी के आगे भारत की शीर्ष और मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी बिखर गई. एक समय टीम का स्कोर 82 पर 7 और फिर 112 पर 8 विकेट था. तब ऐसा लगने लगा था कि इंग्लैंड सुबह के सत्र में ही मैच समेट लेगा और लॉर्ड्स का लंच शांति से करेगा. लेकिन जडेजा ने मोर्चा संभाला और हार मानने से इनकार कर दिया.
जो हार एकतरफा लग रही थी, वह रवींद्र जडेजा और भारत के नंबर 10 और 11- जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज की जुझारू कोशिशों के चलते जीत की ओर बढ़ चली थी. आखिरी दो विकेट की साझेदारी ने 212 गेंदों की रही. हालांकि, भारत लक्ष्य से 22 रन दूर रह गया. जडेजा ने बुमराह और सिराज के साथ मिलकर 58 रन जोड़े और 181 गेंदों पर नाबाद 61 रन बनाकर लौटे.
जडेजा ने टेल के साथ सतर्कता से बल्लेबाज़ी की और इंग्लैंड को कोई मौका नहीं दिया. चेन्नई सुपर किंग्स के इस ऑलराउंडर ने क्रिस वोक्स की गेंद पर 48वें ओवर में एक छक्का लगाकर अपना इरादा दिखाया, लेकिन इसके बाद भारत ने 107 गेंदों तक कोई बाउंड्री नहीं लगाई. जडेजा ने क्रिस वोक्स, शोएब बशीर और जो रूट जैसे गेंदबाज़ों के सामने भी जोखिम नहीं उठाया, जिनकी गेंदों को विकेट से ज्यादा मदद नहीं मिल रही थी, जैसा कि स्टोक्स, आर्चर या कार्स को मिल रही थी.
क्या थोड़े और जोखिम लेने चाहिए थे?
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने सुझाव दिया कि जडेजा को खासकर वोक्स और स्पिनरों के खिलाफ थोड़े और जोखिम लेने चाहिए थे, जिससे भारत लक्ष्य के और करीब पहुंच सकता था. कुंबले ने कहा, 'जडेजा को रूट, बशीर और वोक्स के खिलाफ जोखिम लेना था. मैं जानता हूं कि रूट-बशीर ऑफ स्पिनर हैं जो गेंद को बाहर निकाल रहे थे, लेकिन गेंद बहुत ज्यादा नहीं टर्न हो रही थी. इसलिए स्पिन या बाहरी किनारे को लेकर ज्यादा चिंता की बात नहीं थी. जडेजा इससे कठिन पिचों और बेहतर गेंदबाज़ों के खिलाफ खेल चुके हैं. मुझे लगा उन्हें एक-दो मौके लेने चाहिए थे.'
कुंबले ने आगे कहा 'आपको ऐसे जोखिम लेने ही पड़ते हैं. हां, कुछ सिंगल-डबल उन्होंने सही से नहीं लिए क्योंकि बुमराह और सिराज क्रीज़ पर थे, लेकिन थोड़ा और चांस ले सकते थे.'
गावस्कर और गिल ने जडेजा की रणनीति का किया बचाव
सोशल मीडिया पर जडेजा की पारी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं, लेकिन बल्लेबाज़ी दिग्गज सुनील गावस्कर ने उनकी रणनीति का बचाव करते हुए कहा कि उस परिस्थिति में जडेजा ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते थे. गावस्कर ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह स्थिति से तय हो रहा था कि वह निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के साथ खेल रहे थे. वह अधिक से अधिक स्ट्राइक को अपने पास रखने की कोशिश कर रहे थे. उस समय आप ऐसी पिच पर हवा में शॉट खेलने से कतराते हैं. भारतीय टीम आमतौर पर खेल को गहराई तक ले जाना पसंद करती है. यही उनका मकसद था.'
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वहीं, कप्तान शुभमन गिल ने जडेजा और टेल की रणनीति का समर्थन करते हुए कहा कि भारत छोटे-छोटे साझेदारियों के ज़रिए धीरे-धीरे इंग्लैंड पर दबाव बनाना चाहता था. गिल ने कहा कि भारत की योजना दूसरी नई गेंद का इंतज़ार करने की थी जो सिर्फ 5.1 ओवर दूर थी.
हालांकि, टीम इंडिया 22 रन से ये मैच हार गई. इंग्लैंड ने सीरीज़ में 2–1 की बढ़त ले ली है और भारत अब 23 जुलाई से मैनचेस्टर में शुरू होने वाले चौथे टेस्ट में वापसी की उम्मीद करेगा.