दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर फ्लाइट संचालन में देरी हो रही है, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) डेटा को सपोर्ट करने वाले ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में तकनीकी समस्या आ गई है. कंट्रोलर्स फ्लाइट प्लान को मैन्युअली प्रोसेस कर रहे हैं, जिससे कुछ देरी हो रही है. तकनीकी टीम जल्द से जल्द सिस्टम को बहाल करने के लिए काम कर रही है. आइए समझते हैं कि ATC और AMSS क्या होते हैं. इनका क्या काम होता है.
ATC का पूरा नाम एयर ट्रैफिक कंट्रोल (Air Traffic Control) है. यह एक स्मार्ट सिस्टम है जो हवाई जहाजों की आवाजाही को नियंत्रित करता है, ताकि कोई दुर्घटना न हो और सब कुछ सुचारू रूप से चले.
ATC सिस्टम एयरपोर्ट पर एक केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली है. यह हवाई जहाजों को जमीन पर, हवा में और आसमान के अलग-अलग हिस्सों में निर्देशित करता है. यह एक ट्रैफिक पुलिस की तरह है, लेकिन हवाई जहाजों के लिए.
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मुख्य उद्देश्य
ATC न सिर्फ एयरपोर्ट पर, बल्कि पूरे देश या दुनिया के हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) में काम करता है. भारत में DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और AAI (एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) इसकी देखरेख करते हैं.

एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल में AMSS एक बहुत जरूरी कंप्यूटर सिस्टम है, जो हवाई जहाजों की उड़ानों से जुड़ी खबरें और मैसेज तेजी से भेजने-लाने का काम करता है. सरल शब्दों में, यह एक स्मार्ट डाकिया की तरह है जो एयरपोर्ट्स, मौसम की जानकारी, फ्लाइट प्लान और सुरक्षा अलर्ट जैसे मैसेज को एक जगह से दूसरी जगह स्विच या ट्रांसफर करता है.
भारत में एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) इसे चलाती है. अगर यह सिस्टम खराब हो जाए, तो कंट्रोलरों को हाथ से काम करना पड़ता है, जिससे फ्लाइट्स में देरी हो जाती है. यह सिस्टम मौसम डेटा इकट्ठा करने और बांटने का मुख्य आधार भी है, ताकि पायलट्स को सही समय पर सारी जानकारी मिले.
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AMSS की स्पेसिफिकेशन बहुत आसान और आधुनिक है. यह IP-बेस्ड (इंटरनेट प्रोटोकॉल) कंप्यूटर सिस्टम है, जो AFTN (एयरोनॉटिकल फिक्स्ड टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क) से जुड़ा होता है. इसका रेंज पूरे देश या दुनिया के एयरपोर्ट्स तक फैला है. यह मैसेज को प्राथमिकता के आधार पर भेजता है – जैसे जरूरी अलर्ट पहले.
यह ऑटोमेटेड वर्कफ्लो यूज करता है, जो मैसेज को सुरक्षित और तेज रूट करता है. भारत के बड़े एयरपोर्ट्स जैसे मुंबई और दिल्ली में नया IP-AMSS लगा है, जो 99% समय बिना रुके चलता है. कुल मिलाकर, यह ग्राउंड-टू-ग्राउंड कम्युनिकेशन के लिए स्टैंडर्ड ICAO नियमों पर बना है. इसमें ह्यूमन या ऑटोमेटेड यूजर्स मैसेज सबमिट-डिलीवर कर सकते हैं.

ATC सिस्टम बहुत एडवांस तकनीक पर आधारित है. इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इंसानों का मिश्रण होता है. आइए देखें इसके मुख्य भाग...
1. रडार सिस्टम (Radar Systems)
प्राइमरी सर्विलांस रडार (PSR): यह रडार हवाई जहाजों को उनकी स्थिति (पोजीशन) के आधार पर ट्रैक करता है. यह रेडियो तरंगें भेजकर जहाजों को डिटेक्ट करता है, भले ही उनके पास कोई सिग्नल न हो.
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2. कम्युनिकेशन सिस्टम (Communication Tools)
3. नेविगेशन एड्स (Navigation Aids)
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4. ऑटोमेशन और सॉफ्टवेयर
5. मानव संसाधन (Human Elements)
ये स्पेसिफिकेशन ICAO (इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन) के स्टैंडर्ड पर आधारित हैं. भारत में AAI के एयरपोर्ट्स पर ये सिस्टम 99.9% अपटाइम के साथ चलते हैं.

ATC सिस्टम तीन मुख्य स्तरों पर काम करता है. हर स्तर का अपना काम है, जैसे एक टीम में हर खिलाड़ी का रोल.
1. ग्राउंड कंट्रोल (Ground Control)
2. टावर कंट्रोल (Tower Control)
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3. अप्रोच/डिपार्चर कंट्रोल (Approach/Departure Control)
पूरी कार्यप्रणाली