क्या आपको लगता है कि पहाड़ों की हवा और बादल हमेशा साफ और शुद्ध होते हैं? अगर हां, तो एक नई स्टडी आपको चौंका सकती है. हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि बादल धूल और प्रदूषण से भरी भारी धातुओं को भारत के पहाड़ी इलाकों, जैसे पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट तक ले जा रहे हैं. ये धातुएं सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं. आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि यह सब क्या है? कैसे हो रहा है? इससे क्या खतरा है?
क्या हैं ये भारी धातुएं?
ये स्टडी एनवायरनमेंटल एडवांसेज जर्नल में छपी है. ये रिपोर्ट बताती है कि बादल कैडमियम (Cd), निकल (Ni), कॉपर (Cu), क्रोमियम (Cr) और जिंक (Zn) जैसी भारी धातुओं को लेकर आते हैं. ये धातुएं न सिर्फ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकती हैं, बल्कि हड्डियों की कमजोरी, किडनी की परेशानी और बच्चों में मानसिक विकास की समस्याएं भी पैदा कर सकती हैं. कोलकाता के बोस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानियों ने यह रिसर्च की है.
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कैसे हुई यह स्टडी?
वैज्ञानिकों ने 2022 में गर्मियों के आखिरी दिनों से मॉनसून शुरू होने तक सैंपल लिए. ये सैंपल पश्चिमी घाट में महाबलेश्वर (IITM कैंपस) और पूर्वी हिमालय में दार्जिलिंग (बोस इंस्टीट्यूट) से लिए गए. खास बात यह है कि मॉनसून के बादल बंगाल की खाड़ी के रास्ते पश्चिमी घाट से होते हुए हिमालय तक पहुंचते हैं. उन्होंने उन बादलों का अध्ययन किया जो बारिश नहीं करते (नॉन-प्रेसिपिटेटिंग क्लाउड). पाया कि इनमें धातुओं की मात्रा ज्यादा है.
ये धातुएं सेहत को कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?
ये धातुएं हवा में तैरती हैं और सांस लेने, पानी पीने या त्वचा के संपर्क से शरीर में पहुंचती हैं. इससे कई बीमारियां हो सकती हैं...
वैज्ञानिकों ने बताया कि सूरज की रोशनी में ये धातुएं रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) बनाती हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकती हैं.

कहां से आ रही हैं ये धातुएं?
ये धातुएं मैदानी इलाकों से बादलों के जरिए पहाड़ों तक पहुंच रही हैं. इसके पीछे इंसानी गतिविधियां जिम्मेदार हैं...
स्टडी कहती है कि प्रदूषित शहरों के बादल ग्रामीण इलाकों के बादलों से ज्यादा धातुओं से भरे होते हैं. जो बादल बारिश नहीं करते, उनमें धातुओं की मात्रा और ज्यादा होती है.

पहाड़ों की हवा साफ नहीं?
हम सोचते हैं कि पहाड़ों की हवा और बादल साफ होते हैं, लेकिन यह सच नहीं है. महाबलेश्वर में मॉनसून के दौरान गाड़ियों और पर्यटकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता है. दार्जिलिंग में गाड़ियों के धुएं, बायोमास जलाने और कोयला-डीजल से चलने वाली टॉय ट्रेन से हवा खराब हो रही है. पर्यटक तो पहाड़ों की खूबसूरती और साफ हवा के लिए जाते हैं, लेकिन अब लगता है कि यह धोखा हो सकता है.
क्या खतरा है और क्या करें?
ये धातुएं सिर्फ इंसानों को नहीं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रही हैं. सांस लेने, पानी पीने या त्वचा के संपर्क से ये सेहत को प्रभावित करती हैं. खासकर बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा खतरे में हैं.