पाकिस्तान के लाहौर को कभी 'बागों का शहर' कहा जाता था, लेकिन अब हर सर्दी में यह शहर घने स्मोग की चादर में लिपट जाता है. नवंबर आते ही आसमान धुएं और धूल से भर जाता है. स्कूल बंद हो जाते हैं. दुकानें बंद हो जाती हैं. हाईवे तक बंद करने पड़ते हैं. हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. इस बार पंजाब सरकार ने स्मोग से लड़ने के लिए हाई-टेक तरीका अपनाया है – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI.
100 से ज्यादा स्मार्ट मॉनिटरिंग स्टेशन
पूरे पंजाब में 100 खास मशीनें लगाई गई हैं जो हर पल हवा की गुणवत्ता चेक करती हैं. AI की मदद से यह बता देती हैं कि कब और कहां स्मोग बहुत बढ़ने वाला है.
यह भी पढ़ें: शैतान की मां TATP... कितना खतरनाक है वो विस्फोटक, जिसका इस्तेमाल दिल्ली ब्लास्ट में आतंकियों ने किया

24 घंटे का स्मोग वॉर रूम
एक कंट्रोल रूम बना है जहां सैटेलाइट की तस्वीरें, जमीन के सेंसर और दुनिया भर के डेटा को AI मिलाकर देखता है और तुरंत फैसला लेता है.
8500 कैमरे, ड्रोन और थर्मल सेंसर
फैक्ट्रियों और ईंट के भट्टों से निकलने वाला धुआं पकड़ने के लिए हजारों कैमरे और ड्रोन लगे हैं. हर फैक्ट्री को QR कोड और लोकेशन दी गई है. जैसे ही धुआं ज्यादा निकला, AI अलर्ट भेज देता है.
यह भी पढ़ें: किसी ने कोयला बैन किया, कोई पैदल चला... दिल्ली की तरह ये 5 शहर भी पॉल्यूशन से थे परेशान, फिर...
ऑटोमैटिक एंटी-स्मोग गन
लाहौर में जब हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, तो कई जगहों पर बड़ी-बड़ी पानी की तोपें (स्मोग गन) लगी हैं जो खुद-ब-खुद चालू हो जाती हैं. एक इलाके में टेस्ट में कुछ ही घंटों में 70% सुधार देखा गया.
लोग भी कर रहे हैं शिकायत
Air Quality Index Punjab ऐप और हेल्पलाइन 1373 पर लोग फोटो भेजकर प्रदूषण की शिकायत करते हैं. 96% शिकायतों का समाधान हो रहा है.

नासा और पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी की सैटेलाइट से पता चलता है कि कहां पराली जलाई जा रही है. फिर उस किसान का नाम लोन की लिस्ट से मिलाकर कार्रवाई होती है. पिछले साल पराली जलाने में 65% तक कमी आई.
सरकार कहती है कि अब 95% फैक्ट्रियां प्रदूषण नियंत्रण सिस्टम लगा चुकी हैं. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं...
AI बहुत अच्छा काम कर रहा है पर यह अकेला सारी समस्या हल नहीं कर सकता.
यह भी पढ़ें: इंसान की उम्र 150 साल हो जाएगी!... चीन के वैज्ञानिक बना रहे एंटी-एजिंग दवा
असली समस्या है – गंदा पेट्रोल-डीजल, पुरानी गाड़ियां, ईंट के भट्टों में टायर-कोयला जलाना और पुरानी फैक्ट्रियां. जब तक अच्छा ईंधन, नई रिफाइनरी और इलेक्ट्रिक गाड़ियां नहीं आएंगी, स्मोग पूरी तरह खत्म नहीं होगी.
स्मोग गन और आर्टिफिशियल बारिश कुछ घंटों की राहत देते हैं. प्रदूषण फिर वापस आ जाता है.
फिर भी इस साल पंजाब सरकार ने जितने हाई-टेक कदम उठाए हैं, उतने पहले कभी नहीं उठाए गए. विशेषज्ञों का मानना है कि यह शुरुआत बहुत अच्छी है, लेकिन लंबे समय तक साफ हवा के लिए बड़े और गहरे बदलाव जरूरी हैं.
अभी के लिए लाहौर के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार AI की मदद से स्मोग थोड़ा कम सताए और बच्चे स्कूल जा सकें, लोग साफ हवा में सांस ले सकें.