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दिल्ली जैसा पॉल्यूटेड है पाकिस्तान का ये शहर, कंट्रोल के लिए अब AI का लेने जा रहा सहारा, जानिए कैसे आएगा काम 

लाहौर में दिल्ली जैसे जहरीले स्मोग से लड़ने के लिए पंजाब सरकार ने AI का सहारा लिया है. 100 स्मार्ट मॉनिटरिंग स्टेशन, 8500 कैमरे-ड्रोन, स्मोग वॉर रूम और ऑटो एंटी-स्मोग गन लगाए गए हैं. पराली जलाने में 65% और फैक्ट्रियों के प्रदूषण में बड़ी कमी आई है. नवंबर 2025 में हवा पहले से बेहतर है,

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लाहौर के एक रेलवे स्टेशन पर स्मोग के बीच ट्रेन को सिग्नल देता रेलवे कर्मचारी. (Photo: AFP)
लाहौर के एक रेलवे स्टेशन पर स्मोग के बीच ट्रेन को सिग्नल देता रेलवे कर्मचारी. (Photo: AFP)

पाकिस्तान के लाहौर को कभी 'बागों का शहर' कहा जाता था, लेकिन अब हर सर्दी में यह शहर घने स्मोग की चादर में लिपट जाता है. नवंबर आते ही आसमान धुएं और धूल से भर जाता है. स्कूल बंद हो जाते हैं. दुकानें बंद हो जाती हैं. हाईवे तक बंद करने पड़ते हैं. हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. इस बार पंजाब सरकार ने स्मोग से लड़ने के लिए हाई-टेक तरीका अपनाया है – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI.

AI कैसे कर रहा है मदद?

100 से ज्यादा स्मार्ट मॉनिटरिंग स्टेशन

पूरे पंजाब में 100 खास मशीनें लगाई गई हैं जो हर पल हवा की गुणवत्ता चेक करती हैं. AI की मदद से यह बता देती हैं कि कब और कहां स्मोग बहुत बढ़ने वाला है. 

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Lahore Pollution AI

24 घंटे का स्मोग वॉर रूम

एक कंट्रोल रूम बना है जहां सैटेलाइट की तस्वीरें, जमीन के सेंसर और दुनिया भर के डेटा को AI मिलाकर देखता है और तुरंत फैसला लेता है.

8500 कैमरे, ड्रोन और थर्मल सेंसर

फैक्ट्रियों और ईंट के भट्टों से निकलने वाला धुआं पकड़ने के लिए हजारों कैमरे और ड्रोन लगे हैं. हर फैक्ट्री को QR कोड और लोकेशन दी गई है. जैसे ही धुआं ज्यादा निकला, AI अलर्ट भेज देता है.

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ऑटोमैटिक एंटी-स्मोग गन

लाहौर में जब हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, तो कई जगहों पर बड़ी-बड़ी पानी की तोपें (स्मोग गन) लगी हैं जो खुद-ब-खुद चालू हो जाती हैं. एक इलाके में टेस्ट में कुछ ही घंटों में 70% सुधार देखा गया. 

लोग भी कर रहे हैं शिकायत

Air Quality Index Punjab ऐप और हेल्पलाइन 1373 पर लोग फोटो भेजकर प्रदूषण की शिकायत करते हैं. 96% शिकायतों का समाधान हो रहा है.

Lahore Pollution AI

पराली जलाने पर भी नजर

नासा और पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी की सैटेलाइट से पता चलता है कि कहां पराली जलाई जा रही है. फिर उस किसान का नाम लोन की लिस्ट से मिलाकर कार्रवाई होती है. पिछले साल पराली जलाने में 65% तक कमी आई.

क्या वाकई सब ठीक हो जाएगा?

सरकार कहती है कि अब 95% फैक्ट्रियां प्रदूषण नियंत्रण सिस्टम लगा चुकी हैं. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं...

AI बहुत अच्छा काम कर रहा है पर यह अकेला सारी समस्या हल नहीं कर सकता.

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असली समस्या है – गंदा पेट्रोल-डीजल, पुरानी गाड़ियां, ईंट के भट्टों में टायर-कोयला जलाना और पुरानी फैक्ट्रियां. जब तक अच्छा ईंधन, नई रिफाइनरी और इलेक्ट्रिक गाड़ियां नहीं आएंगी, स्मोग पूरी तरह खत्म नहीं होगी. 

स्मोग गन और आर्टिफिशियल बारिश कुछ घंटों की राहत देते हैं. प्रदूषण फिर वापस आ जाता है.

फिर भी इस साल पंजाब सरकार ने जितने हाई-टेक कदम उठाए हैं, उतने पहले कभी नहीं उठाए गए. विशेषज्ञों का मानना है कि यह शुरुआत बहुत अच्छी है, लेकिन लंबे समय तक साफ हवा के लिए बड़े और गहरे बदलाव जरूरी हैं.

अभी के लिए लाहौर के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार AI की मदद से स्मोग थोड़ा कम सताए और बच्चे स्कूल जा सकें, लोग साफ हवा में सांस ले सकें.

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