Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi: आज करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. करवा चौथ का व्रत पति पत्नी के बीच अटूट बंधन का प्रतीक है. ऐसा कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में कभी परेशानी नहीं आती है. इसलिए सुहागनें अखंड सुहाग की कामना के लिए कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती हैं.
इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही जल ग्रहण करती हैं. इससे पहले शाम के वक्त महिलाएं 16 श्रृंगार करके करवा माता की पूजा करती हैं और उनकी कथा सुनती हैं. आज हम आपको इसी पौराणिक कथा के बारे में बताने वाले हैं.
करवा चौथ की कथा
करवा चौथ की कथा एक पौराणिक और धार्मिक कथा है, जिसे करवा चौथ व्रत के दिन सुनना शुभ माना जाता है. कथा के अनुसार, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. साहूकार की बेटी का नाम वीरवती था. जब वीरवती का विवाह हुआ तो उसने अपने पहले करवा चौथ का व्रत रखा. पूरे दिन उसने भूखे-प्यासे रहकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किया.
शाम होते ही वीरवती को भूख और प्यास के कारण अत्यधिक कमजोरी महसूस होने लगी. उसके भाइयों से उसकी यह हालत देखी नहीं गई. तभी उन्हें एक तरकीब सूझी. भाइयों ने एक पेड़ के पीछे आग जलाकर छल से वीरवती को यह दिखाया कि चांद निकल आया है. वीरवती ने भाइयों की बात मान ली और चांद को देखकर व्रत तोड़ लिया.
व्रत तोड़ते ही वीरवती को खबर मिली कि उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया है. इस पर वीरवती को बहुत दुख हुआ और वह अपने पति के शव के पास बैठकर विलाप करने लगी. तभी देवी इंद्राणी वहां प्रकट हुईं और वीरवती को बताया कि उसने व्रत को अधूरा तोड़ा था, इसलिए उसका यह फल हुआ है. देवी इंद्राणी ने उसे करवा चौथ का व्रत विधिपूर्वक करने का परामर्श दिया. वीरवती ने पुनः पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा. अंतत: उसके पति को जीवनदान मिला और वो फिर से एक साथ रहने लगे.