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Bhai Dooj 2024: भाई दूज पर पढ़ें ये खास कथा, सभी इच्छाएं होंगी पूरी

Bhai Dooj 2024: दिवाली के पांच दिवसीय इस पर्व में पांचवें और आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. बहुत सी जगहों पर इसे यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं, उन्हें अपने हाथों का बना खाना खिलाती हैं, और उनके मंगलकारी जीवन और लंबी उम्र की कामना करती हैं.

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भाई दूज 2024
भाई दूज 2024

Bhai Dooj 2024: भाई दूज का पर्व भाईयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का त्योहार है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि आज भाई दूज है. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. तो चलिए जानते हैं भाई दूज की कथा. 

भाई दूज की कथा

भाई दूज के विषय में एक पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था. कथा के अनुसार यम देवता ने अपनी बहन को इसी दिन दर्शन दिए थे. यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए अत्यधिक व्याकुल थी. अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई. यमुना ने प्रसन्न होकर अपने भाई की बहुत आवभगत की.

यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेगें, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी. इसी कारण से इस इन यमुना नदी में भाई-बहन के साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है. इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए. तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है.

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श्री कृष्ण और सुभद्रा की अनोखी कहानी

भाई दूज के इस त्योहार से संबंधित एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण नरकासुर का वध करके भाई दूज के दिन ही वापस द्वारका लौटे थे. ऐसे में उनकी बहन सुभद्रा ने अपने भाई का स्वागत फल, फूल, मिठाई, और दीयों को जलाकर किया था। उसके अलावा सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण का तिलक करके उनके दीर्घायु की कामना भी की थी.

भाई की लंबी आयु के लिए बहनें करती हैं तिलक 

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उपहार देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है. इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ होता है. मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यमद्वितीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाईयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है. साथ ही कुछ स्थानों में भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की भी परंपरा है.

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