इस्लामिक कैलेंडर या हिजरी कैलेंडर के पहले महीने 'मुहर्रम' से नए साल की शुरुआत होती है. इस्लाम धर्म में रमजान महीने के बाद मुहर्रम को दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. हिजरी कैलेंडर में 354 या 355 दिन होते हैं. यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में इसमें लगभग 11 दिन कम होते हैं. सऊदी अरब की मून साइटिंग कमिटी ने बताया है कि इस बार इस्लामिक साल 10 अगस्त (मंगलवार) से शुरू हो रहा है. ये हिजरी वर्ष 1443 होगा.
622 ईस्वी में इस्लामिक नव वर्ष यानी हिजरी कैलेंडर की शुरुआत हुई. इसी वक्त, पैगंबर मोहम्मद और उनके साथियों को मक्का छोड़ मदीना जाने पर मजबूर कर दिया गया था. पैगंबर और उनके साथियों को मक्का में इस्लाम का संदेश का प्रचार-प्रसार करने से भी रोका गया. हजरत मोहम्मद जब मक्का से निकलकर मदीना में बस गए तो इसे हिजरत कहा गया. इसी से हिज्र बना और जिस दिन वो मक्का से मदीना आए, उसी दिन से हिजरी कैलेंडर शुरू हुआ. इस घटना को 1443 साल हो चुके हैं.
मुहर्रम के मातम का इतिहास:
इस्लाम धर्म के अनुसार, मुहर्रम के महीने को शोक या मातम का महीना कहा जाता है. इस महीने की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, जिसके चलते इस दिन को रोज-ए-आशुरा कहते हैं. इस दिन को मुहर्रम के महीने का सबसे अहम दिन माना जाता है. इस बार मुहर्रम 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन ताजिया निकाले जाते हैं और उन्हें कर्बला में दफन किया जाता है.
शिया लोग ऐसे मनाते हैं शोक:
सुन्नी लोग भी अपना गम जाहिर करने के लिए मातम मनाते हुए मजलिस पढ़ते हैं. मुहर्रम का चांद दिखने के बाद से ही सभी शिया मुस्लिम पूरे 2 महीने 8 दिनों तक शोक मनाते हैं. इस दौरान शिया समुदाय के लोग किसी भी खुशी के माहौल में हिस्सा नहीं लेते हैं.