तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि हनुमान चालीसा का गलत पाठ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ चौपाइयों में गलतियां हैं. इन अशुद्धियों को ठीक किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि पब्लिशिंग की इस वजह से लोग गलत शब्दों का उच्चारण कर रहे हैं. कथावाचक रामभद्राचार्य 3 अप्रैल से आगरा में हैं. इस दौरान उन्होंने चार अशुद्धियों के बारे में बताया.
इन चार गलतियों को दूर करने को कहा
- पद्मविभूषण रामभद्रचार्य ने कहा कि हनुमान चालीसा की एक चौपाई है-'शंकर सुमन केसरी नंदन...' उन्होंने बताया कि हनुमान को शंकर का पुत्र बोला जा रहा है, जो कि गलत है. शंकर स्वयं ही हनुमान हैं, इसलिए 'शंकर स्वयं केसरी नंदन' बोला जाना चाहिए.
- उन्होंने ने आगे कहा कि हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई बोली जा रही है- 'सब पर राम तपस्वी राजा', जो कि गलत है. उन्होंने बताया कि तपस्वी राजा नहीं है... सही शब्द 'सब पर राम राज फिर ताजा' है.
- उन्होंने बताया कि इसी तरह हनुमान चालीसा की 32वीं चौपाई में 'राम रसायन तुम्हारे पास आ सदा रहो रघुवर के दासा...' यह नहीं होना चाहिए. जबकि बोला जाना चाहिए- '... सादर रहो रघुपति के दासा'.
- उन्होंने बताया कि हनुमान चालीसा की 38वीं चौपाई में लिखा है- 'जो सत बार पाठ कर कोई...' जबकि होना चाहिए- 'यह सत बार पाठ कर जोही...'
कोठी मीना बाजार का नाम बदलने की मांग
रामभद्राचार्य का कथावाचन कोठी मीना बाजार में चल रहा है. उन्होंने कोठी मीना बाजार का नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसका नाम सीता बाजार रख दिया जाना चाहिए.
रामचरितमानस को घोषित किया जाए राष्ट्रीय ग्रंथ
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार एक बार फिर सत्ता में आएगी और सभी संत मिलकर रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराएंगे. सभी संत जन मिलकर सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह इस प्रस्ताव को संसद में पारित कराए.
श्रीराम जन्मभूमि मामले में गवाह थे कथावाचक
रामभद्राचार्य वही संत हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के हवाले से गवाही दी थी. श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उदाहरण दिए थे, जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई थी. कोर्ट के आदेश पर जैमिनीय संहिता मंगाई गई थी और उसमें जगदगुरु द्वारा बताए गए पन्नों को खोलकर देखा गया तो सभी जानकारी सही पाई गई थी.