Pradosh Vrat 2025: सनातन धर्म में एक महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं. ये व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखे जाते हैं. लोग इस व्रत को त्रयोदशी व्रत भी कहते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है. खास तौर पर लोग इस व्रत को संतान सुख और संतान की उन्नति के करते हैं. क्या खास है इस बार के प्रदोष व्रत में आइए जानते हैं.
प्रदोष व्रत की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी 25 अप्रैल 2025 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 26 अप्रैल 2025 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि में 25 अप्रैल 2025 को यानी आज प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
इस बार प्रदोष व्रत क्यों है खास
इस बार प्रदोष इसलिए इतना खास है क्योंकि इस बार यह शुक्रवार को मनाया जाएगा. शुक्रवार को होने के कारण इस प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि इस प्रदोष व्रत को करने के सुख-समृद्धि व संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है. भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्त की सभी मनोकामना भी पूरी होती हैं.
शुक्र प्रदोष व्रत पूजन शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में के अनुसार प्रदोष काल में प्रदोष व्रत में शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस दिन प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर रात के 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगी. पूजा करने के लिए 02 घंटे 10 मिनट का समय है. इस दौरान पूजा करना सबसे उत्तम होगा.
शुक्र प्रदोष व्रत पारण समय
सनातन धर्म में हर व्रत के पारण का समय होता है. व्रत खोलने को पारण कहा जाता है और धार्मिक मान्यता है पारण का भी एक निर्धारित समय होता उस समय पारण करना अच्छा माना जाता है. इस शुक्र प्रदोष व्रत का पारण समय 26 अप्रैल 2025 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट के बाद कर सकते हैं.