प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को हिंदू धर्म में मंगलकारी और शिव पार्वती की कृपा प्राप्त करने वाला व्रत माना गया है. हर महीने की त्रयोदशी को शाम के समय को प्रदोष काल कहा गया है. अपना और अपने परिवार के कल्याण के लिए लोग यह व्रत रखते हैं. ऐसा माना जात है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है.
पुराणों के अनुसार प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का पाठ करते हैं. सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत के दौरान पूरे दिन लोग निराहार रहकर व्रत करते हैं, लेकिन सामर्थ्य अनुसार या तो कुछ न खाये या फल ले सकते हैं. इस व्रत में अन्न पूरे दिन नहीं खाना होता है.शिव पार्वती का ध्यान करके पूजा करने से काफी लाभ होता है. प्रदोषकाल में घी के दीपक जलाने चाहिए. प्रदोष व्रत में कम से कम एक दीपक या 32, 100 या 1000 दीपक जलाने का प्रवधान है (Pradosh Vrat).
प्रदोष व्रत के विषय में गया है कि अगर रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे, सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा पूरी होती है, मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है, बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है, बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है, शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है और शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है (Weekly Pradosh Vrat).
Bhaum Pradosh Vrat 2025: आज भौम प्रदोष का व्रत और पूजन भक्तों के जीवन में सौभाग्य, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जा रहा है. संध्या काल में किए गए शिव और हनुमान उपासना से कर्ज, शत्रु, भय और दुखों का अंत होता है और हर कार्य में सफलता के योग प्रबल हो जाते हैं.
Som Pradosh Vrat Shubh Muhurt: हर महीने त्रयोदशी तिथि पर आने वाला प्रदोष व्रत शिव पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. 17 नवंबर 2025 को वर्ष का अंतिम सोम प्रदोष है, जिसमें शुभ मुहूर्त में पूजा करने से बड़ा लाभ मिल सकता है.
November Pradosh Vrat 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो बार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में. जब यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तो उसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है.
Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी को भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है. जब यह व्रत सोमवार को पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है, जिसका महत्व और भी ज्यादा है. अब 3 नवंबर को कार्तिक माह का सोम प्रदोष व्रत रहने वाला है.
Pradosh Vrat 2025: प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने, स्वास्थ्य, धन, सौभाग्य और मानसिक शांति पाने के लिए किया जाता है.
धनतेरस के दिन से दीपावली का पर्व शुरू होता है, जो समृद्धि और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक है. इस दिन मां लक्ष्मी से जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी की जाती है, लेकिन शनिवार को झाड़ू और सरसों के तेल की खरीदारी से बचना चाहिए.
Shani Pradosh Vrat: अक्टूबर में दो प्रदोष व्रत लगने जा रहे हैं. खास बात यह है कि दोनों ही प्रदोष व्रत शनिवार के दिन लग रहे हैं. आइए जानते हैं कि अक्टूबर के पहले प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
Shani Pradosh Vrat 2025: 4 अक्टूबर यानी कल आश्विन मास का आखिरी प्रदोष व्रत है. ज्योतिषविदों का कहना है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन शिव और शनि की पूजा करें. इस दिन घर में 5 काम बिल्कुल नहीं करने चाहिए.
Shukra Pradosh Vrat 2025 Date: 19 सितंबर को शुक्र प्रदोष व्रत है. यह दिन बेहद खास है, क्योंकि त्रयोदशी के साथ-साथ इस दिन रात में भद्रा काल भी रहने वाला है. आइए जानते हैं कि शुक्र प्रदोष व्रत में शिव पूजा का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय क्या रहेगा.
Shukra Pradosh Vrat 2025: द्रिक पंचांग के अनुसार, 19 सितंबर दिन शुक्रवार को आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा. चूंकि यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा.
Shukra Pradosh Vrat 2025: जब प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है, तब उसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन पूजा प्रदोष काल में की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में पूजा करने से जातक के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं.
Shukra Pradosh Vrat: शास्त्रों के अनुसार, जब प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है, तब यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाया जाता है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. प्रदोष व्रत में पूजा शाम के समय यानी प्रदोष काल में की जाती है.
भाद्रपद मास का बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त यानी आज है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के साथ, उनके लिए व्रत रखा जाता है.
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और भोले बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यदि प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़े तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है.
बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त यानी कल रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. बुध प्रदोष व्रत पर कुछ गलतियां करने से आपको सावधान रहना होगा.
भाद्रपद महीने का पहला बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 21 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 44 बजे होगा. ऐसे में 20 अगस्त को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 20 अगस्त के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.
August 2025 biggest festival: इस सप्ताह बलराम जयंती से लेकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं. आइए आपको अगले कुछ दिनों में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहारों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
Sawan Budh Pradosh Vrat 2025 सावन के समापन से पूर्व शिव भक्तों के लिए यह महत्वपूर्ण व्रत है. बुध प्रदोष व्रत के दिन पूजा के लिए केवल 2 घंटे ही शुभ मुहूर्त है. आइए जानते हैं कि सावन का अंतिम प्रदोष व्रत कब है? शिव पूजा का मुहूर्त क्या है?
Sawan 2025 Pradosh vrat date: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. 6 अगस्त को बुध प्रदोष की पूजा शाम शाम 07.08 बजे से लेकर रात 09.16 बजे तक की जाएगी.
Sawan Bhaum Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत को सबसे अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
Bhaum Pradosh Vrat 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 07 जुलाई 2025 को रात में 11 बजकर 10 मिनट पर होगी. इसका समापन 9 जुलाई को रात में 12 बजकर 38 मिनट पर होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार को दोषों से छुटकारा मिलता है.