देशभर में जहां अरावली बचाओ अभियान चल रहा है, वहीं राजस्थान के हरियाणा सीमावर्ती अलवर जिले में अंधेरा होते ही अवैध खनन का खेल शुरू हो जाता है. रामगढ़, नौगांवा और आसपास के इलाकों में रात भर ब्लास्टिंग कर खुलेआम अवैध खनन किया जाता है. बिना नंबर प्लेट वाले डंपर पत्थर, गिट्टी, डस्ट और बिल्डिंग मटेरियल लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और एनसीआर की ओर रवाना हो जाते हैं.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, रोज रात करीब 700 से ज्यादा डंपर नौगांवा क्षेत्र से निकलते हैं. हैरानी की बात यह है कि एनसीआर में ग्रेप-4 लागू होने के बावजूद, जहां सभी खनन गतिविधियों पर पूरी तरह रोक है, वहां राजस्थान से बिना किसी रोक-टोक और बिना टैक्स के माल सप्लाई हो रहा है. न तो रास्ते में जांच होती है और न ही डंपरों के पास कोई वैध दस्तावेज होते हैं.
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पुलिस संरक्षण में चलता है अवैध खनन
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा खेल पुलिस और अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है. लाइन से डंपर पुलिस संरक्षण में राजस्थान से हरियाणा सीमा में प्रवेश करते हैं. अलवर जिला पहले से ही अवैध खनन को लेकर बदनाम रहा है. अरावली क्षेत्र में सबसे ज्यादा अवैध खनन अलवर और उसके आसपास के इलाकों में ही होता है.
भिवाड़ी-तिजारा क्षेत्र में अब तक 12 से ज्यादा पहाड़ गायब हो चुके हैं. हरियाणा के अवैध खनन माफिया पर करोड़ों की रिकवरी सालों पहले निकाली गई थी, लेकिन आज तक उसकी वसूली नहीं हो सकी. इसके बाद भी पूरे जिले में अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है.
'आजतक' की टीम ने मौके पर देखी हकीकत
इस पूरे मामले की जांच के लिए 'आजतक' की टीम जब मौके पर पहुंची, तो नौगांवा थाना के सामने शाम होते ही डंपरों की लंबी कतार लग गई. टीम ने जब एक डंपर को रोकने की कोशिश की, तो चालक तेज रफ्तार में डंपर लेकर फरार हो गया.
जब इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से सवाल किए गए, तो उनका जवाब था कि 'पीछे से माल आता है', जबकि हकीकत यह है कि ग्रेप की पाबंदियों के चलते खान विभाग ने सभी माइंस और रावण पूरी तरह बंद कर रखे हैं. ऐसे में साफ है कि यह पूरा कारोबार बिना रॉयल्टी और बिना टैक्स के चल रहा है.
ग्रेप-4 के बावजूद रातभर खनन
अलवर समेत पूरे एनसीआर में ग्रेप-4 लागू है. इस दौरान खनन और क्रेशर पूरी तरह बंद होने चाहिए, लेकिन रात के अंधेरे में सभी नियमों को ताक पर रखकर अवैध खनन किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात होते ही पूरे इलाके में क्रेशर चलने लगते हैं और डंपर सड़कों पर दौड़ने लगते हैं.
राजगढ़, रामगढ़, अलवर ग्रामीण, नौगांवा, तिजारा, लक्ष्मणगढ़, बानसूर, बहरोड़, नीमराना और टहला सहित करीब 53 जगह ऐसी हैं, जहां लगातार अवैध खनन होता है. कई गांवों के गांव इस धंधे से जुड़े हुए हैं.
बिना नंबर और ओवरलोड डंपर
स्थानीय लोगों ने बताया कि ज्यादातर डंपरों पर नंबर प्लेट नहीं होती. अगर होती भी है, तो उस पर मिट्टी या गंदगी लगा दी जाती है ताकि पहचान न हो सके. ओवरलोड डंपर बिना रावण के दौड़ते हैं. अगर कोई इन्हें रोकने की कोशिश करता है, तो चालक गाड़ी चढ़ाने तक से नहीं डरते.
कई बार सीएलजी मीटिंग में भी यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. नतीजा यह है कि अरावली को लगातार बर्बाद किया जा रहा है और एक ही रात में करोड़ों रुपये के टैक्स की चोरी हो रही है.
अरावली के पत्थरों से बन रहीं बड़ी इमारतें
दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और उत्तर प्रदेश-हरियाणा के कई शहरों में अरावली से निकले पत्थर, गिट्टी और डस्ट से बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी की जा रही हैं. अलवर से इलाहाबाद, लखनऊ और गोरखपुर तक माल सप्लाई होता है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कारोबार में बड़े नेता, मंत्री और अधिकारी शामिल हैं, क्योंकि इसमें भारी मुनाफा है. अलग-अलग राज्यों के टैक्स के बावजूद एक ही रेट पर माल भेजा जाता है. एक ही रावण पर 4 से 5 चक्कर लगाए जाते हैं. लोगों का कहना है कि जब तक इस पूरे नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक अरावली को बचा पाना मुश्किल है.