क्या यह समाज और कानून में सुधार की कोशिश है या फिर एक धर्म विशेष से छेड़छाड़ का प्रयास? वक्फ संशोधन के बाद से यही बड़ा सवाल देश को मत रहा है. क्या सुप्रीम कोर्ट देश के संसद से पारित कानून पर रोक लगा सकता है? और अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या ये विरोध करने वालों को स्वीकार होगा? देखें श्वेतपत्र.