उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में मिल करारी शिकस्त के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था.पर पिछले दिनों जिस तरह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ताबड़तोड़ सीएम योगी की तारीफ की है उससे यही लगता है कि उत्तर प्रदेश भाजपा में अब सब कुछ सुलझने की ओर अग्रसर है. जैसा कि सभी जानते हैं कि पिछले महीने बीजेपी कार्यसमिति की बैठक के बाद से ही समाजवादी पार्टी से मिली हार की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ पर डाली जा रही थी.
प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक खुलकर ऐसी बातें कर रहे थे जिसका सीधा मतलब था कि हार की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की है. पर योगी कैंप के लोग लगातार कह रहे थे कि जब टिकट बंटवारे में उनकी एक नहीं सुनी गई तो फिर किस आधार पर हार का ठीकरा उनके सर क्यों फोड़ा जा रहा है. यही कारण रहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी दिनों में होने वाले उपचुनावों के योगी फ्रीहैंड की मांग कर रहे है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट की माने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इन चुनावों में खुली छूट देने का विचार हो रहा है. जिसमें टिकट बंटवारे और चुनाव अभियान दोनों ही तरह के फैसलों में उन्हें शामिल करने का वादा किया जा सकता है.
सीएम ने बुधवार को लखनऊ में आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार के साथ मुलाकात की थी. उसके बाद सीएम योगी को पार्टी की बैठक और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ व्यक्तिगत बातचीत के लिए गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचना था.
योगी ने पिछले महीने हर सीट के लिए एक एक मंत्री को प्रभारी बनाकर दे दिए थे संकेत
एक्सप्रेस लिखता है कि आदित्यनाथ के करीबी लोगों का कहना है कि वह उपचुनावों में उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने और अभियान की रणनीति तैयार करने से लेकर पार्टी के नेताओं को प्रभारी नियुक्ति करने तक को लेकर खुली छूट चाहते हैं. मुख्यमंत्री की खुली छूट की मांग उनके खेमे के दावों के बाद आई है कि लोकसभा चुनावों के दौरान जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं, अभियान की रणनीति और उम्मीदवारों के चयन के संबंध में उनके सुझावों और इनपुट को नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे भाजपा की सीटें घटकर 33 रह गईं, जो कि 2019 की लगभग आधी है.इसके बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों की तैयारी शुरू कर दी थी.
योगी के सामने उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल कर लोकसभा में हुए नुकसान की भरपाई करने की चुनौती है.जुलाई महीने में ही इसके लिए सीएम योगी ने स्पेशल 30 की एक टीम भी तैयार कर ली थी. जिसमें 30 मंत्रियों को 10 उन सीटों पर काम करने के लिए लगाया गया जहां उपचुनाव होने वाले हैं. हालांकि इसमें दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को जगह नहीं मिली थी. इसका कारण यह भी था कि उस समय दोनों डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की किसी भी बैठक में शामिल ही नहीं होते थे. तनाव चरम पर था. जाहिर है कि उस समय भी यह सवाल उठे थे कि सीएम योगी की इस तैयारी को क्या संगठन का समर्थन हासिल है?
दरअसल 14 जुलाई 2024 को लखनऊ में लोकसभा चुनावों में हार की समीक्षा के लिए बीजेपी कार्यसमिति की बैठक चल रही थी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में सीएम योगी आदित्यनाथ को उनके ही मंत्रिमंडल के कुछ लोगों ने टार्गेट पर लेने की कोशिश की. जिसमें दोनों डिप्टी सीएम शामिल थे.दो दिन बाद, 17 जुलाई को, आदित्यनाथ ने अपने आवास पर अपने करीबी माने जाने वाले मंत्रियों के साथ एक बैठक की, जिसमें मौर्य, दूसरे डिप्टी सीएम, ब्रजेश पाठक, साथ ही प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी अनुपस्थित थे.
उपचुनाव जीतने के लिए जी जान से लग गए योगी
दरअसल योगी जिस तरह उपचुनावों को जीतने के लिए जी जान से लगे हुए हैं उससे जाहिर है कि कहीं न कहीं से उन्हें इस संबंध में पहले से ही संकेत मिले हुए हैं. शायद यही कारण है कि सीएम 2 सीटों की व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी ली है. अयोध्या में मिल्कीपुर और अंबेडकर नगर में कटेहरी. मिल्कीपुर समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक अवधेश प्रसाद के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद जिसके अंतर्गत अयोध्या आती है से जीत हासिल कर भाजपा के लिए सबसे बड़ा उलटफेर करने के बाद खाली हो गई थी. कटेहरी में, सपा विधायक लालजी वर्मा ने मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार रितेश पांडे को हरा दिया. योगी आदित्यनाथ ने दो विधानसभा सीटों या आसपास के क्षेत्रों में चार बार कई कार्यक्रम आयोजित किए. मिल्कीपुर चुनाव को ध्यान में रखते हुए अयोध्या रेप केस पर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए योगी व्यक्तिगत रूप से सक्रिय दिखे.सीएम हर विधानसभा का डाटा तैयार करवा रहे हैं. जिसमें वहां की समस्याएं, वहां के ऐसे लोग जो पार्टी को जीत दिला सकते हैं, संभावित उम्मीदवारों की पूरी जानकारी इकट्ठा करवा रहे हैं.
लोकसभा चुनावों में हार के प्रमुख कारणों में से एक बेरोजगारी को बताया गया था.योगी ने अभी अयोध्या में रोजगार मेला लगवा.गुरुवार को अपनी दिल्ली यात्रा से पहले, सीएम ने मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में ऋण और नियुक्ति पत्र वितरित किए.इस तरह के आयोजन इससे पहले मिल्कीपुर और कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में भी हो चुके हैं.
केशव प्रसाद मौर्य के मुंह से योगी की ताबड़तोड़ तारीफ के संकेत
योगी ने अभी कुछ दिनों पहले ही यूपी में पहला किला तब फतह किया जब उनके धुर विरोधी केशव प्रसाद मौर्य उनका गुणगान करने लगे.केशव प्रसाद मौर्य के साथ ऐसा क्या और कैसे हो गया कि वो योगी आदित्यनाथ की तारीफ पर तारीफ किए जा रहे हैं. दरअसल यूपी में एक भर्ती के सिलसिले में कोर्ट की एक टिप्पणी पर केशव प्रसाद मौर्य ने कुछ ऐसा कहा जो केंद्रीय नेतृत्व को बहुत बुरा लगा. राजनीतिक गलियारों में ये बात कही जा रही है कि केशव प्रसाद मौर्य को इसके बाद समझा दिया गया कि अब यूपी भाजपा में और बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.इसके बाद से मौर्य ने योगी का गुणगान करना शुरू कर दिया. दरअसल केंद्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश में आने वाले उपचुनावों में सभी 10 सीटें जीतने का टार्गेट रखा हुआ है. ये तभी संभव है जब उत्तर प्रदेश के सभी क्षत्रप एक जुट होकर काम करें.
यही कारण है कि पिछले दिनों मौर्य योगी की तारीफों की झड़ी लगा दी है.उन्होंने मिर्जापुर की एक रैली में कहा कि हमारी डबल इंजन की सरकार स्वतंत्र भारत में सबसे अच्छा काम कर रही है. डबल इंजन की सरकार के जिक्र का मतलब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बराबर का श्रेय दिया जाना ही हुआ.'देश में भी भाजपा की सरकार है और राज्य में भी... आप भी ये जानते और मानते हैं कि हमारी डबल इंजन की सरकार स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे अच्छा कार्य कर रही है... दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी जैसा कोई दूसरा नेता है क्या? और देश में योगी आदित्यनाथ जैसा कोई दूसरा मुख्यमंत्री है क्या? दुनिया के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता हमारे प्रधानमंत्री मोदी हैं... और देश में, जब सभी मुख्यमंत्रियों की तुलना होती है, तो सबसे अच्छा काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में किया जा रहा है.'
यही नहीं उन्होंने कल्याण सिंह की पूण्यतिथि के अवसर पर भी योगी की तारीफ की . उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह की सरकार ने यूपी में सुशासन की शुरुआत की थी, विकास परियोजनाओं की झड़ी लगा दी थी, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की शुरू की थी. चाहे राष्ट्र भक्ति की बात हो या राम भक्ति की, कल्याण सिंह ने देश और लोगों की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं किया.आज सीएम योगी के नेतृत्व में राम भक्ति या राष्ट्र भक्ति के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा रहा है.सीएम योगी कल्याण सिंह की राह पर आगे बढ़ रहे हैं.