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फिल्म एक्टर्स ही नहीं हर फील्ड के महारथियों की मंजिल जनसुराज पार्टी ही क्यों बन रही है?

आम तौर पर यह माना जाता है कि फिल्म कलाकारों के लिए सभी दलों के दरवाजे खुले होते हैं. दूसरे फिल्म कलाकार हमेशा सत्ता की नजदीकी चाहते हैं. दरअसल धन संपत्ति बढ़ने के साथ साथ हर कलाकार को सुरक्षा गारंटी की जरूरत होती है. ये केवल और केवल सत्ताधारी पार्टी से मिल सकती है. इसके बावजूद जिस तरह प्रशांत किशोर को वर्तमान फिल्म कलाकारों का सपोर्ट मिल रहा है वह ध्यान देने वाली बात है.

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जनसुराज पार्टी में शामिल होते भोजपुरी फिल्म कलाकार रितेश पांडेय और पूर्व आईपीएस डॉ. जयप्रकाश सिंह
जनसुराज पार्टी में शामिल होते भोजपुरी फिल्म कलाकार रितेश पांडेय और पूर्व आईपीएस डॉ. जयप्रकाश सिंह

बिहार विधानसभा चुनावों में प्रशांत किशोर और उनके राजनीतिक दल जनसुराज की चाहे जो गति हो पर इतना तो  मानना ही पड़ेगा कि हर क्षेत्र का महारथी उनके पास आना चाहता है. बिहार में पिछले छह महीने में गैर राजनीतिक दलों के लोगों की आवाजाही में जनसुराज नंबर एक पर रही है. फिल्म कलाकर, पूर्व नौकरशाह, राजनीतिज्ञ , प्रफेशनल सभी तरह के लोगों ने जनसुराज जॉइन किया है. यह क्रम अभी भी बना हुआ है. अभी इसी हफ्ते भोजपुरी फिल्मों के एक और कलाकार रितेष पांडेय जनसुराज में शामिल हुए हैं. सवाल उठता है कि इतने कम समय में अचानक फ़िल्म कलाकारों  ही नहीं हर फील्ड के लोगों की पहली पसंद कैसे बन गई जनसुराज ?

नई राजनीति और बदलाव की आशा

जनसुराज बिहार में एक नई तरह की राजनीति को लेकर आई है. बिहार की राजनीति अभी तक जाति आधारित और भ्रष्टाचार में डूबी रही है. जाहिर है कि राज्य के लोगों को प्रशांत किशोर की आदर्शवादी बातें बहुत लुभा रही हैं.बिहार का हर शख्स जानता है कि प्रशांत किशोर एक पढ़े लिखे विशेषज्ञ हैं जिन्होंने नरेंद्र मोदी -नीतीश से लेकर ममता बनर्जी आदि को जिताने में मुख्य भूमिका निभाई है. लोगों को लगता है कि प्रशांत किशोर एक दिन देश के बड़े नेता बनेंगे. यही कारण है कि बिहार की राजनीति के कई दिग्गज नेताओं ने भी पार्टी में शामिल होकर इस बदलाव का समर्थन किया है. लोग एक ऐसी पार्टी की तलाश में हैं जो शिक्षा, रोजगार, और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर ठोस समाधान दे सके. 

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जमीनी स्तर पर जुड़ाव और युवा नेतृत्व

जन सुराज युवा नेतृत्व कार्यक्रम (JSYLP) के माध्यम से युवाओं को ग्रासरूट स्तर पर राजनीति में शामिल करने का अवसर दे रहा है.एक अच्छी खासी रकम के साथ मासिक स्टाइपेंड देकर बिहार के युवाओं को प्रशिक्षण और जिम्मेदारियां दी जा रही हैं. जाहिर है कि पार्टी के लेवल पर छात्रों और युवकों को कभी इस तरह डील नहीं किया गया था.  इसी तरह अपनी अपनी फील्ड के होनहार लोग, समाजसेवी लोगों को पार्टी में तवज्जो मिल रही है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नितिश पाठक जैसे युवा नेता टीम का हिस्सा बने हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं.

विभिन्न क्षेत्रों से प्रभावशाली चेहरों का समावेश

जनसुराज में अपनी अपनी फील्ड के सेलेब्रेटी की हैसियत रखने वाले लोग जनसुराज में आए हैं. नौकरशाह, डॉक्टरों, और कलाकार सभी फील्ड के लोगों ने पार्टी में जगह बनाई है. सूरज शर्मा और अरविंद कुमार सिंह जैसे करीब छह पूर्व नौकरशाह, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अजित प्रधान जैसे लोगों ने जन सुराज में शामिल होकर प्रशांत किशोर की विश्वसनीयता को बढ़ाया है. कई भोजपुरी कलाकारों के साथ यूट्यूबर मनीष कश्यप ने भी पार्टी को मनोरंजन और डिजिटल क्षेत्र से जोड़ा. जिसके चलते लगातार विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों की यहां भीड़ बढ़ती जा रही है.

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फिल्म कलाकारों आना बहुत कुछ कहता है

आम तौर पर यह माना जाता है कि फिल्म कलाकारों के सभी दलों के दरवाजे खुले होते हैं. दूसरे फिल्म कलाकार हमेशा सत्ता की नजदीकी चाहते हैं. दरअसल धन संपत्ति बढ़ने के साथ साथ हर कलाकार को सुरक्षा की गारंटी की जरूरत होती है. ये केवल और केवल सत्ताधारी पार्टी से मिल सकती है. इसके बावजूद जिस तरह प्रशांत किशोर को वर्तमान फिल्म कलाकारों का सपोर्ट मिल रहा है वह बहुत ही उपयोगी हो गया है. 

फिल्मकारों को जनसुराज पसंद आने का सबसे बड़ा कारण है प्रशांत किशोर का बदलाव का एजेंडा. फिल्म कलाकार, जो आमतौर पर युवाओं के बीच लोकप्रिय होते हैं, इस पार्टी के शिक्षा, रोजगार, और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर जोर से आकर्षित हो रहे हैं. उदाहरण के लिए, भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडे और अक्षरा सिंह और आलोक कुमार पार्टी में शामिल हो चुके हैं. कई कलाकारों जैसे पवन सिंह आदि ने भी प्रशांत किशोर की तारीफ की है. किशोर की बदलाव की बात सभी को अट्रैक्ट कर रही है. 

एक और कारण है सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जनसुराज की मजबूत उपस्थिति. फिल्म कलाकारों को प्रोमोशन चाहिए. यह काम भी उन्हें जनसुराज के माध्यम से मिलता दिख रहा है. किशोर की पदयात्रा और रैलियों को यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर व्यापक कवरेज मिली, जिसमें अक्षरा सिंह जैसे कलाकारों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. ऐसे कार्यक्रमों से इन कलाकारों की लोकप्रियता में बढ़ोतरी ही होती है.
 

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