जन सुराज एक राजनीतिक पार्टी है (Jan Suraaj Party) जिसका नेतृत्व बिहार के (Bihar) राजनीतिक विशेषज्ञ प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) कर रहे हैं. प्रशांत किशोर 'पीके' के नाम से मशहूर हैं. कुछ साल पहले बिहार जन सुराज नाम से एक राजनीतिक अभियान शुरू किया गया था. इस अभियान में प्रशांत किशोर ने बिहार के विभिन्न जिलों के गांवों में पदयात्रा शुरू की. इस अभियान की शुरुआत बिहार राज्य में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से की गई थी. अभियान का फोकस जमीनी स्तर पर जनता की भागीदारी पर था, जिसमें बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार आदि जैसे प्रमुख मुद्दों को संबोधित किया गया.
प्रशांत किशोर लगता है तेजस्वी यादव को बिहार में नई सरकार बन जाने के बाद भी चैन की सांस नहीं लेने देना चाहते हैं. जन सुराज अभियान में तेजस्वी यादव शुरू से ही निशाने पर रहे, और आरजेडी के भारी चुनावी नुकसान के बाद भी वो विपक्ष की राजनीति में तेजस्वी यादव को चैलेंज करने की तैयारी कर रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर ने आत्ममंथन के रूप में पश्चिम चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखा, जहां से उन्होंने तीन साल पहले अपनी 3,500 किमी लंबी पदयात्रा शुरू की थी. महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुरुआत करते हुए पीके ने कहा कि यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता तक अपना संदेश पूरी तरह न पहुंचा पाने का ‘आत्मिक प्रायश्चित’ है.
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को चुनौती दी कि अगर वे 1.5 करोड़ महिलाओं को 2-2 लाख रुपये देने का वादा पूरा करते हैं, तो वह राजनीति और बिहार दोनों छोड़ देंगे. उन्होंने JD(U) की जीत को 'वोट खरीदने' का परिणाम बताया, जिसमें 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' के तहत 10,000 रुपये के भुगतान का उपयोग हुआ.
बिहार चुनाव 2025 में जन सुराज की हार के बाद भी प्रशांत किशोर पीछे हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपनी रणनीति, संगठन और राजनीतिक शैली में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं. जातिवाद मुक्त राजनीति, मुद्दा-आधारित आंदोलन और सरकारी वादों को लागू कराने पर उनका जोर रहेगा. चुनौतियों के बावजूद वे दीर्घकालिक भूमिका निभाने, जमीनी संगठन मजबूत करने और सत्ता को जवाबदेह बनाने के लिए नए सिरे से तैयारी कर रहे हैं.
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार की पार्टी की बिहार चुनाव में 25 से ज्यादा सीटें आ गईं, तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा. इसे लेकर जारी कयासों पर अब पीके ने विराम लगा दिया है.
प्रशांत किशोर पर लगातार बीजेपी की बी टीम होना का आरोप लगता रहा है. बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान कई बार ऐसा लगा कि किशोर की जन-सुराज पार्टी महागठबंधन की बजाए एनडीए को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है. आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है, आइये देखते हैं?
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया कि वर्ल्ड बैंक के 14,000 करोड़ रुपये के विकास फंड को चुनाव से पहले महिलाओं में 10,000 रुपये कैश ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल किया गया. पार्टी ने इसे चुनावी प्रभाव को बदलने की "अनैतिक कोशिश" बताया और जांच की मांग की. NDA ने 2025 चुनाव में 202 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया.
नीतीश कुमार इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण एक्स फैक्टर साबित हुए. बहुत से लोग मान रहे थे कि उनका दौर लगभग खत्म हो गया है और उनके स्वास्थ्य को लेकर भी कई चर्चाएं थीं. इसके बावजूद, वे पिछले बीस वर्षों से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं.
जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि बिहार जैसे बड़े प्रदेश में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का जिम्मा है. चुनाव से पहले वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया जून में शुरू होने वाली थी लेकिन अक्टूबर में चुनाव होने के कारण समय कम रह गया.
Jan Suraaj Party Vote Share In Bihar Election 2025: पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में कोई सीट नहीं जीत पाई. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि कुछ वोटर RJD के ‘जंगल राज’ लौटने के डर से NDA के साथ चले गए. सीमांचल में ध्रुवीकरण और महिलाओं को योजनाओं के जरिए प्रभावित करना भी परिणामों में अहम रहा. जन सुराज का कुल वोट शेयर चार प्रतिशत रहा. NDA ने महागठबंधन को भारी हराकर 243 सदस्यीय विधानसभा में 200 पार जीत हासिल की.
बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज पूरी तरह पिछड़ गए. 238 में से 236 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके. रितेश पांडे, के.सी. सिन्हा और सरफराज आलम जैसे हाई-प्रोफाइल चेहरे भी तीसरे स्थान पर रहे.
प्रशांत किशोर ने जिस तेजी से बिहार की राजनीति में अपनी जगह बनाई थी उसके हिसाब से लग रहा था कि वो कम से कम तीसरी शक्ति के रूप में तो सामने आएंगे ही. पर नेताओं को रणनीति की पाठ पढ़ाने वाला यह सितारा राजनीति की अंधी गैलरी में क्या गलती कर दिया कि जनता ने उसे नकार दिया?
प्रशांत किशोर की पार्टी इस समय दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जो राजनीतिक नजरिए से काफी दिलचस्प है. अन्य पार्टियों के आंकड़ों की तुलना में प्रशांत किशोर की पार्टी ने खास पकड़ बनाई है. तेज प्रताप की पार्टी के मुकाबले भी प्रशांत किशोर की पार्टी की स्थिति बेहतर दिख रही है.
प्रशांत किशोर की जनसभाओं में युवाओं की जबरदस्त भागीदारी से ऐसा लग रहा था कि जनसुराज इस बार कम से कम तीसरी शक्ति बनकर तो उभरेगी ही. पर किसी भी एग्जिट पोल में दूर-दूर तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के अनुमानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की स्पष्ट जीत का संकेत मिला है. वहीं, चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जन सुराज (JSP) का बहुचर्चित डेब्यू चुनावी नतीजों में तब्दील होता नहीं दिख रहा है.
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आज तक के साथ बातचीत में बिहार चुनाव में बढ़े वोटिंग प्रतिशत पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि यह बिहार में बदलाव का संकेत है और इस बार प्रवासी मजदूर और युवा चुनाव का 'एक्स फैक्टर' हैं, जो एक नए विकल्प के लिए वोट कर रहे हैं.
बिहार में आज दूसरे चरण का मतदान है. इस बीच जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बिहार की जनता से बढ़ चढ़ कर वोट करने की अपील की है. साथ ही उन्होनें कहा कि 'बिहार में एक ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए जहां बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके और रोजगार के अवसर उपलब्ध हों जिससे पलायन बंद हो सके और भ्रष्टाचार खत्म हो.'
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच प्रत्याशियों के जनसंपर्क के अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं. इसी क्रम में, रक्सौल विधानसभा क्षेत्र से जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी कपिलदेव प्रसाद उर्फ भुवन पटेल चर्चा में हैं. एक चुनावी सभा के दौरान समर्थकों ने उन्हें तराजू पर बिठाकर सेबों से तौल दिया. भुवन पटेल हाल ही में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से इस्तीफा देकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में शामिल हुए थे.
बिहार में सियासी पारा अब तेजी से चढ़ने लगा है. एनडीए इस बार '160 पार' का नारा बुलंद कर मैदान में है लेकिन जमीनी समीकरण कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. जातीय गणित, बेरोजगारी, पलायन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के उभरने से मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो चुका है. हालात कुछ वैसे ही लग रहे हैं जैसे लोकसभा चुनाव में बीजेपी के '400 पार' के नारे के बाद नतीजे 293 पर थम गए थे.
बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी ने जो रणनीति अपनाई है, यूपी में मायावती के ऐसा ही करने पर उनके विरोधी बीजेपी का मददगार बनने का आरोप लगते रहे हैं. अगर बिहार में भी मुस्लिम वोटों के बंटवारे का फायदा एनडीए को मिला, तो जाहिर है कि महागठबंधन वाले पीके और ओवैसी को कोसेंगे ही.
बिहार के चुनावी दंगल में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की एंट्री ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. उन्होंने दानापुर से आरजेडी के उम्मीदवार रीतलाल यादव के समर्थन में एक रोड शो किया, इसी बीच, जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने लालू यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'लालू यादव तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का नहीं कहेंगे तो आपको कहेंगे?