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आपरेशन सिंदूर है सेना और सरकार की कूटनीतिक स्ट्रैटजी का शानदार उदाहरण, 5 बिंदुओं में समझिए

ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीक और रणनीतिक क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि भारत की कूटनीतिक रणनीति को भी सामने लाता है. भारत ने दुनिया भर का समर्थन हासिल करते हुए जिस तरह पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारा है वह सेना और सरकार की शानदार रणनीति का ही परिणाम है.

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ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान स्थिति आतंकवादियों के ठिकाने ध्वस्त कर दिए.
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान स्थिति आतंकवादियों के ठिकाने ध्वस्त कर दिए.

पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर अंजाम दिया गया.पाकिस्तानी फौज का कहना है कि इस एक्शन में करीब 28 लोग मारे गए हैं. इस ऑपरेशन में भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. भारतीय सेना का इतिहास रहा है कि हमेशा से ही वह रक्षात्मक मुद्रा में रही है. पहली बार सेना का अंदाज दुश्मन देश को सबक सिखाने वाला था. कहा जाता है कि ऐसे मौकों पर अकसर सशस्त्र बल जोश में होश खो बैठते हैं पर भारतीय सेना ने ऐसा नहीं होने दिया. ऑपरेशन सिंदूर नितांत ही नियंत्रित रहा है. कहीं से भी सिविलियन या सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश नहीं हुई. सेना ने चुन चुन कर अपने पुराने हिसाब आतंकवादियों से क्लियर किए हैं.  यह ऑपरेशन न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता को दर्शाता है, बल्कि भारत की कूटनीतिक रणनीति को भी उजागर करता है, जिसने वैश्विक और घरेलू स्तर पर समर्थन हासिल किया. यह विश्लेषण ऑपरेशन के सैन्य और कूटनीतिक पहलुओं का विस्तार से मूल्यांकन करता है, जो इसे एक शानदार उदाहरण बनाता है.

1-कूटनीति का शानदार प्रदर्शन, दुनिया के ताकतवर देशों ने भारत के खिलाफ मुंह बंद रखा

ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद, भारत ने अपनी कूटनीतिक मशीनरी को सक्रिय किया और कई ताकतवर देशों—अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फ्रांस, और चीन—के साथ उच्च-स्तरीय संवाद स्थापित किया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल, रूस के सेर्गेई शोइगु, और चीन के विदेश मंत्री वांग यी सहित कई समकक्षों से बात की . वैश्विक शक्तियों को भारत की स्थिति से अवगत कराया गया और उनके समर्थन या तटस्थता को सुनिश्चित किया गया. उदाहरण के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध के बजाय शांति की वकालत की, लेकिन भारत की कार्रवाई की निंदा नहीं की.

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए भारत और पाकिस्तान से अधिकतम संयम बरतने की अपील की. यूएन ने भी भारत की कार्रवाई की निंदा नहीं की, बल्कि दोनों देशों से शांति और कूटनीतिक समाधान की बात की. यूएन की तटस्थ और संयमित प्रतिक्रिया भारत की कूटनीतिक जीत थी, क्योंकि यह ऑपरेशन की वैधता पर सवाल नहीं उठाती है. यह भारत की स्थिति को मजबूत करता है कि कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध.

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चीन, जो पाकिस्तान का सदाबहार सहयोगी है और चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के माध्यम से PoK में निवेश करता है, ने ऑपरेशन सिंदूर को "खेदजनक" बताया और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की. चीन की संतुलित प्रतिक्रिया, जो भारत की कार्रवाई की निंदा करने के बजाय संयम की अपील करती है, भारत की कूटनीतिक जीत है. यह दर्शाता है कि भारत ने चीन को तटस्थ रखने में सफलता हासिल की, जो आमतौर पर पाकिस्तान का समर्थन करता है.

2-सभी मिसाइलें अपने सही निशाने पर लगीं

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को एक तकनीकी रूप से उन्नत और सैन्य रूप से सक्षम राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया है. वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका, रूस, और इजरायल, ने भारत के मिसाइलों की सटीकता की प्रशंसा की है. ऑपरेशन ने पाकिस्तान की चीन प्रायोजित वायु रक्षा प्रणालियों को भेदकर भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया. यह चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के लिए एक चेतावनी थी कि भारत क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है. सभी मिसाइलों ने अपने सटीक निशानों को भेदा, जो भारतीय तकनीक और रक्षा प्रणाली के शानदार प्रदर्शन का प्रमाण है. उन्नत मिसाइलों SCALP, स्पाइस-2000, निर्भय, पुख्ता खुफिया जानकारी और तीनों सेनाओं के संयुक्त समन्वय ने नौ आतंकी ठिकानों को 25 मिनट में नष्ट कर दिया. इस सफलता ने भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी, आत्मनिर्भरता, और वैश्विक मंच पर सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया.

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3-मॉक ड्रिल के बहाने दुश्मन को धोखे में रखा 

पहलगाम हमले के बाद, भारत ने 5 मई 2025 को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के माध्यम से देशभर के 244 जिलों में नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल की घोषणा की थी.करीब 100 संवेदनशील जिलों में होने वाले इन ड्रिल्स का उद्देश्य हवाई हमलों, ब्लैकआउट, और आपातकालीन निकासी जैसे परिदृश्यों के लिए तैयारियों का परीक्षण करना था.

ऐसा माना जा रहा है कि यह भारतीय सेना की रणनीति थी. मॉक ड्रिल की घोषणा को एक रणनीतिक भटकाव के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिससे पाकिस्तान को यह विश्वास हो गया कि भारत केवल रक्षात्मक और अभ्यास-आधारित तैयारियां कर रहा है. यह रणनीति military deception की क्लासिक तकनीक थी, जिसमें दुश्मन को गलत सूचना देकर उसकी प्रतिक्रिया को कमजोर किया जाता है.  

4-ऑपरेशन सिंदूर का नाम देकर भावनाओं से जोड़ा

ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखकर पहलगाम हमले में मारे गए लोगों की पत्नियों का मान रखा गया. हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर का संबंध उनके सुहाग से होता है. ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम हमले में मारे गए नवविवाहित पुरुषों की विधवाओं के दुख को दर्शाता है. यह नामकरण देश की भावनाओं को गहराई से छू गया, जिसने ऑपरेशन को न केवल सैन्य बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व भी मिल गया. 

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हिंदू परंपरा में सिंदूर विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है. यह उनके पति की लंबी उम्र और परिवार की भलाई की कामना करता है. पहलगाम आतंकी हमले में, जिसमें 25 पर्यटक और एक कश्मीरी सहित 26 लोग मारे गए थे. इसमें कई नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे. यह नाम न केवल पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है, बल्कि देश की सामूहिक चेतना को भी एकजुट करता है. यह भारत की संकल्पशक्ति को दर्शाता है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाएगा.

5-सेना की प्रेस कान्‍फ्रेंस में महिला और मुस्लिम अफसर को सामने रखना

पहलगाम हमले में आतंकियों ने धार्मिक आधार पर हिंदू पुरुषों विशेष रूप से नवविवाहितों को निशाना बनाया ताकि सांप्रदायिक तनाव भड़काया जाए. ऑपरेशन सिंदूर का नाम और प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक मुस्लिम कर्नल सोफिया कुरैशी और एक हिंदू विंग कमांडर व्योमिका सिंह महिला अफसर की उपस्थिति इस सांप्रदायिक प्रचार का प्रत्यक्ष जवाब थी. 

इन दोनों अधिकारियों को सामने रखकर भारत ने दिखाया कि देश धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर एकजुट है. यह पाकिस्तान के सांप्रदायिक प्रचार को नकारता है, जो अक्सर भारत को धार्मिक विभाजन के आधार पर कमजोर करने की कोशिश करता है.इसने घरेलू स्तर पर हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत किया और वैश्विक समुदाय को भारत की समावेशी संस्कृति का संदेश दिया.

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दो महिला अधिकारियों को चुनना, विशेष रूप से एक मुस्लिम और एक हिंदू, भारत की सैन्य और सामाजिक प्रगति को दर्शाता है. यह वैश्विक समुदाय को यह संदेश देता है कि भारत एक आधुनिक, समावेशी, और लैंगिक रूप से प्रगतिशील राष्ट्र है, जहां महिलाएं और अल्पसंख्यक सैन्य नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसने भारत की छवि को एक जिम्मेदार और प्रगतिशील वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत किया है.

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