बिहार की राजनीति पर देश भर की निगाहें हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार सीएम नीतीश कुमार के संबंध आगे कौन ला मोड़ लेते हैं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं. पर जिस तरह बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी के बर्थडे को नीतीश कुमार ने अवॉयड किया है उससे यही लगता है कि दूरियां कम होने वाली नहीं हैं. नीतीश कुमार ने जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद अध्यक्ष बनने के बाद समझा जा रहा था कि बात आई-गई हो गई. पर मामला ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा है. जाहिर है कि लालू प्रसाद यादव भी चुप चाप नहीं बैठे होंगे. वोअब ईंट का जवाब पत्थर से देने की तैयारी कर रहे होंगे. जेडी यू और आरजेडी के कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों से अधिक इस लड़ाई पर कांग्रेस और बीजेपी की निगाह है. ललन सिंह को लेकर जो भूकंप जेडीयू में आया है वो लगता है कि आरजेडी ही नहीं बिहार की राजनीति में सुनामी लाने वाला है.
राबड़ी के बर्थडे पर नहीं विश करके नीतीश कुमार कहना क्या चाहते हैं
बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद ऐसे अवसर अकसर देखने को मिल जाते थे जब सीएम नीतीश कुमार लालू प्रसाद के घर पहुंच जाते थे या लालू प्रसाद और तेजस्वी खुद नीतीश कुमार के घर पहुंच जाते थे. पहली जनवरी को राबड़ी देवी का बर्थडे था.यह मौका महागठबंधन में एकजुटता दिखाने का बड़ा अवसर था. पर ऐसे मौके पर भी दोनों परिवारों में आमना सामना नहीं हुआ. नीतीश कुमार इस मौके पर घर पहुंचना तो दूर ट्वीटर पर भी एक लाइन राबड़ी के लिए नहीं लिखा. इसके चलते उन कयासों पर मुहर लग गया है कि ललन सिंह को हटाने का मुख्य कारण लालू यादव से ललन सिंह की नजदीकियां ही थीं. जेडीयू को तोड़ने की खबर में भी बहुत हद तक सचाई थी.दोनों परिवारों ने एक दूसरे को नए साल की भी सार्वजनिक तौर पर बधाई नही दी है. मतलब साफ है कि बिहार की राजनीति में सियासी सुनामी से इनकार नहीं किया जा सकता है.
तेजस्वी का विदेश दौरा रद्द
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि महागठबंधन सरकार में तनाव के कारण राज्य के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपना ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द कर दिया है. ये दौरा 6 जनवरी से शुरू हो रहा था. तेजस्वी यादव आईआरसीटीसी मामले में ईडी के सामने पेशी के अगले दिन प्लान के मुताबिक इस दौरे पर जाने वाले थे.आरजेडी के एक मुख्य नेता अख़बार से कहते हैं कि पार्टी ‘अपने मुख्य नेता को देश से बाहर भेजकर राज्य की राजनीति में अनिश्चितता के बीच कोई ख़तरा मोल नहीं लेना चाहती है.’हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है. कुछ नेताओं का कहना है कि लालू प्रसाद बहुत बड़ी तैयारी में हैं. जेडीयू के टूटने का खतरा अभी भी बरकरार है. दूसरी बात यह भी है कि नीतीश कुमार को भी हल्के में लेना बेवकूफी है. कुमार अपनी सरकार बचाने और पार्टी को टूट से बचाने के लिए किसी भी स्तर पर जा सकते हैं. बीजेपी का साथ मिल गया तो आरजेडी विधायकों को भी निशाना बना सकते हैं.
लालू से मिले विधानसभा अध्यक्ष
संसदीय प्रणाली में विधानसभा अध्यक्ष का रोल उस समय महत्वपूर्ण हो जाता है जब किसी के पास पूर्ण बहुमत न हो. दलबदल के समय उसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. चूंकि बिहार में विधानसभा अध्यक्ष आरजेडी का है इसलिए दलबदल में पार्टी छोडकर अलग गुट बनाने वाले विधायकों को मान्यता देने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को होता है. इस अधिकार का फायदा विधानसभा अध्यक्ष निश्चित रूप से अपनी पार्टी के लिए उठाता है.
खबर है कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को लालू प्रसाद यादव ने अपने आवास पर बुलाया और उनसे लंबी बातचीत की है. मतलब साफ है अवध बिहारी चौधरी से लालू यादव ने विधानसभा की गुणा गणित समझी होगी. बिहार बीजेपी लगातार कह रही है कि कभी भी नीतीश कुमार को हटाकर लालू यादव तेजस्वी को सीएम बनाने की घोषणा कर सकते हैं. ये सब विधानसभा अध्यक्ष की सहमति से ही संंभव हो सकता है.
बिहार विधानसभा में सबसे अधिक आरजेड के विधायक हैं (79). उसके बाद बीजेपी कि विधायक (78) हैं. जेडीयू के केवल 45 विधायक हैं. कांग्रेस (19), वाम दल ( 16), जीतन राम मांझी की पार्टी (4 विधायक), एआईएमआईएम (1) और निर्दलीय एक विधायक हैं.इस तरह कुल मिलाकर केवल 6-7 विधायकों को जुटाने का खेल है. अगर जेडीयू सरकार से हटती है तो वर्तमान सरकार को केवल 115 रह जाएगा. राजनीतिक विश्वेषकों का मानना है कि अगर 7 विधायक आरजेडी जेडीयू से तोड़ ले या 14 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सस्पेंड कर दें तो भी आरजेडी सरकार बना लेगी.
पर सिक्के का दूसरा पहलू भी है. बीजेपी कतई नहीं चाहेगी कि बिहार में तेजस्वी की सरकार बने. यह भी हो सकता है नीतीश कुमार एनडीए के साथ हो जाएं और बीजेपी के किसी नेता को मुख्यमंत्री का पदभार मिल जाए. आज बिहार की राजनीति में जिस तरह लालू यादव परिवार और नीतीश कुमार एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं उससे यही लगता है कि बिहार में सियासी सुनामी आनी तय है.