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जयंत पाटिल का इस्तीफा शरद पवार के लिए कितना बड़ा झटका है?

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जयंत पाटिल का इस्तीफा एनसीपी (एसपी) के भीतर बड़ा बदलाव है. ये शरद पवार के नेतृत्व और प्रभाव पर भी सवाल खड़ा करता है, अगर वो पार्टी छोड़ देते हैं और किसी और के साथ चले जाते हैं.

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शरद पवार के लिए अजित पवार के बाद जयंत पाटिल का स्टैंड दूसरा बड़ा झटका होगा, अगर वो पाला बदल लेते हैं.
शरद पवार के लिए अजित पवार के बाद जयंत पाटिल का स्टैंड दूसरा बड़ा झटका होगा, अगर वो पाला बदल लेते हैं.

जयंत पाटिल से जुड़ी दो अफवाहों में से एक सही साबित हो चुकी है. शशिकांत शिंदे को शरद पवार वाली एनसीपी का महाराष्ट्र अध्यक्ष बना दिये जाने के बाद, ये तो पक्का हो गया है कि जयंत पाटिल का इस्तीफा मंजूर हो गया है. क्योंकि, जयंत पाटिल ही नहीं, एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता जितेंद्र आव्हाड और सांसद सुप्रिया सुले भी खारिज कर रही थीं. 

शरद पवार के बेहद करीबी माने जाने वाले जयंत पाटील महाराष्ट्र में पार्टी की कमान लंबे समय से संभालते आ रहे थे, और जब पार्टी टूटी तब भी वो अजित पवार के साथ जाने के बजाय शरद पवार के साथ ही बने रहे. 

वैसे बीजेपी में जाने की अटकलों को भी जयंत पाटिल ने वैसे ही खारिज किया है, जैसे इस्तीफे का किया था. जयंत पाटिल का कहना है, न तो सत्ताधारी दल के किसी नेता से मुलाकात की है, और न ही महायुति के किसी घटक दल के नेता ने उनसे संपर्क किया है. लिहाजा तस्वीर साफ होने का इंतजार है.

शरद पवार ने शशिकांत शिंदे के नाम का ऐलान करते हुए बताया कि अनिल देशमुख ने शशिकांत शिंदे का नाम सुझाया और सांसद अमोल कोल्हे ने सपोर्ट किया. फिर तो, एनसीपी (एसपी) बीएमसी और स्थानीय निकाय चुनाव शशिकांत शिंदे के नेतृत्व में लड़ेगी. शशिकांत शिंदे का कहना है कि आने वाले दिनों में वो महाराष्ट्र का दौरा करेंगे, और संगठन में युवाओं को मौका देने का प्रयास करेंगे. 

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जयंत पाटिल का इस्तीफा पवार के पावर पर सवालिया निशान है

जयंत पाटिल 2018 में अविभाजित एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये थे. जुलाई, 2023 में अजित पवार और बाकी विधायकों की बगावत पार्टी के विभाजन के बाद भी जयंत पाटिल अपनी जगह और पद पर बने रहे. लेकिन, एनसीपी के स्थापना दिवस के मौके पर शरद पवार की मौजूदगी में अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई थी. 

जयंत पाटिल ने नये चेहरों को मौका दिये जाने की पहल की थी. हालांकि, कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया काफी भावनात्मक रही, जिसमें उनके पद पर बने रहने की गुजारिश भी शुमार थी. काफी दिनों से ये चर्चा भी चल रही थी कि जयंत पाटिल पार्टी में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं, और उनके खिलाफ जयंत पाटील के खिलाफ पार्टी के भीतर ही भारी विरोध की बात भी सामने आई थी.  

महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जयंत पाटिल के इस्तीफे की अहमियत तो है ही, अगर वो पार्टी भी छोड़ देते हैं, और किसी और के साथ चले जाते हैं तो निश्चित तौर पर ये शरद पवार और उनकी टीम के लिए बहुत बड़ा झटका है - महाराष्ट्र में पवार के पावर पर सवालिया निशान भी है. 

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पाटिल को कभी उद्धव के मुकाबले खड़ा कर रहे थे पवार

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से महीना भर पहले, शरद पवार ने जयंत पाटिल को अपनी पार्टी की तरफ से एमवीए में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी पेश किया था, जिस पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया भी आई थी - ये तब की बात है जब उद्धव ठाकरे चाहते थे कि उनको महाविकास आघाड़ी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया जाए.

एनसीपी (एसपी) के 'शिव स्वराज्य यात्रा' अभियान के दौरान सांगली जिले के इस्लामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा था, ये सभी की इच्छा है कि जयंत पाटिल राज्य के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी लें. 

एमवीए के अंदर से संजय राउत ने एनसीपी की तरफ से 5-6 नामों का जिक्र किया था, और बोले, अगर शरद पवार ने सीएम पद के लिए जयंत पाटिल के नाम का समर्थन करने के संकेत दिए हैं, तो हम उनके साथ चर्चा करेंगे. कांग्रेस नेता नितिन राउत का कहना था, शरद पवार ने कहा है कि जयंत पाटिल में सीएम बनने की खूबियां हैं... हर पार्टी अपने नेता के बारे में इस तरह से बात करती है, लेकिन अंतिम फैसला तो कांग्रेस नेतृत्व लेगा.

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क्या बीजेपी में जाएंगे जयंत पाटिल?

जयंत पाटिल ने सोमवार (14 जुलाई) को विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, मैंने बीजेपी के किसी नेता से संपर्क नहीं किया है... न ही किसी ने मुझसे भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है... मैं एक पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष हूं और ऐसी खबरों से हैरान हूं. 

जयंत पाटिल की एक बात तो गलत साबित हो गई है, दूसरी बात अभी अफवाहों के साये में है. महाराष्ट्र की राजनीति में जोरदार चर्चा है कि जयंत पाटिल बीजेपी में जा सकते हैं, लेकिन ऐसी बातों को वो खारिज भी कर चुके हैं. चर्चा तो उनके अजित पवार की एनसीपी में भी शामिल होने की है, लेकिन सवाल है कि बगावत के समय इनकार कर चुके पाटिल क्या अजित पवार का भरोसा जीत पाएंगे?

बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो इतना ही कहा है कि ये शरद पवार की एनसीपी का आंतरिक मामला है. लेकिन, भारतीय जनता पार्टी के नेता और मंत्री गिरीश महाजन ने जयंत पाटिल के लगातार अपने संपर्क में होने की बात कही है, और दावा किया है कि वो अपनी पार्टी में खुश नहीं हैं. गिरीश महाजन का ये भी कहना है कि जयंत पाटिल ने कभी पार्टी छोड़ने के बारे में बात नहीं की.

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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की पार्टी के विधायक संग्राम जगताप ने जयंत पाटिल को अपनी एनसीपी में शामिल होने की पेशकश की है. संग्राम जगताप का कहना है, जयंत पाटील अगर अजित पवार का नेतृत्व स्वीकार करते हैं और हमारी पार्टी में शामिल होते हैं, तो हम सभी उनका स्वागत करेंगे.

एक चर्चा ये भी है कि जयंत पाटिल का मामला मंत्री पद को लेकर बीजेपी के साथ अटका हुआ है. वैसे जयंत पाटिल अगर बीजेपी या अजित पवार के साथ नहीं जा पाते हैं, तो विकल्प तो शिवसेना का भी खुला हुआ है.

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