मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी 7 आरोपी बरी कर दिये गये हैं. अपने फैसले में स्पेशल NIA कोर्ट ने कहा है, 'कोई भी सबूत विश्वसनीय नहीं है.' अदालत ने अभिनव भारत संस्था को भी मालेगांव ब्लास्ट के आरोपों से बरी कर दिया. ये सिर्फ प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित के लिए ही राहत की बात नहीं है, बल्कि स्पेशल कोर्ट के फैसले के प्रभाव का दायरा काफी बड़ा है - क्योंकि ये मामला महज एक ब्लास्ट से कहीं आगे बढ़कर 'भगवा आतंक' के उदाहरण के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा था.
ये तब की बात है जब महाराष्ट्र में कांग्रेस और केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी. महाराष्ट्र में बम विस्फोट और आतंकवादी हमलों की कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन मालेगांव ब्लास्ट के बाद भगवा आतंक बताकर हिंदूवादी संगठनों को राजनीतिक रूप से निशाना बनाया गया.
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान 24 घंटे पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है, कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के लिए भगवा आतंकवाद का झूठा सिद्धांत गढ़ा... हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता है.
मालेगांव केस पर आये फैसले ने एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस को आमने सामने ला दिया है. ये फैसला जहां बीजेपी को हिंदू विरोधी राजनीति पर हमले का मौका दे रहा है, वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को बचाव की मुद्रा में ला दिया है.
पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए ये बहुत बड़ा दिन है, और एक अन्य आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित के लिए भी. मालेगांव ब्लास्ट केस में सात आरोपी थे - भोपाल से बीजेपी सांसद रह चुकीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी.
स्पेशल कोर्ट के फैसले में क्या है
29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीकू चौक पर एक दोपहिया वाहन में बम विस्फोट हुआ, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 101 लोग घायल हुए. मृतकों की पहचान फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह के रूप में हुई थी.
स्पेशल कोर्ट ने माना है कि ये घटना समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध थी, लेकिन कानून में सजा देने के लिए सिर्फ नैतिक आधार नहीं, मजबूत सबूत ही जरूरी होते हैं. कोर्ट के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ भरोसा करने लायक और पुख्ता सबूत नहीं मिला है, इसलिए सभी को बरी किया जाता है.
1. स्पेशल जज एके लाहोटी ने अपने फैसले मे कहा है, अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि बम मोटरसाइकिल के बाहर रखा गया था, न कि उसके अंदर.
2. कौर्ट का कहना है, अहम गवाहों ने प्रॉसिक्यूशन का समर्थन नहीं किया... प्रॉसिक्यूशन साजिश रचने के आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है.
3. ऐसा कोई सबूत उपलब्ध नहीं है, जिससे साबित होता हो कि कर्नल पुरोहित ने ही RDX लाया था, या बम असेंबल किया गया था. ये भी साफ नहीं है कि बम वाली मोटरसाइकिल वहां किसने खड़ी की, जबकि इलाका रमजान के चलते पहले से ही सील कर दिया गया था. घटना के बाद पत्थरबाजी किसने की? नुकसान किसने पहुंचाया या फिर पुलिस की बंदूक छीनने जैसी घटनाओं पर कोई स्पष्ट सबूत नहीं है.
4. स्पॉट पंचनामा में खामियां थीं... वाहन के चेसिस नंबर को मिटा दिया गया था, और दोबारा रिस्टोर नहीं किया गया... ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है कि वो मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की ही थी.
'भगवा आंतक' की राजनीति और एक कानूनी फैसला
मालेगांव विस्फोट केस में विशेष एनआईए कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता - कोर्ट का ये स्टेटमेंट धर्म और राजनीति दोनों के लिहाज से बेहद अहम है.
जाहिर है, ये फैसला सिर्फ प्रज्ञा ठाकुर ही नहीं, बल्कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले सभी नेताओं के लिए महत्वपूर्ण है. फैसले पर पहली प्रतिक्रिया में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा भी है, 'ये मेरे अकेले की जीत नहीं है. ये भगवा की भी जीत है.'
देखा जाये तो ये फैसला मौजूदा माहौल में बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को सपोर्ट कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिये बने राष्ट्रवाद के माहौल में ये फैसला हिंदुत्व का तड़का है. राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के बूते ही बीजेपी की राजनीति आगे बढ़ती है - और बिहार के आगे भी पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ये भुनाने की पूरी कोशिश करेगी.
2014 से पहले कांग्रेस के जो नेता भगवा आतंक पर आक्रामक देखे जाते थे, एनआईके कोर्ट के फैसले ने एक झटके में बचाव की मुद्रा में ला दिया है. प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित पूरे 17 साल भगवा आंतक के आरोपों के साये में बने रहे. 2019 में प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को हराया था, जो भगवा आतंक को हमेशा ही जोर शोर से पेश करते रहे हैं.
लोकसभा पहुंचने के बाद प्रज्ञा ठाकुर बाकी सवालों के घेरे में तो रहीं ही, नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने के बाद बुरी तरह फंस गईं. बीजेपी ने भी समर्थन से हाथ खींच लिए और माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा. लेकिन, प्रज्ञा ठाकुर के लिए सबसे बड़ा सदमा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी.
प्रज्ञा ठाकुर को लेकर तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, मन से कभी माफ नहीं कर पाऊंगा.
सवाल है कि क्या मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मोदी की माफी मिल पाएगी?
भगवा आतंक और बीजेपी का स्टैंड
ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद का झूठा सिद्धांत गढ़ा... मैं गर्व से कह सकता हूं कि कोई भी हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता... कांग्रेस ने बहुसंख्यक समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन भारत की जनता ने झूठ को नकार दिया.
अमित शाह के भाषण के ठीक अगले दिन मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला आया है. 26/11 के मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोग लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हमलों को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहे थे... कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी इसमें शामिल थे... कांग्रेस ने वोट के लिए आतंकवाद को धार्मिक रंग देने की कोशिश की, लेकिन भारत के लोगों ने झूठ को स्वीकार नहीं किया.
हिन्दू कभी आतंकी नहीं हो सकता...कांग्रेस ने वोटबैंक के लिए भगवा आतंकवाद के झूठे केस बनाये। pic.twitter.com/4zajrEhO9u
— Amit Shah (@AmitShah) July 30, 2025
मालेगांव ब्लास्ट केस में आये फैसले पर बीजेपी की तरफ से काफी प्रतिक्रियाएं आई हैं. बीजेपी नेता संगीत रागी ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा है कि जिहादियों का दिल जीतने के लिए एक आर्मी अफसर को फंसा दिया गया था.
No evidence against Col Purohit. NIA Court. Shameless Congress fabricated case against Indian Army officer to design Saffron terror to win hearts of Jehadis.
— Sangit Kumar Ragi (@RagiSangit) July 31, 2025
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी मालेगांव ब्लास्ट केस में कांग्रेस पर भगवा आतंकवाद गढ़ने की नापाक कोशिश करने का इल्जाम लगाया है.
मालेगांव ब्लास्ट केस में अदालत का फ़ैसला अभिनंदनीय है। इसके साथ ही कांग्रेस की भगवा आतंकवाद गढ़ने की नापाक कोशिश ध्वस्त हो गई है। तबक़ी केंद्र में यूपीए सरकार और महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने धतकर्म करते हुए इस ब्लास्ट के ज़रिए भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ते हुए मुख्य…
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) July 31, 2025
भारतीय जनता पार्टी के नेता बृजलाल का कहना है कि भगवा आतंकवाद का सिर्फ नैरेटिव रचा गया... ये पूरी साजिश थी... आज कोर्ट ने जो फैसला किया है उससे मैं बहुत खुश हूं... गृह मंत्री ने भी कहा है कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता.
भोजपुरी फिल्म स्टार और गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन कहते हैं, कल गृह मंत्री ने साफ कर दिया कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता... भगवा आतंकवाद को गढ़ा गया जो गलत था. कांग्रेस इसका जवाब दे.
बाकी बातें अपनी जगह हैं, लेकिन मालेगांव केस की ही तरह हाल भी में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस को लेकर आए फैसले में भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. महाराष्ट्र सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है - देखना है, महाराष्ट्र सरकार एनआईए कोर्टे के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देती है या नहीं?