कोलकाता में डॉक्टर के रेप और मर्डर केस के बाद लगातार पश्चिम बंगाल की ममता सरकार बैकफुट पर है. मंगलवार को सरकार ने नबन्ना अभियान प्रोटेस्ट को रोकने के लिए कोलकाता में वही सब कुछ किया जो दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलनकारियों को रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब बॉर्डर पर किया था. बंगाल पुलिस ने निहत्थे आंदोलनकारियों को दबाने के लिए वॉटर कैनन और आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया.आंदोलन करने वाले अपने साथ न बख्तरबंद ट्रैक्टर लाए थे और न ही निहंग सिखों के तरह तलवारें लहरा रहे थे. फिर भी कोलकाता पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी.
पर अचरज की बात ये रही कि देश के कई नामी गिरामी लोग आज अलग एजेंडे पर काम कर रहे थे. डॉक्टर बिटिया के साथ जो हुआ उस पर बोलने के लिए दो शब्द नहीं थे, कल से वही लोग सोशल मीडिया पर कुछ घायल पुलिस वालों की फोटो के साथ भावुक करने वाले लंबे कैप्शन लिख रहे हैं. कोलकाता पुलिस के घायल सिपाहियों के लिए आंसू बहाना ही चाहिए, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता पर डॉक्टर बिटिया के साथ जिस तरह का व्यवहार पुलिस ने किया उसकी निंदा भी होनी चाहिए थी. जो इन लोगों ने नहीं की. किसान आंदोलन के समय यही लोग लिखते थे कि आंदोलन करने वाले क्या देश द्रोही हैं? प्रदर्शन करने वाले देश के लोकतंत्र को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत करते हैं. प्रदर्शनकारियों को भारतीय कानून और न्याय व्यवस्था पर भरोसा है इसलिए वो सड़कों पर है. पर बंगाल के प्रदर्शनकारियों को लेकर वे ऐसे तर्क नहीं दे रहे हैं. जो लोग आज कोलकाता पुलिस के लिए भावुक हो रहे हैं उनको यह बताना जरूरी है कि डॉक्टर रेप और मर्डर केस में कोलकाता पुलिस की लीपापोती को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से लताड़ मिली है.
1-रेपिस्ट के पास रहती है पुलिस की मोटरसाइकिल!
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेप और हत्या के मामले में मंगलवार को एक नई जानकारी सामने आई. जिसे जानकर सभी लोग हैरान हैं. डॉक्टर बिटिया के साथ रेप और हत्या का आरोपी मुख्य अभियुक्त संजय रॉय द्वारा इस्तेमाल की गई बाइक कोलकाता के पुलिस कमिश्नर के नाम पर रजिस्टर है. इंडिया टुडे की पत्रकार श्रेया चटर्जी की रिपोर्ट के मुताबिक यह वही बाइक है जिसे आरोपी संजय रॉय ने अपराध के दिन उत्तर और दक्षिण कोलकाता के रेड लाइट इलाकों में जाने के लिए इस्तेमाल किया था.अपराध वाले दिन उसने 15 किलोमीटर बाइक चलाई थी. कोलकाता पुलिस ने सफाई में कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी वाहन पुलिस कमिश्नर के नाम पर ही रजिस्टर हैं.
कोलकाता पुलिस ने X पर लिखा,
'आरजी कर अस्पताल में यौन उत्पीड़न और मर्डर केस के मुख्य आरोपी द्वारा जिस बाइक का इस्तेमाल किया गया है उसे पहले कोलकाता पुलिस ने सीज़ किया था. बाद में उसे CBI को सौंपा गया. यह बाइक कोलकाता पुलिस कमिश्नर के नाम से रजिस्टर थी. कुछ लोग सोशल मीडिया पर इसे लेकर भाम्रक जानकारी फैला रहे हैं. इस बात को स्पष्ट करने के लिए हम बता देते हैं कि कोलकाता पुलिस के सभी सरकारी वाहन पहले पुलिस कमिश्नर के नाम से रजिस्टर होते हैं. फिर उन्हें अलग-अलग इकाइयों को सौंपा जाता है.'
पुलिस ने ट्वीट करके सफाई तो दे दी पर अपनी सफाई में ये नहीं बताया कि आरोपी संजय तक बाइक पहुंची कैसे? क्या आरोपी पुलिस का एंप्लाई है. अगर संजय रॉय पुलिस का इंप्लाई नहीं है तो पुलिस ने क्यों उसे अपनी बाइक दी हुई थी. ऐसा भी हो सकता है कि पुलिस की बाइक लेकर वह अपने गैरकानूनी कार्यों को अंजाम देता रहा हो. ऐसी खामियों वाली पुलिस बेचारी कैसे हो सकती है?
2-कोलकाता रेप और मर्डर कांड पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने वालों को पुलिस भेजती है नोटिस!
कोलकाता रेप और मर्डर केस को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है.सीबीआई ने जांच कार्य प्रारंभ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सख़्त टिप्पणी की है.लेकिन इन सबके बीच सोशल मीडिया पर घमासान जारी है. सोशल मीडिया में फैल रही ख़बरों को झूठ बताते हुए कोलकाता की पुलिस ने अब तक 280 लोगों को नोटिस भेजा है. इस संबंध में एक छात्रा को गिरफ़्तार भी किया गया जिसे बाद में जमानत मिल गई.
जिन लोगों को नोटिस भेजा गया उनमें टीएमसी सांसद ,वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ, स्टूडेंट, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग , यूट्यबर और सोशल मीडिया एन्फ्लूएंसर और आम लोग भी शामिल हैं. नोटिस के बाद तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कोलकाता हाई कोर्ट में अग्रिम ज़मानत की याचिका भी दायर करना पड़ा. जिन लोगों को नोटिस भेजे गए ,उन्हें या तो अपनी पोस्ट हटाने के लिए कहा गया या फिर थाने में उपस्थित होने को कहा गया.
सोमवार को शहर के जाने-माने डॉक्टरों कुणाल सरकार और सुवर्ण गोस्वामी को कोलकाता पुलिस के मुख्यालय में पेश होने के लिए निकले तो उनके साथ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का हुजूम था. दोनों ही डॉक्टरों ने कहा कि उन्हे मामूली सी बात पूछने के लिए बुलाया गया था.फिर ये डॉक्टर ये भी कहते हैं कि अगर मामूली बात पूछनी थी तो फिर नोटिस क्यों भेजा गया? ये बातें वह फ़ोन पर भी पूछ सकते थे. हम तो सिर्फ़ उस युवा डॉक्टर के लिए न्याय चाहते हैं. बस इतनी सी बात है. दरअसल कोलकाता पुलिस केवल दहशत पैदा करना चाहती है ताकि लोग डरकर विरोध प्रदर्शनों से दूर रहें.
कोलकाता पुलिस ने सिर्फ़ कोलकाता या पश्चिम बंगाल के ही लोगों को नोटिस नहीं भेजे हैं. कोलकाता पुलिस के ये नोटिस राजस्थान, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भी भेजे गए हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि कोलकाता के एक अन्य मेडिकल कॉलेज की छात्रा को भी उनके सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर न सिर्फ़ नोटिस मिला है, बल्कि उनके घर पर स्थानीय थाने से भी फोन आया था.
अब सवाल उठता है कि इस तरह कार्रवाई करने वाली पुलिस क्या बेचारी हो सकती है?
3-निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठी, वाटर-कैनन और आंसू गैस के गोलों की बौछार करती है पुलिस!
पश्चिम बंगाल पुलिस ने जिस तरह मंगलवार को शांतिपूर्ण नबन्ना मार्च को दबाने का प्रयास किया है वो एक ऐसी मिसाल है जो देश में कहीं नहीं मिलेगी. पहले तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन को गैरकानूनी करार दिया जाता है फिर बल प्रयोग करके जनता को दबाने का प्रयास किया जाता है. सोशल मीडिया पर तमाम ऐसी फोटो उपलब्ध हैं जिसमें मुट्ठी भर लोगों पर वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल करते पुलिस दिख रही है. आम तौर पर यह तब होता है जब जब जनता हिंसक हो जाती है. पुलिस की लाठी चार्ज में करीब 100 स्टूडेंट्स घायल बताए जा रहे हैं जबकि 20 से 25 पुलिस वाले भी घायल बताए जा रहे हैं. जिन लोगों को दिल्ली में किसान का ट्रैक्टर आंदोलन याद होगा जब वो लाल किले में घुस गए थे. उन्हें यह भी याद होगा दिल्ली पुलिस के कितने जवान पीटे गए थे. दिल्ली में प्रदर्शनकारी बख्तरबंद ट्रैक्टर लेकर घुस रहे थे. निहंग सिखों के पास तो हथियार भी थे. जबकि कोलकाता में प्रदर्शनकारी खाली हाथ ही थे. फिर भी पुलिस ने उनपर बल प्रयोग किया.
क्या ऐसी पुलिस को बेचारी कहा जा सकता है?
4-10 बजे पता चला कि लड़की है बेहोश, PM बता रही पहले हो चुकी थी मौत
कोलकाता पुलिस ने जो हलफनामा पेश किया है उससे लगता है कि पुलिस बहुत कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि पुलिस की बातों पर लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पुलिस को पीड़िता के बेहोश होने की जानकारी 10 बजे दिन में पता चली थी. मगर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनी डॉक्टर की मौत 3 से 4 बजे सुबह के बीच हो चुकी थी. सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस का ये हलफनामा भी शामिल है. जाहिर है पुलिस की इस तरह की बातों से पहले ही दिन ऐसा लग रहा है कि पुलिस कुछ न कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है.
5-पहले सुसाइड बताकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश क्यों हुई
डॉक्टर के साथ रेप हुआ और उसकी मौत हो गई और पुलिस पहले दिन यह कहती रही कि यह आत्महत्या है. मृत लड़की के घर वालों को सुसाइड ही बताया गया. 'दी लल्लनटॉप' की टीम को मृत डॉक्टर के परिवार ने जो बातें बताईं वो हैरान करती हैं कि कोलकाता पुलिस इनती निर्मम कैसे हो सकती है. मृत लड़की की एक महिला पड़ोसी ने कि मैं, लड़की के माता-पिता और हमारे एक और साथी अस्पताल पहुंचे वहां हमको तीन घंटे खड़े रखा गया. मां-बाप हाथ जोड़ते रहे कि हमारी बच्ची का मुंह एक बार दिखाओ, लेकिन नहीं दिखाया गया. पिता ने अपने मोबाइल फोन में फोटो खींचने के बाद लाकर मुझे दिखाया. उसके मुंह में खून था. चश्मे को कूचा गया था, जिसके कारण आंखों से खून निकला था. शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था. पैर दोनों राइट एंगल में थे. एक पांव बेड के एक तरफ और दूसरा पांव बेड के दूसरी तरफ था. जब तक पेल्विक गर्डल (Pelvic Girdle) नहीं टूटता है, पैर ऐसे नहीं हो सकते. गला घोंटकर उसे मारा गया.' सामान्य सी बात है कि लड़की की डेडबॉडी देखकर कोई भी कह सकता था कि ये सुसाइड नहीं है. कम से कम कोलकाता पुलिस यह कह सकती थी कि मामला संदिग्ध है जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. या पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही सही पता चल सकेगा. पर कोलकाता पुलिस को यह सुसाइड लगना ही संदेह से भर देता है कि पुलिस पहले दिन से कुछ छुपा रही है.