मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को हनुमान भक्त के रूप में जाना जाता है. साथ ही कांग्रेस में वे सॉफ्ट हिंदुत्व के चेहरे रहे हैं. प्रदेश में हनुमान मंदिर, संतों के दर्शन और पूजा पाठ, प्रियंका गांधी से नर्मदा पूजा आदि कराकर बीजेपी को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए जाने जाते रहे हैं. पर इस बार के चुनावों में तो उन्होंने सॉफ्ट हिंदुत्व की सीमा रेखा ही पार कर ली.हाल के दिनों में कमलनाथ की राजनीति कट्टर हिंदुत्व की ओर बढ़ रही है.
दरअसल कमलनाथ को पता है कि प्रदेश की राजनीति में मुसलमान कांग्रेस को छोड़कर कहां जाएंगे. वो जानते हैं कि वो चाहे कितना भी हिंदुत्व की पैरवी कर लें मुस्लिम वोट उनसे छिटकने वाले नहीं हैं. यही कारण है कि कमलनाथ राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान छोड़कर हिंदुत्व की पिच पर जमकर बैटिग कर रहे हैं.कई बार तो ऐसा लगता है कि उनके हिंदुत्व के आगे बीजेपी भी फीकी नजर आ रही है.खास तौर पर दशहरे पर कमलनाथ ने जो हिंदुओं के लिए वादे किए हैं उससे तो यही लगता है कि उनकी सरकार केवल हिंदुओं की सरकार होगी. आइये देखते है किस तरह वो कट्टर होते जा रहे हैं? और बीजेपी उनके मुकाबले के लिए क्या कर रही है?
1- प्रियंका ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह दिखाई, जो अब हार्ड होती जा रही है
इसी साल 12 जून को प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी जबलपुर में 101 ब्राह्मणों के साथ माँ नर्मदा का पूजन कर कांग्रेस के चुनावी अभियान की दिशा तय कर दी थी. जबलपुर शहर में बजरंगबली की तीस-तीस फीट की गदा भी प्रियंका की अगवानी के लिए लगाए गए थे जनता के बीच यह दिखाने की कोशिश थी कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी हिंदू हितों की चिंता करता है. कर्नाटक में राहुल गांधी ने भाजपा के बजरंगबली के नारे को मोहब्बत की दुकान की धर्मनिरपेक्षता से चुनौती दी थी. मध्यप्रदेश तक पहुंचते कांग्रेस भी बजरंगबली के चरणों में बिछ गई. हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन कमलनाथ अपने घर छिंदवाड़ा में करा चुके हैं.शिवकथा वाचक प्रदीप मिश्रा का भी आशीर्वचन लिया जा चुका है. हद तो तब हो गई जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट नवरात्र के पहले दिन सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर जारी किया गया.
2- मुस्लिम सियासत को हाशिए पर पहुंचाया
यह कमलनाथ का हार्ड हिंदुत्व का दांव ही है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस मुस्लिमों से दूरी बनाते हुए नजर आ रही है.कांग्रेस ने एमपी चुनाव के लिए कई समितियां बनाईं पर 102 सदस्यों में सिर्फ तीन मुस्लिम नेताओं को ही जगह मिल सकी.इसी तरह विधायिकी के लिए मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या भी कांग्रेस ने कम कर दी है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में तीन मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे जबकि 2023 में कुल 2 मुस्लिम कैंडिडेट को ही जगह दी गई है. मध्यप्रदेश की राजनीतिक के विशेषज्ञ दिनेश गुप्ता कहते हैं कि कांग्रेस 7 परसेंट वोट के लिए अपना 93 प्रतिशत नहीं खराब करना चाहती है. वैसे भी मुस्लिम वोट कहीं ओवैसी की पार्टी ले जाती है तो कहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी. और प्रदेश भर कांग्रेस पर मुस्लिम समर्थक होने का ठप्पा लग जाता था. इसी रणनीति के तहत मुस्लिम कैंडिडेट को भोपाल तक ही सीमित कर दिया गया है. यही कारण है कांग्रेस अब रोजा इफ्तार भी नहीं रखती. जबकि हिंदुओं के त्योहार में तो कमलनाथ बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं
3- श्रीलंका में सीता मंदिर बनवाने का. वादा
कमलनाथ का नया हिन्दुत्व कार्ड है श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनावाने का वादा. हालांकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली 2018 में बनी सरकार ने श्रीलंका में माता सीता के मंदिर के निर्माण की योजना बनाई थी. पर इसका काम शुरू हो पाता इसके पहले ही प्रदेश में तख्तापलट हो गया और बीजेपी की सरकार बन गई. कमलनाथ ने एक बार फिर वादा किया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो श्रीलंका में देवी सीता के मंदिर का निर्माण दोबारा शुरू किया जाएगा.
4- हिंदू धर्म-कर्म के लिए दर्जन भर वादे
विजयादशमी के अवसर पर कमलनाथ ने हिंदू जनता के लिए कई तरह के वादे किए हैं. मंदिरों में दर्शन के लिए टिकट सिस्टम हटाने की बात करके उन्होंने बीजेपी पर सीधा हमला किया है. भगवान परशुराम के जन्मस्थल जानापाव को भी तीर्थ स्थल घोषित करके उसका विकास करने का वादा किया है. हिंदुओं को परिजनों के मृत होने पर उनके अस्थि विसर्जन एवं अंत्येष्टि के लिए 10 हजार रुपय की सहायता राशि दिए जाने का भी कमलनाथ ने वादा किया है.
कमलनाथ ने अपने पूर्ववर्ती सरकार में भी पुजारियों और महंतों का ख्याल रखा था इस बार उनका बीमा करवाने का वादा किया है.महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, आस्था स्थलों के रख-रखाव और उनसे जुड़े पुजारी एवं सेवकों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए नियम-कानूनों में सुधार करने का भी वादा किया है. रीवा में संत कबीर पीठ और मुरैना में संत रविदास पीठ बनाने का वादा करके दलित हिंदुओं के बीच भी पैठ बनाने की कोशिश की गई है.
5- 'हिंदू हित' में दिग्विजय से रणनीतिक दूरी
कमलनाथ ने सोची समझी रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह से एक निश्चित दूरी बनाकर चल रहे है. कमलनाथ जानते हैं कि दिग्विजय की छवि एंटी हिंदू की है. इसलिए उन्होंने अपने आपको ऐसे स्टैबलिश किया है कि वो दिग्विजय सिंह के साथ न दिखें. आज तक के पंचायत कार्यक्रम में उन्हें कमलनाथ ने यहां तक कह दिया कि वे दिग्विजय सिंह के मित्र हैं पर उनकी सुनते नहीं हैं. दिग्विजय सिंह का नाम बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के प्रति हमदर्दी और हाफिज सईद और ओसामा को जी कहकर बोलने तक हिंदुओं के बीच काफी बदनाम रहा है.
5- बीजेपी कैसे कर रही मुकाबला
कमलनाथ भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड के ज़रिए ही शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से अपदस्थ करना चाहते हैं. पर सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के इस तरह के शार्ट कट का पार्टी को नुकसान नहीं होगा ? मोदी या भाजपा की काट अगर हिन्दुत्व है फिर बीजेपी ही क्यों नहीं जैसे सवालों का जवाब कैसे देगी कांग्रेस?
राजनीतिक विष्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं कि बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने हिंदुत्व की लकीर बड़ी खींच दी है. इसलिए बीजेपी और बड़ी लकीर खीचने की तैयारी में है.शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के कई धर्मस्थलों पर महाकाल जैसा कॉरीडोर बनाने का वादा किया है. कई जगह बहुत तेज गति से काम भी हुए हैं. ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की मूर्ति लग चुकी है. दूसरे मध्य प्रदेश में एक नया वोट बैंक तैयार हुआ है. वो है महिलाओं का वोट. मध्य प्रदेश में महिलाओं के बीच शिवराज सिंह चौहान अपनी तमाम योजनाओं के चलते बहुत लोकप्रिय हैं. हालांकि कांग्रेस भी महिलाओं को लुभाने के लिए तमाम फ्रीबीज वाली योजनाएं ले कर आने का वादा कर रही है. अब देखना है कि महिलाओं को कितना भरोसा जीतने में कामयाब होती है कांग्रेस.