बीएमसी चुनाव से पहले आए महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनाव के नतीजे बहुत सारे सूरत-ए-हाल बता रहे हैं. बीएमसी चुनाव अगर विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के लिए अस्तित्व की लड़ाई का मैदान है, तो सत्ताधारी महायुति के लिए सियासी वर्चस्व साबित करने का बेहतरीन मौका - कॉमन बात ये है कि दोनों ही पक्ष अब तक सीटों के बंटवारे से जूझ रहे हैं.
मीडिया के सामने साथ आए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने बस इतना ही बताया कि वे मिलकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, ये नहीं बताया कि सीटों का बंटवारा भी फाइनल हो चुका है, जैसा संजय राउत लगातार दावे कर रहे थे. मामला अब भी कहीं न कहीं अटका हुआ ही है.
महायुति की स्थिति भी बहुत ज्यादा अलग तो नहीं है, लेकिन थोड़ी बेहतर लगती है. अब तक का आखिरी अपडेट यही है कि बीएमसी की 227 सीटों में से 200 सीटों पर गठबंधन सहयोगियों में सहमति बन चुकी है. 27 सीटों पर अब भी पेच फंसा हुआ है - और इसकी वजह है बीजेपी की जिद के सामने एकनाथ शिंदे और अजित पवार की बड़ी दावेदारी.
ऐसे कई फैक्टर हैं जो महायुति की चुनावी राह में रोड़े बनकर खड़े हो गए हैं, लेकिन किस्मत से कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो गठबंधन की राह को आसान भी बना रही हैं. बृहन्मुबई महानगरपालिका चुनाव के लिए 15 जनवरी, 2026 को वोट डाले जाएंगे, और वोटों की गिनती अगल दिन 16 जनवरी को होगी.
महायुति में सीटों का बंटवारा कहां तक?
लेटेस्ट अपडेट यही है कि महायुति के सहयोगी दलों के नेताओं के बीच 200 सीटों पर सहमति बन चुकी है. लेकिन, 27 सीटें अब भी ऐसी हैं, जिन पर पेच फंसा हुआ है.
1. बीजेपी अब 125 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार बताई जा रही है. पहले बीजेपी 150 सीटों पर खुद चुनाव लड़ना चाहती थी, और बाकी 77 सीटे सहयोगी दलों को देना चाहती थी.
2. एकनाथ शिंदे की शिवसेना 101 सीटें मांग रही है. एकनाथ शिंदे अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. कुछ रिपोर्ट में उनके 125 सीटों की मांग की भी बात कही गई है.
3. अगर बीजेपी 125 सीटें ले ले, और एकनाथ शिंदे 101, फिर तो अजित पवार के लिए 1 ही सीट बचेगी. बीएमसी में कुल 227 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं.
4. अब से पहले 2017 में बीएमसी के चुनाव हुए थे, और तब भी बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था. फर्क ये है कि उद्धव ठाकरे की जगह एकनाथ शिंदे ने ले ली है. तब शिवसेना को 84 और 82 सीटें मिली थीं.
महायुति के सामने खड़ी मुश्किलें
1. महायुति की पहली मुश्किल तो सीटों का बंटवारा ही है, और इस बार एकनाथ शिंदे के मुकाबले अजित पवार ज्यादा नाराज नजर आ रहे हैं. बीएमसी के लिए तो नहीं, लेकिन ठाणे नगर निगम को लेकर एनसीपी प्रवक्ता आनंद परांजपे का दावा है कि बीजेपी और शिंदे सेना के स्थानीय नेता तो सीट शेयरिंग पर बात कर रहे हैं, लेकिन एनसीपी को को बुलाया तक नहीं जा रहा है.
2. नवाब मलिक को लेकर भी बीजेपी को कड़ी आपत्ति है. और इसे लेकर बीजेपी और अजित पवार में तकरार चल रही है, ऐसी खबर है. मनी लॉन्ड्रिगं से जुड़े ED केस में अदालत के आरोप तय कर लेने से बीजेपी नवाब मलिक को साथ लेकर चलने में असहज महसूस कर रही है.
3. ठाकरे बंधुओं का साथ आना भी महायुति के लिए थोड़ा मुश्किलें खड़ी कर सकता है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों भाइयों का मराठी मानुष के मुद्दे पर जोर दिखा. दोनों ने चुनाव जीतने पर मराठी मेयर देने का भी वादा किया है. हालांकि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कटाक्ष किया है, जैसे 'रूस और यूक्रेन' एक हो गए हों या 'पुतिन और जेलेंस्की' बात कर रहे हों.
4. उद्धव ठाकरे मुस्लिम वोटर का समर्थन हासिल करने पर फोकस कर रहे हैं. असल में, 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को गोवंडी, मानखुर्द, बायकुला और माहिम जैसे मुस्लिम-बहुल इलाकों में खासी बढ़त मिली थी.