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MP में मानवता शर्मसार! मरीज की पत्नी से करवाई एंबुलेंस की सफाई, ड्राइवर बोला- उल्टी की है तो धोना पड़ेगा

Humanity Shamed in Satna: सतना जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर पहुंचते ही ड्राइवर ने संवेदनहीनता दिखाई और घायल मरीज की पत्नी से कहा कि वह एंबुलेंस को साफ करे. बेबस महिला एक बाल्टी में पानी भरकर वाहन को धोने लगी.

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एंबुलेंस साफ करती हुई मरीज की पत्नी.(Photo:Screengrab/ITG)
एंबुलेंस साफ करती हुई मरीज की पत्नी.(Photo:Screengrab/ITG)

MP News: सतना जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में एक बार फिर संवेदनहीनता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. रामनगर से सड़क हादसे में घायल एक मरीज को लेकर आई 108 एंबुलेंस के चालक ने अमानवीयता की हदें पार करते हुए मरीज की पत्नी से ही एंबुलेंस की सफाई करवा दी. यह शर्मनाक घटना जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर सबके सामने हुई.

दरअसल, रामनगर निवासी कमलेश रावत सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनका पैर टूट गया था. प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें 108 एंबुलेंस के माध्यम से सतना जिला अस्पताल रेफर किया गया.

सतना आते समय रास्ते में मरीज कमलेश रावत की तबीयत बिगड़ने के कारण उसे उल्टियां हो गईं, जिससे एंबुलेंस का पिछला हिस्सा गंदा हो गया.

उल्टी होने पर पत्नी को दी सजा

जैसे ही एंबुलेंस जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर पहुंची, एंबुलेंस चालक ने संवेदनहीनता दिखाते हुए घायल मरीज की पत्नी से कहा कि वह एंबुलेंस को साफ करे.

घायल की पत्नी का बयान

विवश होकर महिला ने एक बाल्टी में पानी भरकर गंदी हुई सरकारी एंबुलेंस को धोना शुरू कर दिया. वीडियो में महिला स्पष्ट रूप से बता रही है कि ड्राइवर ने कहा है, ''उल्टी की है तो धोना पड़ेगा." यह पूरी घटना अस्पताल के मुख्य गेट पर पर खुलेआम होती रही.

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हैरानी की बात यह है कि मौके पर मौजूद किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने इस शर्मनाक और अमानवीय कृत्य को रोकने या महिला की मदद करने की जहमत नहीं उठाई. यह घटना इसलिए भी अधिक गंभीर है, क्योंकि 108 एंबुलेंस सेवा में वाहन की साफ-सफाई के लिए सरकार अलग से बजट निर्धारित करती है.

सरकार के सख्त निर्देश हैं कि किसी भी पीड़ित मरीज या उसके परिजनों से वाहन की सफाई के नाम पर कोई काम नहीं कराया जाएगा. इसके बावजूद, एक घायल मरीज की पत्नी से एंबुलेंस धुलवाना न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि मानवता के खिलाफ एक अपराध जैसा कृत्य है.

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर सबके सामने यह घटना घटित हुई, लेकिन अस्पताल प्रशासन की चुप्पी ने इस अमानवीय व्यवहार को जैसे मौन समर्थन दे दिया. यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या जिला अस्पताल प्रशासन ऐसे गंभीर मामलों में आंखें मूंदें रहता है? इस घटना ने 108 जैसी जीवनरक्षक सेवा की साख को गहरा आघात पहुंचाया है और प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर किया है.

CMHO का बयान

प्रभारी CMHO डॉ. मनोज शुक्ला ने कहा, "यह बिल्कुल भी उचित नहीं है, क्योंकि गाड़ी का रखरखाव, साफ-सफाई यह सब ये कंपनी जो आउटसोर्स कंपनी है जो गाड़ी चला रही है, एंबुलेंस चला रही है, ये उसका जिम्मा है. ना कि मरीज के परिजन का जिम्मा है कि वो उसको साफ करे. तो यह बेहद ही गलत हरकत है और अच्छी बात बिल्कुल नहीं है. इससे विभाग की भी छवि धूमिल होती."

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CMHO ने कहा, "हमने उसके 108 के जो जिला समन्वयक हैं और उनके जो ऊपर वाले अधिकारी हैं, उनको भी इन्फॉर्म करते हुए उसको नोटिस जारी किया है. संबंधित वाहन पे जो स्टाफ हैं, उस पर एक्शन लें और यहां सूचित करें."

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