मध्य प्रदेश अपनी अनोखी घटनाओं के लिए अक्सर सुर्खियों में रहता है और इस बार जबलपुर पुलिस चर्चा में है. एक ऐसी घटना ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है, जिसमें महज 165 रुपए की मिठाई और गुटखा पाउच की चोरी के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.
यह घटना जबलपुर जिले के सिहोरा थाना इलाके में हुई. दरअसल, देवकरण विश्वकर्मा और उनके बेटे आयुष विश्वकर्मा मिलकर एक बेकरी चलाते हैं. बीते 24 अप्रैल को आशुतोष ठाकुर और संचित नाम के दो युवक गुटखा का पाउच खरीदने के बहाने बेकरी पहुंचे. भले ही गुटखे का बहाना रहा हो, लेकिन आशुतोष का ध्यान काउंटर पर रखे रसगुल्लों के डिब्बे पर गया. उसने दुकानदार के आधी नींद में होने का फायदा उठाते हुए 125 रुपए की कीमत वाला रसगुल्ला का डिब्बा चुपके से अपनी जेब में डाल लिया. इस बीच, संचित दुकान के किनारे निगरानी करता रहा. इसके बाद आशुतोष ने 20-20 रुपए के दो गुटखा के पाउच मांगे और भुगतान ऑनलाइन करने का वादा किया. हालांकि, सामान मिलते ही वह और उसका साथी तुरंत भाग निकले. बाद में चेक पर दुकानदार आयुष को पता चला कि पैसे खाते में आए ही नहीं थे.
संदेह होने पर पिता-पुत्र की जोड़ी ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें साफ तौर पर आशुतोष रसगुल्ले का पैकेट जेब में रखता हुआ दिखाई दे रहा था, जबकि संचित निगरानी कर रहा था. वीडियो में दोनों को घटना के बाद भागते हुए भी कैद हुआ है. 26 अप्रैल को दुकान के मालिक देवकरण विश्वकर्मा ने सिहोरा थाने में शिकायत दर्ज कराई.
हैरानी की बात यह है कि चोरी की गई वस्तुओं का मूल्य मात्र 165 रुपये होने के बावजूद पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से लिया और दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. यह घटना जल्द ही शहर में चर्चा का विषय बन गई. शुरू में छोटी-सी चोरी लगने वाला यह मामला वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक पहुंचने के बाद विभागीय चिंता का कारण बन गया.
सिहोरा पुलिस के थानेदार और एफआईआर दर्ज करने वाले एएसआई दोनों को स्पष्टीकरण के लिए बुलाया गया. उनसे इतने कम मूल्य के मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू करने के निर्णय को उचित ठहराने को कहा गया.
भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत हाल ही में संशोधित प्रावधानों के अनुसार, 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी को अब गैर-संज्ञेय अपराध माना जाता है. इसका मतलब है कि पुलिस बिना मजिस्ट्रेट या अदालत की पूर्व अनुमति के ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती या गिरफ्तारी नहीं कर सकती. ऐसे मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) की हमेशा आवश्यकता नहीं होती. इस कानूनी संदर्भ में 165 रुपए की चोरी पर एफआईआर दर्ज करने के निर्णय ने पुलिस कर्मियों के बीच जागरूकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने वाले थाने के एएसआई मथुरा प्रसाद पौराणिक ने aajtak को बताया कि उन्हें बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज करने के नए प्रावधानों की जानकारी नहीं थी. उनके मुताबिक, पुरानी भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत 100 रुपए से अधिक की चोरी एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त थी. इसी पुराने दिशानिर्देश के आधार पर उन्होंने 165 रुपए की मिठाई और गुटखा चोरी के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली.
aajtak ने इस विवादास्पद एफआईआर को लेकर जबलपुर जिले के एसपी संपत उपाध्याय से भी बात की. एसपी ने पुष्टि की कि मामला उनके संज्ञान में है और उन्होंने मामले में प्रक्रियागत चूक को स्वीकार किया.
इसके जवाब में, एसपी उपाध्याय ने बताया कि एफआईआर दर्ज करने वाले एएसआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित थाने को इस मामले में एक सप्ताह के भीतर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं.