MP News: रायसेन जिले में सामाजिक बहिष्कार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. उदयपुरा के पिपरिया पुआरिया गांव में भरत सिंह धाकड़ ने आरोप लगाया है कि एक दलित परिवार के यहां श्राद्ध समारोह में खाना खाने पर गांव की पंचायत ने उनके परिवार का समाज से बाहर कर दिया है.
यह घटना करीब एक महीने पहले जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर उदयपुरा के पिपरिया पुआरिया गांव में हुई थी और इस मामले की जन सुनवाई के दौरान यह सामने आई।
गांव की पंचायत ने एक दलित आदमी के घर खाना खाने के लिए ऊंची जाति के समुदाय के 3 सदस्यों का सामाजिक बहिष्कार करने का आदेश दिया और बहिष्कार से बचने के लिए उनके सामने कुछ शर्तें रखीं, जिसमें भोज देना भी शामिल था.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीनों में से 2 लोगों ने पंचायत की शर्तें मान लीं और 'प्रायश्चित' किया, लेकिन उनमें से एक भरत सिंह धाकड़ ने पुलिस से संपर्क किया और गांव की संस्था के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसके और उसके परिवार के सदस्यों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है। हालांकि, गांव के सरपंच ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.
उदयपुरा के तहसीलदार दिनेश बरगले ने बताया कि धाकड़ ने जन सुनवाई के दौरान कलेक्टर को एक आवेदन दिया, जिसमें पंचायत पर सामाजिक बहिष्कार का आदेश जारी करने का आरोप लगाया गया. उन्होंने कहा कि धाकड़ ने ये आरोप संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच, उप सरपंच और पंचों पर लगाए हैं.
बरगले ने कहा, "मामले की जांच की जा रही है और अगर आरोप सच पाए जाते हैं, तो इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी."
धाकड़ ने बताया कि उन्होंने और उनके साथी ग्राम पंचायत सहायक सचिव मनोज पटेल और शिक्षक सत्येंद्र सिंह रघुवंशी ने गांव में एक दलित परिवार के घर 'श्राद्ध' समारोह के हिस्से के रूप में खाना खाया था.
गौहत्या से भी बड़ा पाप बताया
लेकिन घटना के बाद पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें घोषणा की गई कि दलित के घर खाना खाना गौहत्या से भी बड़ा पाप है और जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें गंगा नदी में स्नान करके और गांव में दावत देकर खुद को शुद्ध करना होगा.
धाकड़ ने दावा किया कि पंचायत के दबाव में पटेल और रघुवंशी ने गंगा नदी में नहाया और गांव में भोज का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद, उन्हें और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया और सभी कार्यक्रमों से बाहर कर दिया गया. धाकड़ ने कहा कि उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा था और उन्हें मंदिर में घुसने से रोका जा रहा था.
उन्होंने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने यह मुद्दा पंचायत के सामने उठाया, तो उनसे कहा गया कि वे अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए अपना सिर मुंडवा लें और अपने पिता के जीवित रहते हुए ही उनका पिंड दान (मृत्यु के बाद की रस्म) करें.
उधर, सरपंच भगवान सिंह पटेल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा, "अगर गांव में कोई उन्हें निजी कारणों से अपने कार्यक्रम में नहीं बुला रहा है, तो यह उनका निजी मामला है. छुआछूत जैसे आरोप सही नहीं हैं."
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उदयपुरा मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का विधानसभा क्षेत्र है. सरपंच ने कहा कि विधायक और राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल भी आए थे और उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन अगर वे नहीं सुन रहे हैं, तो वह क्या कर सकते हैं?
पुलिस और प्रशासन का रुख
सब-डिविजनल पुलिस अधिकारी (SDOP) कुंवर सिंह मुकाती ने कहा कि गांव में किसी को सामाजिक कार्यक्रमों से बाहर करना, उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार करना, या गंगा में नहाने, दावत देने और सिर मुंडवाने जैसी सजा देना भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दंडनीय अपराध हैं.
उन्होंने कहा, "सामाजिक दुश्मनी फैलाना, दबाव या धमकियों से सामाजिक दंड देना, और सामाजिक भागीदारी को रोकना अपराध हैं. हर नागरिक को गरिमा और समानता के साथ जीने का अधिकार है. इसलिए अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है, तो जांच की जाएगी और दोषियों पर मुकदमा चलाया जाएगा."
'दोस्त के घर खाने गए थे'
जब दलित के घर धाकड़ के साथ खाना खाने वाले शिक्षक सत्येंद्र सिंह रघुवंशी से इस बारे में संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि अब उन्हें किसी बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वह पिछले 16 सालों से गांव के सरकारी मिडिल स्कूल में तैनात हैं और जिस दलित व्यक्ति के घर वह खाना खाने गए थे, वह उनका दोस्त है.
सत्येंद्र सिंह रघुवंशी ने कहा, "मैं जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करता, इसलिए मैं 'श्राद्ध' समारोह के दौरान अपने दोस्त संतोष मेहतर के घर खाना खाने गया था. किसी ने इस घटना का वीडियो बनाया और उसे स्थानीय स्तर पर फैला दिया, जिससे विवाद हो गया."
'किसी से कोई शिकायत नहीं'
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए रघुवंशी ने माना कि पंचायत के आदेश के अनुसार, वह इलाहाबाद में अपने गुरु के आश्रम गए थे और नदियों के संगम पर नहाकर वापस आए. उन्होंने कहा, "मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है."