scorecardresearch
 
Advertisement

साहित्य आजतक: बोल्ड लेखन पर क्यों होने लगती है बेचैनी?

साहित्य आजतक: बोल्ड लेखन पर क्यों होने लगती है बेचैनी?

साहित्य आजतक 2018 के तीसरे सत्र 'कलम आजाद है तेरी' में तीन उपन्यासकार और लेखिकाएं इंदिरा डांगी, नीलिमा चौहान और शर्मीला जालान शामिल हुईं. इस सत्र का संचालन अंजना ओम कश्यप ने किया. इस दौरान कहा गया कि आज कोई जौहर को न्याय संगत नहीं कह सकता है. लेकिन इतिहास में एक समय था जब इसका जमकर महिमामंडन हुआ था. हम उन महिलाओं की कहानी लिखते हैं, जिनको जलाया जाता है, रेप किया जाता था,मारा जा रहा है, काटा जा रहा है.

Advertisement
Advertisement