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काशीनाथ सिंह द्वारा लिखित 'उपसंहार' का बुक रिव्यूः 'विवश' द्वारकाधीश की कहानी है 'उपसंहार'

महाभारत युद्ध को अधर्म पर धर्म की जीत मानते हैं. पांडवों ने श्री कृष्ण के मार्गदर्शन में कौरवों को पराजित किया था, लेकिन महाभारत के बाद क्या हुआ था? क्या वाकई इस धर्मयुद्ध के बाद शांति और अमन कायम हो गया था?

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काशीनाथ सिंह की किताब उपसंहार
काशीनाथ सिंह की किताब उपसंहार

किताबः उपसंहार
लेखकः काशीनाथ सिंह
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड
कवरः हार्डकवर
मूल्यः 250 रुपये

महाभारत युद्ध को अधर्म पर धर्म की जीत मानते हैं. पांडवों ने श्री कृष्ण के मार्गदर्शन में कौरवों को पराजित किया था, लेकिन महाभारत के बाद क्या हुआ था? क्या वाकई इस धर्मयुद्ध के बाद शांति और अमन कायम हो गया था? काशीनाथ सिंह की किताब उपसंहार आपको इन सवालों का जवाब देगी साथ ही श्री कृष्ण के ऐसे रूप से आपको अवगत कराएगी जिसके बारे में आपने शायद ही कभी कल्पना की होगी. श्री कृष्ण की बाल लीला, रास लीला के बारे में आप बहुत पढ़ चुके होंगे, लेकिन उनकी विवशता और आत्मग्लानि के बारे में शायद ही आपने कभी कुछ पढ़ा हो.

ये किताब जितनी श्री कृष्ण की है उतनी ही द्वारका के बनने से लेकर उसके विनाश की भी है. महाभारत युद्ध के बाद सबको लगा था हर तरफ अमन और शांति होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि पांडवों के राज्य में अधर्म और अशांति की पराकाष्ठा देखने को मिल रही थी. राज्य में सूखा आया हुआ था और युधिष्ठिर अपनी जिम्मेदारियों से भागते फिर रहे थे.

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महाभारत के दौरान श्री कृष्ण ने जो छल किए थे उसकी कीमत उन्हें अपनी नींद और चैन की बलि देकर चुकानी पड़ रही थी. श्री कृष्ण का ये रूप ईश्वरीय अलौकिकता से दूर एक ऐसे मनुष्य का है जिसकी असाधारण उपलब्धियों के पीछे खड़ी विफलताएं अब एक-एक करके सामने आ रही हैं.

श्री कृष्ण कैसे एक भगवान से विविश इंसान बन गए, इतने विवश हो गए कि अपने राज्य और प्रजा किसी को भी नहीं बचा सके. महाभारत युद्ध के बाद उन्हें ये बात ताउम्र सालती रही कि वो चाहते तो ये युद्ध रुकवा सकते थे. जो समुद्र श्री कृष्ण का पांव धोता था वो भी महाभारत युद्ध के बाद उनसे नाराज रहने लगा था.

उपसंहार में महर्षि दुर्वासा का रूप आपको अचंभित कर देगा. दुर्वासा अपने गुस्से के लिए जाने जाते हैं और जब वो द्वारका आते हैं तो श्री कृष्ण पूरी कोशिश करते हैं कि महर्षि दुर्वासा को थोड़ा सा भी गुस्सा नहीं आए.

इसी कोशिश में दुर्वासा के आदेश पर श्री कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मिणी के साथ पूरे नग्न तक हो जाते हैं लेकिन फिर भी दुर्वासा के श्राप से बच नहीं पाते हैं और जो अंत में उनकी मृत्यु का कारण भी बनता है. यह कहानी बहुत रोचक है और ईश्वर की मानवीय विवशता की ओर इंगित करती है. उपसंहार में भीम द्वारा दुर्योधन के वध को लेकर दाऊ के क्रोध का भी वर्णन है और राधा के लिए श्री कृष्ण की तड़प का भी. राधा और कृष्ण के प्रेम को बेहद यकीनी ढंग से दिखाया गया है.

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जिस कृष्ण के विराट रूप के सामने कुरुक्षेत्र में 18 अक्षौहिणी सेना दृष्टि खो बैठी थी वही कृष्ण अवश नजर आते हैं. उपसंहार मनुष्य होने की त्रासदी, नियति और संघर्ष की कहानी है. उपसंहार युद्ध और शांति के बीच के आंदोलन की कहानी है. यह उपन्यास काशीनाथ सिंह की अब तक की रवायत से बहुत हटकर है. काशी को उनके हास परिहास और समय पर तल्ख व्यंग्य वाले उपन्यास काशी का अस्सी के लिए जाना जाता है.
मगर उपसंहार एक नए द्वार की ओर प्रस्थान है. भारतीय मिथकों, प्राचीन गाथाओं और खासकर महाभारत में दिलचस्पी रखने वालों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए.

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