धर्म और जाति से परे, सनातन धर्म के मूल, परम तत्व को जीवन में अपनाने वाले, महान आध्यात्मिक संत, समाजसेवी, मानवता के परमपोषक, मां काली के उपासक, स्वामी विवेकानंद के गुरु, दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर पढ़िए साहित्य आजतक की विशेष प्रस्तुति.
30 जनवरी, 1948 की शाम को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भौतिक शरीर की हत्या नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर कर दी गई थी. पर क्या वह उनके विचारों, सपनों को खरोंच भी पहुंचा सकी. पढ़िए महात्मा के जीवन की एक घटना
चंद्रमाप्रसाद खरे इंदुभूति ऐसे ही कवियों में हैं जिन्हें परिस्थितियों ने कवि बना दिया. 90 पार के खरे की रचनाशीलता उम्र की उत्तरशती के बावजूद थमी नहीं. उनकी बौद्धिक इंद्रियां सजग हैं- इसलिए वे सदैव अपने देखे जिये और भोगे को लिखते रहे.
दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने की दावेदारी करने वाले देश-अमेरिका-के राष्ट्रपति चुनाव का आँखों-देखा हाल बयां करने वाली अविनाश कल्ला की पुस्तक 'अमेरिका 2020: एक बंटा हुआ देश' का सबसे रोचक अंश
हाल के कुछ वर्षों में कविता कहानी और उपन्यास लेखन की पारंपरिक विधाओं से अलग नया बहुत कुछ रचा जा रहा है, जिसने न केवल विधाओं के नए क्षितिजों का उदघाटन किया है बल्कि एक नया पाठक संसार पैदा किया है. कथेतर गद्य की विविध विधाओं पर एक नजर
कल्हण की राजतरंगिणी से अबतक के उपलब्ध हर साहित्य ने दिद्दा की नकारात्मक छवि ही उकेरी थी. हीरोइन कंगना राणावत को कानूनी नोटिस भेजने के बाद लेखक आशीष कौल 'दिद्दाः कश्मीर की योद्धा रानी' के साथ हिंदी में आए हैं.
पेंगुइन प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक में प्रभाकर मिश्रा ने राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की 40 दिनों की सुनवाई के बारे में विस्तार से लिखा है. साथ ही फैसले से जुड़ी कई अन्य दिलचस्प बातों का वर्णन भी किया है.
साहित्य और संस्कृति की अपनी तरह की इकलौती संस्था मुशायरा का सफर जारी है. शब्दों का यह उत्सव आज भी हो रहा है. साहित्य आजतक के पाठकों के लिए इक़बाल रिज़वी की पुस्तक 'क्या रहा है मुशायरों में अब' का अंश.
'अमेठी संग्रामः ऐतिहासिक जीत, अनकही दास्तान' पुस्तक इनदिनों काफी चर्चा में है. इस पुस्तक में अमेठी के इतिहास के साथ ही स्मृति इरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा की चर्चा बेहद बारीक ढंग से की गई है.
कोरोना की विश्वव्यापी व्याधि के बावजूद कवियों की कलम रुकी नहीं. वह चलती रही. कविता, गीत, ग़ज़ल दोहे आदि सभी शैलियों में कविता का संसार उर्वर रहा. बीते साल कविता के परिदृश्य एक नजर
कोरोना की विश्वव्यापी व्याधि के बावजूद हिंदी लेखन की दुनिया ठिठक कर बैठी नहीं थी. सोशल मीडिया पर सक्रियता के साथ-साथ प्रकाशन गृहों ने अपना कारोबार भी संभाला. कथा साहित्य की दुनिया जिन छपे शब्दों से गुलजार हुई, साहित्य आजतक ने उनका एक जायजा लिया.