'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' में वर्ष 2025 के शीर्ष 'अनूदित' पुस्तकों में अंग्रेजी, स्पेनिश, ओड़िआ से अनूदित पुस्तकों के अलावा इस वर्ष हिंदी से अंग्रेजी में अनूदित पुस्तक ने भी अपनी जगह बनाई है. इन अनूदित कृतियों में उपन्यास, आत्मकथाएं और जीवनियां भी शामिल हैं. वर्ष 2025 के दस उम्दा अनुवाद-पुस्तकों की पूरी सूची यहां आप पढ़ें, उससे पहले कुछ बातें आपसे...
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पुस्तकें आपको बताती हैं, जताती हैं, रुलाती हैं. वे भीड़ में तो आपके संग होती ही हैं, आपके अकेलेपन की भी साथी होती हैं. शब्द की दुनिया समृद्ध रहे, आबाद हो, फूले-फले और उम्दा पुस्तकों के संग आप भी हंसें-खिलखिलाएं, इसके लिए इंडिया टुडे समूह ने अपने डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' पर वर्ष 2021 में पुस्तक-चर्चा कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहत स्वरूप में सर्वप्रिय है.
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में लेखक और पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इनमें 'एक दिन एक पुस्तक' के तहत हर दिन पुस्तक चर्चा; 'नई पुस्तकें' कार्यक्रम में हमें प्राप्त होने वाली हर पुस्तक की जानकारी; 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृतियों पर बातचीत; और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद शामिल है.
'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे प्रसारित हो रहे 'बुक कैफे' को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली है. 'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 से 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की तो उद्देश्य यह रहा कि उस वर्ष की विधा विशेष की दस सबसे पठनीय पुस्तकों के बारे में आप अवश्य जानें. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला इसलिए भी अनूठी है कि यह किसी वाद-विवाद से परे सिर्फ संवाद पर विश्वास करती है. इसीलिए हमें साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों का खूब आदर प्राप्त होता रहा है. यहां हम यह भी स्पष्ट कर दें कि यह सूची केवल बेहतरीन पुस्तकों की सूचना देने भर तक सीमित है. यह किसी भी रूप में पुस्तकों की रैंकिंग नहीं है.
'बुक कैफे' पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण के साथ ही हम पर आपके विश्वास और भरोसे का द्योतक है. बावजूद इसके हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक न पहुंची हों, यह भी हो सकता है कुछ श्रेणियों की बेहतरीन पुस्तकों की बहुलता के चलते या समयावधि के चलते चर्चा में शामिल न हो सकी हों... फिर भी हमारा आग्रह है कि इससे हमारे प्रिय दर्शकों, पुस्तक प्रेमी पाठकों के अध्ययन का क्रम अवरुद्ध नहीं होना चाहिए. आप खूब पढ़ें, पढ़ते रहें, पुस्तकें चुनते रहें, यह सूची आपकी पाठ्य रुचि को बढ़ावा दे, आपके पुस्तक संग्रह को समृद्ध करे, यही कोशिश है, यही कामना है.
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और अपनापन देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2025 की 'अनुवाद' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं ये-
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* 'रस्किन बॉन्ड अपनी धुन में' | मूल अंग्रेजी- रस्किन बॉन्ड | हिंदी अनुवाद- प्रभात सिंह
पिछले सात दशकों से, बड़े-छोटे शहरों, गांव और क़स्बों में आबाद हर उम्र के बेशुमार पढ़नेवालों के लिए रस्किन बॉन्ड बेहतरीन साथी रहे हैं.बॉन्ड की यह आत्मकथा बताती है कि उन्होंने अपनी कहानियां और क़िस्से कहां से उठाए हैं. एक पुरअसर सपने से शुरुआत करके वे अरब सागर के किनारे बसे जामनगर में अपने ख़ुशनुमा बचपन, जहां उन्होंने अपनी पहली अनुवाद लिखी; 1940 के दशक की नई दिल्ली जहां हुए तज़ुर्बों के हवाले से उन्होंने अपनी पहली कहानी लिखी थी. लेकिन ख़ुशियों का यह मुख़्तसर दौर माता-पिता के अलगाव और फिर पिता की असामयिक मृत्यु के साथ ख़त्म हो गया. शिमला में बोर्डिंग स्कूल के दिन, देहरादून में सर्दियों की छुट्टियां, अकेलेपन से उबरने की कोशिश, दोस्तों का बनना और खोना, महत्त्वपूर्ण किताबों की खोज, और ज़िन्दगी का मक़सद तलाशते हुए इंग्लैंड में मुश्किल-भरे चार साल...बॉन्ड ने अपनी एकाकी ज़िन्दगी और दिल टूटने के वाक़ियों का ख़ासा मर्मस्पर्शी आख्यान रचा है. आख़िरी खंड में वह भटकाव से अपने छुटकारे और मसूरी की पहाड़ियों में आबाद होने के बाद ज़िन्दगी में आए ठहराव के बारे में लिखते हैं. अंग्रेजी में Lone Fox Dancing : My Autobiography नाम से प्रकाशित इस आत्मकथा का बेहद उम्दा अनुवाद किया है प्रभात सिंह ने.
- प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
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* धरती का रोना | मूल ओड़िआ - शांतनु कुमार आचार्य | हिंदी अनुवाद - सुजाता शिवेन
- ओड़िआ का यह अनूठा उपन्यास विद्यालयों के राजनीतिक क्रीड़ाभूमि बन जाने और पीढ़ियों के वैचारिक बदलावों की अनोखी गाथा कहता है. इस कालजयी उपन्यास में बहुप्रतिष्ठित कथाकार आचार्य ने जीव-अजीव, जल-स्थल, पहाड़-झरना, वृक्ष-लता और इन सबके बीच माटी-मनुष्य के संबंधों को व्यवहार की कसौटी पर कसा है. वे संस्कृति-विज्ञान, आत्मा और ब्रह्म के विचार, चिंतन और मनुष्य के परस्पर संबंध में आने वाली दुविधा और बदलावों को भी अपने निज अनुभव से जीवंत कर देते हैं. यह आत्मचरितात्मक उपन्यास काल्पनिक और यथार्थ चरित्रों के माध्यम से ओड़िशा के बहाने पूरे देश के समक्ष उपस्थित इस विशद प्रश्न को परखता है कि- आखिर ऐसा क्या हुआ कि 15 अगस्त, 1947 को स्वाधीनता के साथ ही समूचा भारतीय समाज एक उत्कट भोगवादी और व्यक्तिवादी मानसिकता से आप्लावित हो गया? वे अतीत और वर्तमान दोनों के चिंतकों, विचारकों, प्राध्यापकों और नेताओं से प्रश्न करते हैं कि ऐसा क्या हुआ कि स्वाधीनता-पूर्व के भारतीय बोध, कर्तव्य और करुणा के प्रति आमजन की श्रद्धा न केवल विलोपित हुई, बल्कि मातृ-भूमि के प्रति प्रेम और मानव-मनस्कता में भी अचानक बदलाव आया है. ओड़िआ में 'धरित्रीर कांदा' नाम से प्रकाशित इस कृति का हिंदी में बेहद सरस और उम्दा अनुवाद सुजाता शिवेन ने किया है.
- प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास
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* चार्ली चैप्लिन: मेरी आत्मकथा | मूल अंग्रेजी- चार्ली चैप्लिन & डेविड रॉबिन्सन | हिंदी अनुवाद - सूरज प्रकाश
- दुनिया-भर में ‘लिटिल ट्रैम्प’ के रूप में विख्यात चार्ली चैप्लिन ने अपने अभिनय और उपस्थिति लंबे समय तक दुनिया भर के लोगों को हंसाया. यह क्रम आज भी जारी है. यह चैप्लिन के शब्दों में ही उनके जीवन की गाथा है. यह आत्मकथा एक नायाब और मुश्किल शख़्स के बारे में काफ़ी कुछ बताती है. चैप्लिन ने लिखा है कि अपने बचपन में घर के सामने से गुज़रते हुए वाडेविल के सजे-धजे अभिनेता सितारों को देखकर वे चकित भी होते और प्रेरित भी. तब उनकी उम्र भले ही बहुत कम थी, लेकिन उनके दिल में अभिनेता बनने की जो चाह उस समय पैदा हुई, वह ताउम्र बनी रही. इस आत्मकथा में वे दक्षिण लंदन की झुग्गियों में घोर ग़रीबी में बीते बचपन, माता-पिता के तनावपूर्ण सम्बन्ध, म्यूजिक हॉल के मंच पर अभिनय की शुरुआत, अमेरिका में मिला शानदार ब्रेक, अपने काम पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के कलागत संघर्ष, एक के बाद एक असफल विवाहों के संताप, वामपंथी राजनीति और व्यक्तिगत आरोपों के चलते हॉलीवुड से निर्वासन...सबको दर्ज करते हैं. यह पुस्तक चैप्लिन के जीवन के हर पड़ाव के बारे में बताती है, यहां तक कि वे कैसे सोचते थे, कैसे फ़ैसले लेते थे. इतना ही नहीं अपने समय की राजनीति, और उस समय के महान नेताओं के बारे में उनके क्या विचार थे. पुस्तक में बर्नार्ड शॉ, आइंस्टीन और गांधी जी जैसे व्यक्तित्वों से उनकी मुलाकातों से जुड़े संस्मरण भी शामिल हैं. अंग्रेजी में Charles Chaplin: My Autobiography नाम से प्रकाशित इस आत्मकथा का बेहद उम्दा अनुवाद किया है सूरज प्रकाश ने.
- प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
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* जुगलबंदी | मूल अंग्रेजी - चयन एवं अनुवादः रेखा सेठी
संगीत में जुगलबन्दी का जादू सर चढ़कर बोलता है.अनुवाद, लेखक और अनुवादक के बीच की जुगलबन्दी होने के साथ ही एक मैत्रीपूर्ण प्रतिस्पर्धा भी है ! मूल और अनूदित रचनाएं– दोनों स्वतन्त्र सर्जनात्मक कृतियां हैं, जिनकी साहित्य की दुनिया में अपनी-अपनी जगह है. जुगलबन्दी की तरह साथ-साथ और स्वतन्त्र! इस पुस्तक में अंग्रेज़ी की समकालीन 18 स्त्री-कवियों के परिचय और अनुवाद हैं. जिन कवियों का चयन किया गया, वे अपनी संवेदना, शिल्प और सामाजिक दृष्टि में एक-दूसरे से भिन्न हैं; उनकी सामाजिक परिस्थितियां अलग हैं; भौतिक उपस्थिति देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक विस्तृत है- इस तरह जो विविधवर्णी संकलन तैयार हुआ उसके माध्यम से हमारे सामने समकालीन अंग्रेज़ी स्त्री-अनुवाद की पूरी तस्वीर बनती है. अनिता नाहल, अरुंधति सुब्रमण्यम, उषा अकेला, के. श्रीलता, गायत्री मजूमदार, तिशानी दोषी, नबीना दास, प्रिया सरुक्कई छाब्रिया, बसुधरा रॉय, ममंग दई, मालाश्री लाल, मीना कंदसामी, मेनका शिवदसानी, राधा चक्रवर्ती, लक्ष्मी कण्णन, विनीता अग्रवाल, संजुक्ता दासगुप्ता, सुकृता की इन अनुवादओं में हिन्दी और अंग्रेज़ी प्रतिद्वन्द्वी भाषाएं नहीं, बल्कि दो भारतीय भाषाएं लगती हैं. एक ही संस्कृति, एक ही भाव को अपने में समेटे हुए एक-दूसरे के अगल-बगल खड़ी नज़र आती हैं, वैसे ही यहां हिन्दी-अंग्रेज़ी जुगलबन्दी में हैं. जैसे प्रिज़्म से गुज़रती रोशनी अनेक रश्मियों में बिखर जाती है, वैसे ही इस संकलन से गुज़रते हुए पाठक को अनुवाद के कई फॉर्म, कई रूप, कई भाव-बोध एक साथ देखने को मिलेंगे; जो रोचक होंगे और विस्तृत भी.
- प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
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* जब औरत सोचती है | मूल अंग्रेजी- मेय मस्क | हिंदी अनुवाद - यूनुस खान
मेय मस्क एक फ़ैशनेबल, आकर्षक, धनवान सुपर मॉडल और पब्लिक स्पीकर हैं. वे दुनिया के सबसे ताकतवर अमीरों में शुमार एलन मस्क की मां हैं. लेकिन मेय मस्क का जीवन हमेशा से इतना आसान और ग्लैमरस नहीं था- मात्र इकतीस वर्ष की उम्र में वे एकल माँ बन गईं. घनघोर ग़रीबी में तीन बच्चों के लालन-पालन की भारी ज़िम्मेदारी उनके ऊपर आन पड़ी, प्लस-साइज़ मॉडल के रूप में उन्हें अपने वज़न से जुड़ी समस्याओं से दो-चार होना पड़ा. बाद में उन्होंने मॉडलिंग उद्योग के ‘कमसिन-वाद’ से भी सफलतापूर्वक मुक़ाबला किया. इ्न सबके बीच तीन मुल्कों और दो महाद्वीपों के आठ शहरों में काम करते हुए उन्होंने एक इज़्ज़तदार आहार-विशेषज्ञ के रूप में अपना शानदार और स्थायी करियर भी स्थापित किया. अपने अदम्य उत्साह और व्यावहारिकता के बल पर उन्होंने विश्व-स्तर पर सफलता हासिल की, अप्रत्याशित ढंग से एक आइकन बनीं और अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण तक पहुँचीं. इस पुस्तक में वे अपने अनुभवों और कड़ी मेहनत से अर्जित ज्ञान और समझ को साझा करती हैं. करियर, परिवार, स्वास्थ्य, एडवेंचर और जीवन के अन्य पहलुओं पर उनकी व्यावहारिक सलाहें भी इसमें आपको मिलेंगी. यह पुस्तक आपको बताती है कि जो होता है, या होने वाला है, उसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अगर आप एक योजना बनाकर चलते हैं तो किसी भी उम्र में एक प्रसन्न, स्वस्थ और आनंददायी जीवन जी सकते हैं.
अंग्रेजी में A Woman Makes a Plan नाम से प्रकाशित इस संस्मरण का बेहद उम्दा अनुवाद किया है यूनुस खान ने.
- प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
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* एक ऐलानिया मौत का किस्सा | मूल स्पेनिश- गाब्रिएल गार्सिया मार्केस | हिंदी अनुवाद - मनीषा तनेजा
एक कत्ल होना है. मामला ऑनर किलिंग का है. जिन दो युवाओं पर ऑनर को वापस लौटाने की जिम्मेदारी आन पड़ी है वे सब तरफ होने वाले कत्ल का ऐलान करते घूम रहे हैं. हुआ दरअसल यह था कि नव-विवाहित आंखेला विकारियो और बेयार्डो सान जब रात में अकेले रह जाते हैं, तो बेयार्डो को पता चलता है कि उसकी पत्नी वर्जिन नहीं है. उसे घिन आती है और वह उसी रात आंखेला को उसके घर वापस छोड़ आता है. अपमान की मारी आंखेला की मां बेटी को बुरी तरह पीटती है और उसके भाई पूछते हैं कि वह कौन था जिसने यह किया है. आंखेला जिस शख्स का नाम लेती है वह है सान्तियागो नासार. सान्तियागो सुबह उठकर जब बीती रात की मौज-मस्ती के बारे में सोच रहा होता है, तब उसे कतई मालूम नहीं था कि उसके ख़िलाफ़ क्या कुछ कहा जा रहा है. लेकिन आंखेला के भाइयों ने जिस क्षण से अपने परिवार के अपमान का बदला लेने की ठानी, पूरा शहर फ़ौरन जान गया था कि उन्होंने किसे मारने की योजना बनाई है, और यह भी- कि कहां, कब और क्यों यह हत्या होगी? अमूमन अंग्रेजी से हिंदी में होने वाले अनुवादों से इतर जानीमानी अनुवादक मनीषा तनेजा ने स्पेनिश में Crónica de una muerte anunciada नाम से प्रकाशित इस उपन्यास का बेहद उम्दा और सरस, पठनीय अनुवाद किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* The Dead Fish | मूल हिंदी - राजकमल चौधरी | अंग्रेजी अनुवाद- महुआ सेन
राजकमल चौधरी की चर्चित कृति 'मछली मरी हुई' 20वीं सदी के बीच के कलकत्ता के यौन रुझान, पहचान और भावनात्मक उथल-पुथल का निडर विश्लेषण है.यह उपन्यास निर्मल पद्मावत नामक एक क्रूर व्यवसायी के निजी जीवन की भावनात्मक अस्थिरता और विरोधाभासी यौनता को उजागर करता है.शिरीन और प्रिया नामक दो क्वीर और प्रेमिका कल्याणी के साथ निर्मल के जटिल रिश्ते उसके टूटे हुए व्यक्तित्व को दिखाते हैं.'मरी हुई मछली' इस उपन्यास में रूपक की तरह बार-बार आती है और बंजरपन, उलझाव और अधूरी इच्छाओं से जुड़े भावों को बताती है. क्रूरता के लिए इस उपन्यास के नायक निर्मल की तुलना गोएथे के मेफिस्टो, शेक्सपियर के ओथेलो और ब्रोंटे के हीथक्लिफ से की जाती है. रही-सही कसर निर्मल द्वारा कल्याणी की बेटी प्रिया के साथ बलात संबंधों से सामने आती है, जो उसकी भ्रमित पहचान और महिलाओं के साथ स्वस्थ तरीके से जुड़ने में उसकी अक्षमता को अंततः उजागर कर देता है. लेखक दृढ़ता से समलैंगिकता को सामने लाते हैं, जो उनके समय के लिए एक साहसिक कदम था. ऐसे युग में जब समलैंगिकता सामाजिक ताने-बाने में सही पहचान के लिए संघर्ष कर रही है, तब मूल रूप से हिंदी में 'मछली मरी हुई' नाम से प्रकाशित इस कृति का अंग्रेजी अनुवाद महुआ सेन ने किया है, जो अब पहले से कहीं अधिक ज़रूरी और प्रासंगिक है.
- प्रकाशक:Rupa Publications
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* अघोर एक नई चादर | मूल अंग्रेजी- बाबा हरिहर राम | हिंदी अनुवाद- विमल तिवारी
भारत के चर्चित संतों में से एक अघोरेश्वर भगवान राम का जीवन अनुकरणीय आदर्शों से परिपूर्ण है. वे करुणा के आदर्श थे. भगवान राम से जिन लोगों ने मुलाकातें की, उन्होंने सबके जीवन को समृद्ध किया. ऐसे लोगों में उस जमाने में सामाजिक रूप से बहिष्कृत कुष्ठ पीड़ित लोगों से लेकर राजघराने तक के लोग शामिल थे. बाद में उनके शिष्यों में से भी कइयों ने उनके पदचिन्हों का अनुकरण किया. भगवान राम ने सात वर्ष की आयु में ही भक्तिपूर्ण जीवन के लिए गृह त्याग दिया. किशोरावस्था में ही ज्ञान प्राप्त कर लिया तथा अपनी साधना के दम पर अधोर सिद्धों की रहस्यमयी वंशावली के एक कड़ी के रुप में चुने गए. इस अघोर सिद्धांत का उत्पत्ति एवं मूल ऐतिहासिक काल के उषाकाल से ही है. बाबा हरिहर राम ने अघोरेश्वर भगवान राम के साथ रहते हुए अपने अंदर दिव्यता की अनुभूति के उदय का अनुभव किया. उनको यह दायित्व दिया गया कि अपने गुरु की अनुकंपा प्राप्त करने के पश्चात् वे अघोर परम्परा की शिक्षाओं का पश्चिम में प्रचार करें. उत्तरी कैलिफोर्निया में सोनोमा आश्रम की स्थापना कर उन्होंने भारत के बाहर अघोर विचारों एवं सिद्धांतों तथा उनक साधना को समर्पित एक मात्र आश्रम की स्थापना की. इस पुस्तक में बाबा हरिहर राम अपने गुरु के जीवन के अनमोल क्षणों का प्रेमपूर्वक वर्णन करते हैं, जिनमें अघोरेश्वर के अमेरिका में बिताए गए अंतिम दिनों के दुर्लभ वर्णन भी शामिल हैं.अंग्रेजी में Oasis of Stillness: The Life and Wisdom of Aghoreshwar Bhagwan Ramji, a Modern-Day Saint नाम से प्रकाशित इस जीवनी का बेहद उम्दा अनुवाद किया है विमल कुमार तिवारी ने.
- प्रकाशकः सोनोमा आश्रम कैलिफोर्निया, अघोर फाउंडेशन वाराणसी & युनिवर्सल बुक कंपनी
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* लाइन पार | मूल अंग्रेजी- लुक लेरुथ संग ज्यां द्रेज़ | हिंदी अनुवाद - अभिषेक श्रीवास्तव
अनिल सिंह लन्दन में रहते हैं और पेशे से बैंकर हैं. उनकी एक महिला मित्र है पैट, जो लम्बे समय से भारत जाने की ख़्वाहिश पाले हुए है. एक दिन उन्हें ख़बर मिलती है कि उनके चाचा की मौत हो गई है, जो उत्तर भारत स्थित पालनपुर नाम के गांव में रहते थे. अब वे ही उनकी जायदाद के इकलौते वारिस हैं. पैट के आग्रह पर अनिल भारत जाने का फ़ैसला कर लेते हैं. उनके मन में जमीन-जायदाद अपने नाम करवाने के साथ-साथ उस देश को भी थोड़ा अच्छे से जान लेने की इच्छा है जहां से उनके माता-पिता आए थे. फ़ोटोग्राफ़ी के शौक़ीन अनिल अपने साथ अपना कैमरा भी ले जाते हैं. उनके मन में खेती करने का ख़याल भी घुमड़ रहा होता है. गांव के रास्ते में अनिल को पता चलता है कि उनके चाचा की तो हत्या हुई थी और पुलिस ने इस जुर्म में उनकी नौकरानी को गिरफ़्तार किया है. उसका नाम नीतू है और वह दलित है. पालनपुर में अपने प्रवास के दौरान अनिल उत्तर भारतीय समाज की तमाम जटिलताओं के साथ दो-चार होते हैं, मसलन विभिन्न जाति-समूहों ठाकुर, मुराव, दलित की आपसी राजनीति, भ्रष्टाचार, जलनखोरी, लालफीताशाही, ग़रीबी, लैंगिक भेद, सत्ता-संघर्ष और एक बंटे हुए गांव की तमाम उथल-पुथल. यह उपन्यास जातियों में बंटे हुए एक भारतीय गांव का यथार्थवादी, तीखा और मनोरंजक पोर्ट्रेट है. इसमें सौ साल के ग्रामीण जीवन की व्यथा-कथा है. इस कहानी में ऐतिहासिक तथ्य हैं, तो निजी अनुभव भी. यह एक सनसनीखेज अपराध कथा भी है और ग्रामीण जीवन का मर्मस्पर्शी दस्तावेज़ भी जिसमें आज़ादी से पहले और बाद के ग्रामीण भारत की विविध रंगी तस्वीरें दिखती है. अंग्रेजी में Rumble in a Village नाम से प्रकाशित इस उपन्यास का उम्दा अनुवाद किया है अभिषेक श्रीवास्तव ने.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* जमशेटजी टाटा: कॉर्पोरेट सफलता के लिए शक्तिशाली सीख | आर. गोपालकृष्णन & हरीश भट | हिंदी अनुवाद- डॉ संजीव मिश्र
जमशेटजी टाटा ने आधुनिक भारतीय उद्योग की शुरुआत की. वे देश की आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए एक प्रमुख उत्प्रेरक रहे हैं. एम्प्रेस मिल्स से लेकर आयरन एंड स्टील प्लांट तक, भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना से लेकर ताज महल होटल के निर्माण तक, जमशेटजी के विज़न ने भारत को ऊंचा स्थान दिलाया. इस पुस्तक के लेखक उन उद्यमशील सिद्धांतों के बारे में जानकारी देते हैं, जिसने टाटा समूह को एक सफल और स्थायी उद्यम बनाने में मदद की. जमशेटजी और उनके उत्तराधिकारियों के योगदान ने टाटा समूह के औद्योगिक, उदार और प्रतिबद्ध मूल्यों को संस्थागत रूप दिया है. दशकों की कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और एक सुसंगत दृष्टि के माध्यम से जमशेटजी और उनके उत्तराधिकारियों ने इन मूल्यों को संगठन में समाहित किया है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है और देश के औद्योगिक विकास में लगातार योगदान दिया है. यह पुस्तक पाठकों को उनकी अद्भुत कहानी बताती है.टाटा समूह के प्रतिष्ठित नेताओं के बारे में रोचक, वास्तविक जीवन की कहानियों और भारत के लोकप्रिय ब्रांडों जैसे टाटा टी, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और तनिष्क के निर्माण में शामिल दिलचस्प किस्सों से जुड़ी यह अनूठी कहानी जमशेटजी टाटा के विज़न को जीवंत करती है और हमें बताती है कि हम इससे क्या सीख सकते हैं.अंग्रेजी में Jamsetji Tata: Powerful learnings for corporate success नाम से प्रकाशित इस कृति का उम्दा अनुवाद किया है डॉ संजीव मिश्र ने.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' के वर्ष 2025 की 'अनुवाद' सूची में शामिल सभी रचनाकारों, लेखकों, अनुवादकों प्रकाशकों को हार्दिक बधाई! साहित्य और पुस्तक संस्कृति के विकास की यह यात्रा आने वाले वर्षों में भी आपके संग-साथ बनी रहे. 2026 शुभ हो. पाठकों का प्यार बना रहे.