'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' में वर्ष 2025 की 'लोकप्रिय' श्रेणी की पुस्तकों में चेतन भगत, देवदत्त पट्टनायक, यशवंत व्यास, प्रभात रंजन और नवीन चौधरी की पुस्तकों को स्थान मिला है. विशेष बात यह कि इन उपन्यासों के कथानक के दायरे में प्रेम, पुराण, स्व-सहायता, करियर और साइबर क्राइम तक की पुस्तकें शामिल है. वर्ष 2025 के दस सबसे लोकप्रिय लेखकों की पूरी सूची यहां आप पढ़ें, उससे पहले कुछ बातें आपसे...
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पुस्तकें आपको बताती हैं, जताती हैं, रुलाती हैं. वे भीड़ में तो आपके संग होती ही हैं, आपके अकेलेपन की भी साथी होती हैं. शब्द की दुनिया समृद्ध रहे, आबाद हो, फूले-फले और उम्दा पुस्तकों के संग आप भी हंसें-खिलखिलाएं, इसके लिए इंडिया टुडे समूह ने अपने डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' पर वर्ष 2021 में पुस्तक-चर्चा कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहत स्वरूप में सर्वप्रिय है.
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में लेखक और पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इनमें 'एक दिन एक पुस्तक' के तहत हर दिन पुस्तक चर्चा; 'नई पुस्तकें' कार्यक्रम में हमें प्राप्त होने वाली हर पुस्तक की जानकारी; 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृतियों पर बातचीत; और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद शामिल है.
'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे प्रसारित हो रहे 'बुक कैफे' को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली है. 'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 से 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की तो उद्देश्य यह रहा कि उस वर्ष की विधा विशेष की दस सबसे पठनीय पुस्तकों के बारे में आप अवश्य जानें. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला इसलिए भी अनूठी है कि यह किसी वाद-विवाद से परे सिर्फ संवाद पर विश्वास करती है. इसीलिए हमें साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों का खूब आदर प्राप्त होता रहा है. यहां हम यह भी स्पष्ट कर दें कि यह सूची केवल बेहतरीन पुस्तकों की सूचना देने भर तक सीमित है. यह किसी भी रूप में पुस्तकों की रैंकिंग नहीं है.
'बुक कैफे' पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण के साथ ही हम पर आपके विश्वास और भरोसे का द्योतक है. बावजूद इसके हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक न पहुंची हों, यह भी हो सकता है कुछ श्रेणियों की बेहतरीन पुस्तकों की बहुलता के चलते या समयावधि के चलते चर्चा में शामिल न हो सकी हों... फिर भी हमारा आग्रह है कि इससे हमारे प्रिय दर्शकों, पुस्तक प्रेमी पाठकों के अध्ययन का क्रम अवरुद्ध नहीं होना चाहिए. आप खूब पढ़ें, पढ़ते रहें, पुस्तकें चुनते रहें, यह सूची आपकी पाठ्य रुचि को बढ़ावा दे, आपके पुस्तक संग्रह को समृद्ध करे, यही कोशिश है, यही कामना है.
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और अपनापन देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2025 की 'लोकप्रिय' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं ये-
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* 12 Years: My Messed-Up Love Story | Chetan Bhagat | Novel
- 33 साल का लड़का 21 की लड़की, 12 साल का अंतर, 12 साल की प्रेम कहानी चेतन भगत की 12वीं पुस्तक. यह उपन्यास भारत के शानदार किस्सागो की वापसी के रूप में देखा जा रहा है. चेतन अपनी प्रेम कहानियों से पढ़े-लिखे लड़के लड़कियों को दीवाना बनाने का हुनर रखते हैं. इस उपन्यास का नायक साकेत खुराना भी अपनी प्रेमिका से पत्नी बनी युवती से तलाक और उसके हाथों अपनी अस्सी प्रतिशत संपत्ति Alimony के रूप में गंवा देता है. सबकुछ छोड़कर वह ज़िंदगी की तलाश में स्वदेश लौट आता है. यहां स्टैंडअप कॉमेडी के दौरान वह अपने से 12 साल छोटी युवती पायल जैन से मिलता है... और यहीं से होती है अजब-गजब प्यार की शुरुआत. इस उपन्यास से चेतन की पुरानी छाप दिखती है. इसमें प्यार और पैसा, रिश्ते और जीवन और इनका उतार-चढ़ाव शामिल है.
- प्रकाशक: HarperCollins
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* हिंदी मीडियम टाइट | प्रभात रंजन | उपन्यास
- कॉलेज में 'हिन्दी वाला' होना एक कलंक माना जाता था. रंजन का उपन्यास भारत में अभिजात वर्ग के बीच हिंदी भाषा की ट्रैजिक स्थिति की बानगी पेश करता है. दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में विद्यार्थी के रूप में घटित आपबीती को लेखक इस अंदाज़ में प्रस्तुत करता है कि वह जग-बीती बन जाता है. हिन्दी क्षेत्र में अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर एक ख़ास तरह का अभिमान प्रचलित है. लेकिन यही लोग जब महानगरों के अंग्रेजी बोलने-समझने वाली जमात के सामने पड़ते हैं तो उनका आत्मविश्वास हिल जाता है. पर हिन्दी की धमक के साथ ही यह माहौल बदला है. इस कृति के रचनाकार ने जो भुगता, अनुभव किया या अनुभूत किया उसे अपने उपन्यास के वाचक या नायक के माध्यम से रोचक विवरण के साथ प्रस्तुत किया है. उपन्यास के द्वारा हिन्दी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने वालों के रास्ते में आने वाली कठिनाइयां स्वतः उजागर हो जाती हैं.
- प्रकाशक: राजपाल एण्ड सन्ज़
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* लंकेश: रावण संग रोमांचक यात्रा | देवदत्त पट्टनायक | पौराणिक
- यह पुस्तक भारत के विख्यात महाकाव्य रामायण और उसमें अपनी भूमिका के चलते सबसे बड़े खलनायक के रूप में स्थापित रावण को विस्तार से जानने की राह खोलती है और उसका विस्तृत विश्लेषण करती है. यह एक तथ्य है कि राम कथा के अनुसार इस दुर्भट खलनायक, महाज्ञानी और महान राजा के कर्मों के कारण उसके राज्य और परिवार पर आपत्ति आई. हम उसके चलते रावण को जलाते हैं, पर उसके कर्मों को अनदेखा करते हैं. आखिर उसे जानना कितना आवश्यक है? पट्टनायक की यह पुस्तक हमें रावण के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है. यह हमें बताती है कि शक्ति और निर्णयों की जिम्मेदारी कैसे जीवन में विपत्तियों और सीखों को जन्म देती है. लेखक आधुनिक समय में पौराणिक गाथाओं की प्रासंगिकता के बारे में तर्कपूर्ण ढंग से लिखने के लिए जाने जाते हैं, इस पुस्तक में भी उन्होंने रावण को एक मनोवैज्ञानिक अवस्था के रूप में दर्ज किया है.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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* खुद से बेहतर: करिअर में सफलता के 15 सूत्र | नवीन चौधरी | स्व-सहायता
- आज के समय में हर तरफ नौकरी की मारा-मारी है. नौकरी मिल गई तो फिर आगे बढ़ने और करियर बनाने की होड़ लग जाती है. ऐसे में क्या करें? क्या न करें? और कैसे करें? ये सब सवाल उठते हैं. ऐसे ही सवालों के जवाब हैं इस पुस्तक में. पुस्तक बताती है कि नौकरी पाने की क्षमता एक ज़रूरी कौशल है और उसे पाने के बाद करियर में आगे बढ़ना एक योग्यता. पर करियर, जॉब में सफलता के गुर क्या हैं? चौधरी के व्यक्तिगत अनुभवों से उपजी यह पुस्तक उन युवाओं के लिए अत्यधिक मूल्यवान है, जो खुद को बेहतर बनाना चाहते हैं और नौकरी के लिए तैयार होना चाहते हैं. नये युग में रोजगार के अवसर और योग्यताएं लगातार बदल रही हैं, साथ ही पात्रता की परिभाषा भी. आज के युवाओं को जिन सॉफ्ट स्किल्स की आवश्यकता है उनको विकसित करने, ख़ुद के आकलन और कौशल विकास के जरिए वर्कप्लेस पर सफल होने के लिए बेहतरीन गाइड की तरह है चौधरी की ये पुस्तक.
-प्रकाशक: युवान बुक्स
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* गुलाबी ख़ंजर | दिलीप पाण्डेय, चंचल शर्मा, रोहित साकुनिया | उपन्यास
- जंग और सियासत ने समय के साथ खुद को कितना बदला? अगर इस सवाल का जवाब ढूंढें तो जंग जहां परिष्कृत और आधुनिक हुई, वहीं सियासत और भी साजिशों भरी. यह उपन्यास घोड़ों की टापों से लेकर हवा को चीरते भालों-तलवारों तक का शोर सुनाई देता है, जिसमें एक तरफ़ रिश्तों की सियासत है, तो दूसरी तरफ़ उसूलों पर मर मिट जाने का दृश्य. एक तरफ मुहब्बत के गुलाब की ख़ुशबू भी है तो दूसरी तरफ नफ़रत की सियासी गंध भी, जिसमें कहीं मासूमों की चीख सुनाई देती है तो कहीं डूबते सूरज-सा सन्नाटा... यह एक ऐसी कहानी है जिसकी नींव इतनी मज़बूती के साथ रखी गई है कि पढ़ने वाले के कानों में तलवार और सियासत का हैरान कर देने वाला शोर गूंजता है. इस उपन्यास की बुनावट में एक काल्पनिक दुनिया का निर्माण होता है, तलवार के म्यान जैसी है जिसमें न कुछ अतिरिक्त है और न कुछ कम.
- प्रकाशक: हिंद युग्म
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* Press 9 for a Crime | Shailendra Jha | Novel
- डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्राड आजकल इतना आम है कि रोज ही इसकी ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं. इसके बाद भी हम सब यही सोचते हैं कि कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति कैसे डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाता है? दिल्ली के एक कम आय वाले इलाके में, एक परिवार की उम्मीदें बड़े बेटे अतुल पर टिकी हैं, जिसको बैंकॉक में एक अच्छी-खासी नौकरी मिल गई थी. अतुल के बैंकॉक जाने तक तो चारों तरफ खुशियां ही खुशियां दिख रही थीं लेकिन उसके बाद अचानक अतुल गायब हो गया. वो कहां गया, उसका पता कैसे नहीं लग रहा है और उसके साथ हुआ क्या, इस गहराते सस्पेंस में आपकी दिल की धड़कनें भी बढ़ सकती हैं. विदेश में कहीं दूर देश से संचालित एक क्रूर साइबर घोटाले के केंद्र में कैसे भारतीय फंस जाते हैं, कैसे उनके सपने ही नहीं टूटते, उनका विश्वास भी टूटता है, इस उपन्यास में यह तो बताया ही गया है, साथ ही लेखक यह भी बताता है कि इस भौतिकतावादी दौर में जब परिवार बिखर रहे हैं, तब साइबर ट्रैप में फंसे अपने भाई को बचाने के लिए एक लापरवाह सा दिखने वाला भाई कैसे अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है.
- प्रकाशक: eBury Press (Penguin)
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* ख़ुशी के खज़ाने की चाबी | इरा टाक | स्व-सहायता/ प्रेरक
- कुछ नया सीखने के लिए हर बार खुद ठोकर खाना जरूरी नहीं, हम दूसरे के जख्मों को देखकर भी खुद को बचाना सीख सकते हैं. दिन भर में अनेक बुरे, नेगेटिव, कुत्सित, वीभत्स विचार हमारे मस्तिष्क में आते हैं. जैसे वे आएं, उन्हें वैसे ही चले जाना चाहिए. उन विचारों का ठहर जाना हमें क्षय करता है. केवल सकारात्मक विचार हमें ऊर्जा देते हैं. लेखिका टाक का यह फलसफा किसी के भी काम आ सकता है. सच तो यह है कि ज़िंदगी कुछ भी आसानी से नहीं सिखाती! वक्त के थपेड़े खाकर हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह हमारे डीएनए में दर्ज होता जाता है. खुद को देखना, अपनी खूबियों और कमियों को पहचानना, खुद को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश करते रहना-एक कभी न थमने वाला सिलसिला है. हर किसी की जीवन-यात्रा अलग होती है; सबके संघर्ष, पीड़ा, परिस्तिथियां, जुझारूपन अलग होते हैं, परंतु हौसला सभी के लिए एक रामबाण औषधि है.
- प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
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* सुभाष-एमिली: अधूरे प्रेम की पूरी कहानी | राजगोपाल सिंह वर्मा | इतिहास/ उपन्यास
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के बारे में उनकी क्रांति के बारे में व आज़ाद हिन्द फौज के बारे में तो लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन स्वतंत्रता सेनानी सिर्फ शौर्य, साहस और समर्पण का ही पर्याय न होकर एक आम इनसान भी होता है. वह आम लोगों की तरह प्रेम करता है, विछोह से डरता है और जब विछोह होता है तो दर्द भी महसूस करता है. वर्मा की यह पुस्तक कभी सूरज अस्त न होने वाले साम्राज्य की नज़रों से बची एक प्रेम कथा है.कांग्रेस के बड़े नेता बोस, जो भारतीय क्रांतिकारियों के आदर्श थे, उनको एक ऑस्ट्रियन युवती से बेइंतहा मुहब्बत हो जाती है. युद्ध और निर्वासन की आग के बीच प्रेम कैसे अंकुरित हुआ? कैसे पल्लवित और पुष्पित हुआ? सुभाष जी की प्रेम गाथा, उनकी पत्नी और बेटी के बारे में दुनिया को तब पता चला जब नेताजी इस दुनिया में नहीं थे. बावजूद इसके तब के प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने नेता जी की गरिमा के अनुरूप उनकी पत्नी एमिली और बेटी का वैसे ही ख्याल रखा, जिसकी वह अधिकारी थीं.
- प्रकाशक: हिंद युग्म
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* चीनी मिट्टी | रणविजय | यात्रा वृत्तांत
- चीन के बारे में आप कितना जानते हैं? केवल चीनी सामान या हमारी सीमाओं पर चीनी सैनिक या फिर चीन का भारत पर हमला. हद से हद चीन की विस्तारवादी नीति के बीच उत्तर कोरिया से उसकी दोस्ती या फिर चीनी सामानों के बहिष्कार का आह्वान... पर इतना विशाल और पुरातन चीन क्या इतना भर ही है? यह पुस्तक एक यात्रा-वृतांत ही नहीं एक सफ़रनामा है. सफ़र एक बंद देश में, जिसमें बहुत कम ही लोग जाने की हिम्मत करते हैं. इस पुस्तक को पढ़ते हुए आप बुलेट ट्रेनों से जुझावो, शंघाई और बीजिंग के सफ़र पर निकल रहे होते हैं. ये पुस्तक टेक्नोलॉजी के शिखर पर आसीन देश को समझने का अवसर तो देती ही है, उसके लोगों को और सबसे विचित्र उनके भोजन से भी रूबरू करवाती है. कुछ इतिहास, तो कुछ भूगोल के माध्यम से समझिए अपने उस पड़ोसी को जिसके साथ हम सबसे ज़्यादा सीमा रेखा साझा करते हैं.
- प्रकाशक: हिंद युग्म
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* बेगमपुल से दरियागंज | यशवंत व्यास | कथेतर
- लोकप्रिय और गूढ़ साहित्य के बीच जब भी बहस उठती है, साहित्यकार, पाठक और संपादक दो फाड़ों में बंट जाते हैं. हिंदी के जनप्रिय, लोकप्रिय, सस्ते और पॉकेट बुक्स से छपे उपन्यासों ने हमेशा ही आम पाठक के दिलों पर राज़ किया है. इसके बावजूद साहित्यिक जगत ने अधिकतर इन्हें नकारा ही है. ये पुस्तक हिंदी पल्प साहित्य का इतिहास बताती है. यह इतिहास जितना मनोरंजक है, उतना ही महत्त्वपूर्ण भी. कभी रेलवे स्टेशनों से लेकर गली-गली दुकानों से खरीदकर पढ़ी जाने वाली इन कहानियों में उस रंगीन और रहस्यमयी दुनिया का एक ऐसा तिलिस्म था, जिसमें शामिल जासूसों, शातिर बदमाशों और बेताब आशिकों के हैरतअंगेज़ किरदारों ने करोड़ों पाठकों को बांधे रखा. यह पुस्तक आपको लेकर चलती है उस दौर में, जब मेरठ, वाराणसी और इलाहाबाद जैसे शहर देसी पल्प के केंद्र हुआ करते थे. मेरठ के बेगमपुल से दिल्ली के दरियागंज तक पल्प की दीवानगी सहेजे यह पुस्तक सिर्फ कहानियों का नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे समाज, बाजार, और लेखकों की दुनिया का ख़ज़ाना है.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' के वर्ष 2025 की 'लोकप्रिय' श्रेणी में शामिल सभी रचनाकारों, लेखकों, अनुवादकों और प्रकाशकों को हार्दिक बधाई! साहित्य और पुस्तक संस्कृति के विकास की यह यात्रा आने वाले वर्षों में भी आपके संग-साथ बनी रहे. 2026 शुभ हो. पाठकों का प्यार बना रहे.