भारत में ज्यादातर शादियों की बातें सिर्फ डेट, वेन्यू, गेस्ट लिस्ट और मेन्यू तक ही रहती हैं. शायद ही कोई माता-पिता होंगे जो अपने बच्चों को बैठाकर शादी के बाद की घर की प्लानिंग, पैसे बचाने की तैयारी या भविष्य की जिम्मेदारियों पर चर्चा करते होंगे. लेकिन हाल ही में अंकुर वारिकू ने एक्स(X) पर एक ऐसा एक्सपीरियंस शेयर किया, जिसने लोगों का ध्यान उन चीजों की तरफ खींचा जो सच में वेन्यू, गेस्ट लिस्ट और मेन्यू से कहीं ज्यादा जरूरी हैं.
उनकी पोस्ट ये दिखाती है कि शादी सिर्फ सजावट, चमक-दमक या फैंसी थीम तक सीमित नहीं होती. ये उस नए सफर की शुरुआत है, जब दो लोग मिलकर अपने जीवन, घर और भविष्य की जिम्मेदारियों को समझते और शेयर करते हैं. इस कहानी ने कई लोगों को ये सोचने पर मजबूर किया कि शादी का असली मतलब सिर्फ पार्टी या सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि असली प्रायोरिटीज भावी जीवन की तैयारी में है.
शादी से पहले माता-पिता ने रखी शर्त
अंकुर वारिकू ने अपनी लेटेस्ट एक्स पोस्ट में अमिता और उनके पार्टनर की कहानी शेयर की और बताया कि शादी से पहले उनके माता-पिता ने एक साफ शर्त रखी थी. अमिता और उनके पार्टनर के माता-पिता ने कहा था, 'पहले अपने नाम का घर खरीदो. उसके बाद ही शादी होगी.' जी हां, उनके माता-पिता ने अपने बच्चों के साथ वेन्यू और गेस्ट लिस्ट की बात नहीं की बल्कि एक ऐसी शर्त रखी जो सच में जरूरी थी. कपल ने अपने माता-पिता की शर्त को पूरा करने के बाद ही शादी की.
सालों की बचत और त्याग
बीस की उम्र में जल्दी शादी करने के बजाय, इस कपल ने सालों तक हर पैसा बचाया. छुट्टियां कैंसिल की, खर्चों में कटौती की और फोकस सिर्फ एक लक्ष्य पर रखा और वो खुद का घर खरीदना था. जब तक वो 30 साल के हुए, उनका घर तैयार था. उसके बाद ही उन्होंने शादी की.
सिंपल तरह से की शादी
अंकुर वारिकू की मानें तो शादी का फंक्शन बहुत ही सिंपल था, जिसके लिए उन्हें कर्ज नहीं लेना पड़ा. ना तो उन्होंने कर्ज लिया. उनकी शादी में गेस्ट्स को सिर्फ एक समोसा और कोल्ड ड्रिंक सर्व की गई थी. कोई बड़ी चमक-दमक वाली पार्टी नहीं, कोई शो नहीं. बस एक शादी जो सालों की मेहनत और सोच-समझ का प्रतीक थी.
वारिकू ने इसे जीत बताया क्योंकि ये दिखाता है कि शादी में क्लियर सोच कितनी जरूरी है. कई लोगों ने अपनी कहानी भी शेयर की. किसी ने बताया कि उन्होंने भी छोटे घर के लिए बड़ा लोन लिया, खर्चों में कटौती की और बच्चे को बाद में प्लान किया. समय के साथ जीवन बेहतर हुआ और उनकी शादी मजबूत बनी.
कुछ लोगों ने उठाए सवाल
कुछ लोगों ने कहा कि सिर्फ समोसा और ड्रिंक देना शादी के ट्रेडिशंस के खिलाफ था. कुछ ने सजेशंस दिए कि अगर सिंपल शादी ही करनी थी, तो कोर्ट मैरिज करना बेहतर होता. वारिकू ने याद दिलाया कि शादी का असली मतलब है आशीर्वाद, सपोर्ट और खुशियां होता है ना कि सिर्फ दिखावा या महंगी-महंगी चीजें.
इस कहानी ने ये सवाल खड़ा किया कि आज की शादी का मतलब क्या है. कुछ के लिए शादी बड़ा रिवाज, पारिवारिक मेलजोल और शानदार समारोह है, तो दूसरों के लिए शादी पार्टनर के साथ ट्यूनिंग, प्लानिंग और जीवन बनाना है. दोनों ही सही हैं. लेकिन सवाल ये है क्या शादी सबको खुश करने के लिए है या दो लोगों की जिंदगी बनाने के लिए?