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'हाथ-पैर में काट रही हैं चीटियां'...अगर आपको भी हो ऐसा महसूस तो गंभीरता से लें यह समस्या! 

कई बार रात में सोते समय अचानक नींद खुल जाती है और लगता है कि हाथ-पैर पर चीटिंयां चल रही हैं. मेडिकली भाषा में इसे टिंगलिंग (झनझनाहट) कहते हैं. दरअसल, कुछ कारणों से शरीर में झनझनाहट और सुन्नता पैदा हो जाती है. वह कारण कौन से हैं? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

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(Image credit: getty images)
(Image credit: getty images)

रात में कई बार सोते-सोते नींद अचानक से खुल जाती है और लगता है कि पैरों पर चीटियों का झुंड चल रहा है. फिर जब उठकर देखते हैं तो पता चलता है कि पैरों पर कोई चींटियां नहीं हैं. कई लोगों ने इस बात को महसूस किया ही होगा कि उसके हाथ या पैर पर चीटियां चल रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है?

दरअसल, मेडिकली भाषा में इसे टिंगलिंग (झनझनाहट) कहते हैं. इस तरह की झुनझुनी (Tingling) का कारण एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहना, लगातार बैठे रहना, नसों का दबना, एक ही तरफ देर तक लेटे रहना आदि हो सकते हैं. इसके कारण हाथ-पैर में झनझनाहट आती है लेकिन लगता है कि मानो चींटी चल रही हैं. क्या आप इस झनझनाहट का कारण जानते हैं? दरअसल, हाथ−पैरों में झनझनाहट और सुन्न होने के नीचे बताए हुए कुछ कारण भी हो सकते हैं जिन्हें जानकर और उनका इलाज करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

डायबिटीज (Diabetes)

हाई ब्लड शुगर के कारण होने वाले नर्व डैमेज से हाथ और पैरों का सुन्न पड़ना या झुनझुनी आना सामान्य बात है. अगर किसी को डायबिटीज है और उसका इलाज नहीं किया जा रहा है तो उसे झनझनाहट के साथ अधिक प्यास लग सकती है, बार-बार यूरिन आ सकती है, सांस से अजीब सी गंध आ सकती है. अगर आपको कोई ऐसे संकेत दिखते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें. 

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दवाइयां (Medications)

नर्व संबंधित समस्याएं कुछ दवाइयों का दुष्प्रभाव हो सकती हैं. कैंसर (कीमोथेरेपी), एचआईवी या एड्स, हाई ब्लडप्रेशर, बुखार और कुछ संक्रमणों में ली जाने वाली दवाइयां हाथ-पैर में झुनझुनी पैदा कर सकती है. अगर आपको दवाई लेने के बाद से यह शिकायत रहने लगी है तो डॉक्टर से संपर्क करें. हो सकता है वह दवाइयां बदल दें.

संक्रमण (Infection)

कई वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण आपकी नसों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं या फिर उनमें चीटियां चलने जैसा अहसास हो सकता है. इनमें से कुछ वायरस एचआईवी, लाइम डिसीज, दाद, एपस्टीन-बार, हेपेटाइटिस बी और सी, वेस्ट नाइल, साइटोमेगालोवायरस भी शामिल हैं. ऐसा होने पर डॉक्टर से मिलें, वह आपकी स्थिति के हिसाब से इलाज कर सकते हैं.

किडनी डैमेज होना (Kidney Failure)

किडनी खून को फिल्टर करती है और खून में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है. अगर ऐसा नहीं होता तो यह टॉक्सिन्स शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर किसी की किडनी सही से काम नहीं करती है तो हाथ-पैर में झुनझुनी आ सकती है. किडनी फेल होने के दो मुख्य कारण डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है.

पर्याप्त विटामिन नहीं ले रहे हैं (Not Taking Enough Vitamins)

अगर किसी के शरीर में विटामिन बी या विटामिन ई की कमी है तो उससे शरीर में झुनझुनी पैदा हो सकती है. विटामिन की कमी पूरी करने के लिए विटामिन बी और ई युक्त चीजों का सेवन करें. अगर आपको यह नहीं पता है कि क्या आपके शरीर में भी विटामिन ई की कमी है? तो इस बारे में जानने के लिए लैब पर जाकर टेस्ट कराएं जो ब्लड टेस्ट करके सही जानकारी देंगे. इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर मेडिसन या खाने की चीजें सजेस्ट करेंगे. 

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ट्यूमर (Tumor)

अगर शरीर में कुछ कोशिकाएं (ट्यूमर) असामान्य रूप से बढ़ रहे हैं तो उसके कारण भी हाथ-पैर सुन्न हो सकते हैं और उनमें झुनझनी हो सकती है. ट्यूमर कैसर का भी कारण हो सकता है. वहीं कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि ट्यूमर इम्यूनिटी को प्रभावित करता है और नर्व्स को भी डैमेज कर सकता है. इसलिए अगर आपको भी शरीर में कोई गांठ या ट्यूमर दिखता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

थायरॉयड संबंधित समस्याएं (Thyroid Related Problems)

शरीर में थायरॉयड हार्मोन की कमी जिसे हाइपोथायरायडिज्म के नाम से जानते हैं, यह भी आपके हाथों और पैरों में दर्द, जलन और सुन्नता पैदा कर सकता है. यह आमतौर पर तब होता है जब हाइपोथायरायडिज्म अधिक बढ़ जाता है. थायरॉयड की मेडिसिन, एक्सरसाइज और हेल्दी वेट इन लक्षणों को कम कर सकता है जिससे झनझनाहट कम हो सकती है.

अधिक शराब पीना (Drinking Too Much Alcohol)

समय के साथ, शराब का सेवन आपकी नसों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है. अधिक शराब पीने से आपके शरीर में विटामिन बी12 और फोलेट की कमी हो सकती है. इनकी कमी से नसें सही से काम करना बंद कर सकती हैं जिससे हाथ-पैर में झुनझुनी और सुन्नता पैदा हो सकती है. वहीं अगर आप शराब पीना बंद कर देते हैं तो यह समस्या धीरे-धीरे सही हो सकती है.

(Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.)

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