Health Benefits of Coffee: कॉफी का सेवन सुबह लोग खुद को जगाने के लिए करते हैं या फिर शाम को दिन की थकान उतारने के लिए करते हैं लेकिन यह इससे कहीं ज्यादा है. लिवर और एनर्जी बढ़ाने में फायदेमंद मानी जाने वाली कॉफी पर हुई एक नई रिसर्च से पता चलता है कि यह बुढ़ापे को रोकने में भी करामाती हो सकती है.
कॉफी है काफी फायदेमंद
अमेरिका की हेल्थ एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, कॉफी के कुछ कंपाउंड बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि ये शरीर की सूजन को कम करते हैं और कोशिकाओं (सेल्स) को ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचाते हैं जो तेजी से उम्र बढ़ने का बड़ा कारण हैं.
एंटी-एजिंग एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है कॉफी
कॉफी में पॉलीफेनॉल्स और क्लोरोजेनिक एसिड होता है जो फ्री रैडिकल्स को बेअसर करने में मदद करते हैं. ये वही अणु हैं जो कोशिका को बूढ़ा करने और DNA को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
सूजन कम करती है कॉफी
सूजन बुढ़ापे की प्रक्रिया को तेज करने वाली मुख्य वजह मानी जाती है. चूंकि कॉफी में कैफीन, क्लोरोजेनिक एसिड (CGA) और कई पॉलीफेनॉल्स जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड्स होते हैं जो सूजन-रोधी (anti-inflammatory) गुण रखते हैं. इसलिए ये तत्व C-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) जैसे सूजन के मार्कर को कम करने में मदद कर सकते हैं.
कॉफी त्वचा के बुढ़ापे में सुधार कर सकती है
कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा के कोलेजन की रक्षा कर सकते हैं. कोलेजन आपकी स्किन को टाइट और जवान बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है. फोटोएजिंग को कम कर सकते हैं और UV किरणों के संपर्क में आने से होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं.
क्रॉनिक डिसीस का खतरा रोकती है
अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित कॉफी पीने वालों को कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, अल्जाइमर, टाइप 2 डायबिटीज और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम होता है.
माइटोकॉन्ड्रियल फंक्शन में करती है सुधार
कैफीन ऑटोफैजी (Autophagy) को उत्तेजित करती है जो एक प्राकृतिक self feeding प्रक्रिया है. इसमें शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और उनके हिस्सों को साफ और रीसायकल करता है जिससे माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य (कोशिकाओं की ऊर्जा फैक्ट्रियां) में सुधार होता है. यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए जरूरी है.
मेंटल हेल्थ के लिए मददगार
नियमित रूप से कॉफी पीने से अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा कम होता है जिससे बढ़ती उम्र के बावजूद दिमाग के फंक्शन्स को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है.