आजकल अधिकतर लोगों का फोकस बैलेंस डाइट की ओर है. वे लोग कैलोरीज़ का ध्यान रखते हैं और रोज वर्कआउट भी करते हैं, लेकिन फिर जब वे वेट मशीन पर अपना वजन करते हैं तो वो कम नहीं होता. ऐसा होने पर लोग परेशान हो जाते हैं और फिर से पीछे की दिशा में चले जाते हैं. हाल ही में अमेरिका के एक फैमिली और लाइफस्टाइल मेडिसिन डॉक्टर जॉनी हेडैक ने इंस्टाग्राम वीडियो में इस बारे में बताया है जिसे अक्सर लोग समझ नहीं पाते.
इंसुलिन रेजिस्टेंस सबसे बड़ा कारण
डॉ. हेडैक ने इंस्टाग्राम वीडियो में कहा, 'इसके पीछे सबसे बड़ा कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है, जिसे अक्सर हम समझ नहीं पाते. इंसुलिन वो हार्मोन है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. जब आपका शरीर इंसुलिन का सही तरीके से काम नहीं करता तो आपके सेल्स शुगर को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाते. इससे ब्लड शुगर लेवल ऊपर-नीचे होता रहता है और शरीर फैट स्टोर करने लगता है. चाहे आप बैलेंस डाइट लेते हों या नहीं. यह स्थिति वजन कम होने को बेहद मुश्किल बना देती है.'
कार्बोहाइड्रेट भी जिम्मेदार
डॉक्टर हेडैक के अनुसार, 'इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाने में कार्बोहाइड्रेट का अधिक सेवन भी जिम्मेदार है. हर बार जब आप कार्ब्स खाते हैं तो ब्लड शुगर और इंसुलिन स्पाइक होते हैं. अमेरिका में औसतन लोग प्रतिदिन 250-300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाते हैं जो शरीर की जरूरत से कहीं अधिक है. इससे ब्लड शुगर कंट्रोल बिगड़ता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस और भी गहरा होता जाता है.'
अब ऐसे में क्या करें?
डॉ. हेडैक ने कुछ आसान बदलाव सुझाए हैं जिनसे आप धीरे-धीरे इस समस्या से लड़ सकते हैं.
पहला तरीका बताया है कि हर मील में पर्याप्त प्रोटीन लें. डॉक्टर के मुताबिक प्रति भोजन 40-50 ग्राम प्रोटीन गोल बनाएं, ताकि भूख कम लगे और पेट भरा हुआ भी लगे.
इंटरमिटेंट फास्टिंग आज़माएं ताकि खाने-पीने के समय को सीमित रखने से ब्लड शुगर और इंसुलिन स्तर स्थिर रहने में मदद मिल सकती है.
मसल्स, ब्लड शुगर का उपयोग करती हैं, जिससे आपकी मेटाबोलिक रेट बेहतर होती है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है इसलिए फिजिकल एक्टिविटीज और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें.
डॉ. हेडैक का कहना है कि अगर आप समय, भोजन और एक्सरसाइज का सही ध्यान रख रहे हैं फिर भी वज़न नहीं घट रहा तो इंसुलिन रेजिस्टेंस चेक करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है.