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लिवर में जमा जिद्दी फैट पिघला देंगी ये 5 नेचुरल चीजें, Fatty Liver का खतरा होगा कम! डॉक्टर ने बताया

फैटी लिवर एक चुपचाप बढ़ने वाली बीमारी है जो लिवर फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. सलीम जेदी के अनुसार, सही खानपान, लाइफस्टाइल सुधार और पांच आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के नियमित सेवन से फैटी लिवर को नियंत्रित किया जा सकता है.

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लिवर के लिए देसी हर्ब्स काफी कारगार होते हैं. (Photo:ITG)
लिवर के लिए देसी हर्ब्स काफी कारगार होते हैं. (Photo:ITG)

Liver Health: फैटी लिवर आज की लाइफस्टाइल से जुड़ी एक गंभीर लेकिन चुपचाप बढ़ने वाली बीमारी है. इसे साइलेंट किलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके कोई साफ लक्षण नजर नहीं आते. न दर्द होता है, न कोई बड़ी परेशानी महसूस होती है, लेकिन लिवर के अंदर फैट धीरे-धीरे जमा होता रहता है.

अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह फैटी लिवर आगे चलकर लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस और स्थायी लिवर डैमेज जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है. बुजुर्गों की नहीं बल्कि फैटी लिवर से अब हर उम्र के लोग परेशान हैं, जिसे समय पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. 

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. सलीम जेदी ने अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में फैटी लिवर को लेकर पोस्ट शेयर की है.  उनके अनुसार, शुरुआती स्टेज में सही खानपान, लाइफस्टाइल सुधार और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की मदद से फैटी लिवर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. आयुर्वेद में लिवर को शरीर का बेहद अहम अंग माना गया है, जो डाइजेशन, डिटॉक्सिफिकेशन और मेटाबॉलिज्म से जुड़ा होता है.

फैटी लिवर में मददगार 5 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां

भुई आंवला (Bhui Amla): भुई आंवला लिवर को मजबूत बनाने में मदद करता है. यह पेट दर्द और लिवर में होने वाली सूजन को कम करने में मददगार माना जाता है. इसके नियमित सेवन से लिवर की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है और टॉक्सिन बाहर निकलने में मदद मिलती है.

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हल्दी (Turmeric): हल्दी भारतीय रसोई की सबसे शक्तिशाली औषधियों में से एक है.इसमें मौजूद करक्यूमिन डाइजेशन सुधारने और सूजन कम करने में मदद करता है. फैटी लिवर में हल्दी लिवर सेल्स की रक्षा करती है और फैट मेटाबॉलिज्म को बेहतर बना सकती है.

एलोवेरा (Aloe Vera): एलोवेरा डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखने में बेहद फायदेमंद है.यह कब्ज, गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं को दूर करता है. जब डाइजेशन सही रहता है, तो लिवर पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता और फैटी लिवर की स्थिति में सुधार हो सकता है.

कालमेघ (Kalmegh): कालमेघ को आयुर्वेद में नेचुरल लिवर टॉनिक माना जाता है. यह शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और लिवर फंक्शन को सपोर्ट करने में मदद करता है. फैटी लिवर के मरीजों में होने वाली थकान और सुस्ती को कम करने में यह काफी फायदेमंद है.

कुटकी (Kutki): कुटकी लिवर में जमा अनहेल्दी फैट को कम करने में कारगार माना जाता है.यह पित्त के स्राव को बैलेंस करती है, जिससे फैट का डाइजेशन बेहतर होता है और लिवर की सफाई में मदद मिलती है.

लाइफस्टाइल में बदलाव भी है जरूरी

डॉ. सलीम जेदी के मुताबिक, सिर्फ जड़ी-बूटियों पर निर्भर रहना काफी नहीं है. फैटी लिवर को कंट्रोल करने के लिए बैलेंस डाइट, तला-भुना और शराब से दूरी, नियमित एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है. किसी भी आयुर्वेदिक हर्ब का सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है. याद रखें, फैटी लिवर भले ही साइलेंट हो, लेकिन समय पर सही कदम उठाकर इसके गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है.

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