Sign Of High Cholesterol: सर्दियों की रात हो, भारी रजाई हो और कमरा भी बंद हो... फिर भी क्या आपके पैर बर्फ की तरह ठंडे रहते हैं? हम में से ज्यादातर लोग इसे 'नॉर्मल' समझकर मोजे पहन लेते हैं या हीटर के पास बैठ जाते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि रजाई की गर्माहट के बावजूद पैरों का गर्म न होना आपके शरीर का एक खतरनाक अलार्म हो सकता है?
डॉक्टरों की मानें तो ठंडे पैर महज एक मौसमी समस्या नहीं, बल्कि एक 'साइलेंट किलर' की दस्तक हो सकते हैं. यह आपके शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन, नसों की कमजोरी या डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का शुरुआती संकेत हो सकता है. जब आपका दिल शरीर के दूसरे हिस्सों तक सही ढंग से खून नहीं पहुंचा पाता, तो पैर सबसे पहले ठंडे पड़ने लगते हैं.
एक्सपर्ट के अनुसार, पैरों का ठंडा रहना हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है, जो कई खतरनाक बीमारियों का कारण होता है. हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि इसके लक्षणों की पहचान नहीं हो पाती हैं. जब तक समस्या गंभीर नहीं हो जाती है, हाई कोलेस्ट्रॉल का पता नहीं चलता है. अगर आपके पैर ठंडे रहते हैं तो यह ब्लड सर्कुलेशन में खराबी की वजह से हो सकता है जो हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से होता है. खराब LDL के कारण हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है.
एनएचएस के अनुसार,जब ब्लड सेल्स में प्लाक जमने लगता है, जिससे ब्लड फ्लो में रुकावट आती है. इस स्थिति को पैरीफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) कहा जाता है. PAD के कारण पैरों और पैरों में ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिससे ठंडे पैर और अन्य लक्षण पैदा हो सकते हैं. पैरीफेरल आर्टरी डिजीज के लक्षणों की बात करें तो इसमें पैरों में दर्द, सुन्न होना, स्किन का कलर चेंज होना शामिल है. जब ब्ल़ फ्लो कम होता है तो इससे पैरों के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे ये लक्षण पैदा होते हैं. अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस कर रहे हैं तो बिना समय गवाएं तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
पीएडी को कंट्रोल कैसे करें?
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक समेत दिल से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को जोखिम बढ़ जाता है. हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने की तरह ही पीएडी के इलाज में भी लाइफस्टाइल में बदलाव सबसे ज्यादा जरूरी है.
लाइफस्टाइल में इन बदलावों से पीएडी के लक्षणों को कम कर सकते हैं और स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं. पीएडी से पीड़ित मरीजों को अक्सर हेल्दी फूड खाना चाहिए और ज्यादा वजन कम करने और शराब को न पीने या फिर कम पीने की सलाह दी जाती है.
लाइफस्टाइल से जुड़े बदलावों के साथ-साथ, कुछ इंसानों को स्टैटिन और एंटीहाइपरटेंसिव जैसी दवाएं भी दी जा सकती हैं. हालांकि डॉक्टर की सलाह के बिना किसी तरह की दवा लेना खतरनाक हो सकता है.