आदिमानव द्वारा आग की खोज के बाद से ही भोजन को पकाकर खाने की क्रांति आई, तो ऐसे में बिना आग और बगैर तेल के भोजन की कल्पना करना थोड़ा अजीब लगता है. लेकिन आज के दौर में भी ऐसा संभव है यह तमिलनाडु में स्थित एक रेस्तरां के मालिक ने कर दिखाया है. जहां ऐसा ही खान-पान मिलता है और लोगों को खूब पसंद भी आता है. इसी रेस्तरां का एक स्टॉल वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में चल रहे आयुर्योग एकस्पो में भी लगाया गया है.
आयुर्योग एक्सपो में लगा ऐसे खाने का स्टॉल
वाराणसी के बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में चल रहे आयुर्योग एक्सपो में तमिलनाडु के कोयंबटूर से आए रेस्तरां संचालक डॉ आर.पडियाल शिवकुमार बगैर आग और बिना तेल वाली पाक कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. कोयंबटूर में उनका अपना पैडी नाम का रेस्तरां है जो बिना आग और तेल के खाना सर्व करने के लिए काफी मशहूर है.
इस अनोखे रेस्तरां ने अपने नाम किए कई विश्व रिकॉर्ड
उनके रेस्तरां में खिचड़ी, दाल और भिंडी सहित कई प्रकार की सब्जियों वाले व्यंजन तैयार किए जाते हैं. इस तरह के खाने में मिर्च, प्याज और लहसुन का भी प्रयोग नहीं होता है. खास बात-चीत में उन्होंने बताया कि उनकी पाक कला को वाराणसी में भी खूब सराहा जा रहा है. 7 साल पहले उन्होंने अपनी अलग सोच के साथ कोयंबटूर में ये रेस्तरां शुरू किया था और अब इसकी चार शाखाएं भी हैं. उन्होंने बताया कि उनके रेस्तरां के नाम चार विश्व रिकॉर्ड भी हैं.
बिना तेल से बने 100 से ज्यादा व्यंजन
रेस्तरां के कोफाउंडर श्रीकांत आरजे ने बताया कि ज्यादातर व्यंजन बनाने के लिए वे धूप में खाद्य पदार्थ को सुखाते हैं और पानी में भिगोकर भी रखते हैं. उसके बाद उसमें अन्य खाद्य पदार्थों, सब्जी, हल्दी और नमक मिलाकर तैयार कर लेते हैं और ऐसे ही 100 प्रकार के अलग-अलग व्यंजन को तैयार किया जाता है. पूरे व्यंजन में आग और तेल का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है.