सुप्रीम कोर्ट ने एक अजीब-सी जनहित याचिका एक लाख रुपए के जुर्माने के साथ खारिज कर दी. शीर्ष अदालत को दी गई अर्जी में मांग की गई थी अनुकूल चंद्र ठाकुर को ही एकमात्र भगवान माना जाए. याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई से कहा कि आप चाहे जो मानें लेकिन आप देश के सभी नागरिकों को अनुकूल ठाकुर को भगवान मानने को कैसे कह सकते हैं?
याचिकाकर्ता के जुर्माना नहीं लगाने की गुजारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने जनहित याचिका का दुरुपयोग किया है. हमने तो कम जुर्माना लगाया है. किसी को हक नहीं है कि जनहित याचिका का दुरुपयोग करे.
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. यहां सभी को हक है आपनी धार्मिक आस्था के हिसाब से पूजा करने और अपने आराध्य के उपदेशों, शिक्षा और मान्यता का प्रचार करने का. लेकिन कोई भी किसी को मजबूर नहीं कर सकता.
याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई की दलीलों पर कहा कि भाईसाहब! हम ये लेक्चर सुनने नहीं बैठे हैं. आप अपनी अर्जी बताएं. आप एक संप्रदाय को सब पर थोपने की मांग कर रहे हैं. आप ये कह रहे हैं कि सब एक धर्म को मानें. आपके गुरुजी को सब कोई अपना गुरुजी माने. पूरा भारत आपके गुरु ठाकुर अनुकूल चंद्र को ही परमात्मा माने. ऐसा कभी नहीं हो सकता. भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है. यहां सबको अपनी अपनी धार्मिक मान्यता के साथ रहने का अधिकार है.
आपकी याचिका का जनहित से कोई लेना देना नहीं है. इसे तो आपने लोकप्रियता पाने का हथकंडा बना लिया है.
याचिका में बीजेपी, आरएसएस, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, गुरुद्वारा बंगला साहिब, इस्कॉन समिति, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिश्चिएन काउंसिल आदि को भी पक्षकार बनाया गया था. याचिकाकर्ता चाहते थे कि उनसे भी जवाब मंगाकर कोर्ट फैसला कर दे.