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मनीष गुप्ता हत्याकांडः यूपी से दिल्ली ट्रांसफर होगा ट्रायल, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

मृतक कारोबारी की पत्नी की ओर से कहा गया कि ट्रायल को यूपी से बाहर दिल्ली या कहीं और ट्रांसफर किया जाए. SG तुषार मेहता ने कहा कि उनकी राय ये है कि ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जा सकता है. इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अब दिल्ली की सीबीआई कोर्ट में ट्रायल
  • मनीष की पत्नी ने दायर की थी याचिका

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में ट्रायल को यूपी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में ट्रायल अब दिल्ली की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोर्ट में चलेगा. यूपी सरकार ने भी इस पर सहमति जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच CBI की ओर से शुरु किए जाने के कारण इस याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. यूपी सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि याचिका में अब कुछ बचा नहीं है. घटना के अगले ही दिन मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी गई थी. सीबीआई ने 3 नवंबर से जांच शुरू कर दी है. दोषी पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है. आरोपियों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है जो न्यायिक हिरासत में हैं. मृतक कारोबारी की पत्नी को सरकारी नौकरी भी दे दी गई है.

वहीं, मृतक कारोबारी की पत्नी की ओर से कहा गया कि ट्रायल को यूपी से बाहर दिल्ली या कहीं और ट्रांसफर किया जाए. SG तुषार मेहता ने कहा कि उनकी राय ये है कि ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जा सकता है. इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की CBI जांच की याचिका पर यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था कि मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है? मनीष गुप्ता की पत्नी की ओर से कहा गया कि एक प्रेस नोट दिया गया था कि मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी कुछ हुआ नहीं है. यहां तक कि यूपी पुलिस की SIT ने क्राइम सीन का रिक्रिएशन भी नहीं किया है.

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कारोबारी मनीष गुप्ता की पत्नी की ओर से दाखिल याचिका में मामले की जांच CBI को ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि उन्हें यूपी पुलिस की SIT जांच पर भरोसा नहीं है. यूपी पुलिस ने इस मामले में शुरू से ही आरोपियों को बचाने की कोशिश की है. पहले इसे दुर्घटना बताया गया इसके 48 घंटे बाद FIR दर्ज की गई. लिहाजा मामले की जांच CBI को सौंपी जाए और ट्रायल को दिल्ली की CBI कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.

कैसे हुई थी मनीष की हत्या?

कानपुर के  कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर की सुबह आठ बजे गोरखपुर अपने दो दोस्तों हरवीर व प्रदीप के साथ घूमने गए थे. तीनों युवक तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे थे.  27 सितंबर की रात ही रामगढ़ताल थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी रहे अक्षय मिश्रा सहित छह पुलिस वाले आधी रात के बाद होटल में चेकिंग को पहुंच गए थे.

मनीष गुप्ता ने कमरे की तलाशी लेने पर आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया था. पुलिस वालों ने मनीष की पिटाई कर दी थी जिससे उनकी मौत हो गई थी. शुरुआत में पुलिस की ओर से मौत की वजह नशे में गिरना बताया गया था. बाद में विवाद बढ़ने पर एफआईआर दर्ज की गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर पर कई जगह चोट के निशान मिले थे. मनीष की पत्नी मीनाक्षी की शिकायत पर पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था.

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