केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर अस्पताल में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों के लिए अपर्याप्त व्यवस्थाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शीर्ष अदालत के आदेश के बाद यहां सीआईएसएफ की तैनाती की गई थी और अब केंद्र ने इस आदेश का पालन करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दायर किया है.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य के खिलाफ कंटेम्प्ट केस फाइल किया है. आरजी कर अस्पताल में सीआईएसएफ के 92 कर्मी तैनात हैं, जिनमें से 54 महिला कर्मी हैं. केंद्र का आरोप है कि अस्पताल की सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को आवास की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ममता सरकार पर बड़ा आरोप
केंद्र का आरोप है कि महिला सुरक्षाकर्मियों को उचित आवास नहीं मिल पा रहा है सुरक्षा उपकरण रखने के लिए सही जगह नहीं मिल पा रही है. केंद्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीआईएसएफ को सुविधाएं न देना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है.
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ममता सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि वर्तमान जैसी तनावपूर्ण स्थिति में राज्य सरकार से इस तरह का असहयोग अपेक्षित नहीं है. डॉक्टरों और विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पश्चिम बंगाल राज्य के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
सरकार के मुताबिक, 'बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य की निष्क्रियता एक प्रणालीगत अस्वस्थता का लक्षण है, जिसमें कोर्ट के आदेशों के तहत काम करने वाली केंद्रीय एजेंसियों के साथ इस तरह का असहयोग करना सामान्य बात नहीं है. यह माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन है.'
जानबूझकर बाधा पैदा कर रही है ममता सरकार- केंद्र
सरकार ने कहा है कि माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन करना राज्य सरकार का यह कदम न केवल अवमाननापूर्ण है, बल्कि यह उन सभी संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के भी खिलाफ है, जिनका राज्य को पालन करना चाहिए. केंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर बाधाएं उत्पन्न कर रही है.
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केंद्र का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर समस्या का समाधान खोजने की दिशा में प्रयास नहीं कर रही है और इसके बजाय, अपने ही निवासियों के साथ अन्याय कर रही है.