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लाटू देवता मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुले, पुजारियों ने आंख में पट्टी बांधकर की पूजा

चमोली में स्थित लाटूधाम वाण मंदिर के कपाट मंगलवार से 23 अप्रैल को विधि विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. कपाट खुलने के मौके पर मंदिर परिसर लाटू देवता के जयकारों से गूंज उठा. वांण गांव का लाटू मंदिर भक्तों के लिए बड़ा रहस्य बना हुआ है. इस मंदिर के अंदर क्या है अब तक कोई भी नहीं जान पाया है.

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लाटू मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुले
लाटू मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुले

चमोली के वाण गांव में स्थित लाटूधाम वाण मंदिर के कपाट मंगलवार से 23 अप्रैल को विधि विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. लाटू मंदिर के पुजारी खीम सिंह व मंदिर समिति के संयोजक कृष्णा बिष्ट ने बताया कि 23 अप्रैल को मंदिर में होम यज्ञ व पूजा अर्चना के बाद दोपहर एक बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए हैं. अब अगले 6 महीनों तक श्रद्धालु  पूजा अर्चना कर सकेंगे. 
 
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने ग्रामीणों के साथ पारम्परिक ढोल और दमाऊ की थाप पर जागरों के साथ झोड़ा, झुमेला लोकनृत्य कर खुशी व्यक्त की. कपाट खुलने के मौके पर मंदिर परिसर लाटू देवता के जयकारों से गूंज उठा. वांण गांव का लाटू मंदिर भक्तों के लिए बड़ा रहस्य बना हुआ है.

लाटू देवता मंदिर के कपाट खुले

इस मंदिर के अंदर क्या है अब तक कोई भी नहीं जान पाया है. यह पहला ऐसा मंदिर है, जिसके अंदर कोई भी भक्त नहीं जाता. लाटू को मां नंदा (देवी पार्वती) का धर्म भाई माना जाता है. पुजारी भी आंख पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश करते हैं. इस बार भी प्रदेश की खुशहाली सुख समृद्धि की कामना की गई. लाटू मंदिर के गर्भगृह में गुप्त पूजा के बाद मंदिर परिसर में नंदा भगवती, काली, गोलू देवता, लाटू देवता, हनुमान, दानू देवता, भैरव आदि देवताओं की स्तुति की गई.

पुजारी आंख में पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश करते हैं

मंदिर में किसी भक्त को अंदर जाने की इजाजत नहीं होती है. भक्त मंदिर से 50 मीटर की दूसरी पूजा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में नागराज और उनकी अद्भुत मणि है. वाण गांव में प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी पैदल यात्रा नंदा देवी राजजात का 12वां पड़ाव है. 

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