उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक के साथ प्रदेश के 2 और बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को मंजूरी दे दी, जिसमें प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है तो वही औद्योगिक नगरी कानपुर शामिल है, लेकिन क्या आप जानते हैं कानपुर में पहले भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो चुकी है और वह भी 43 साल पहले.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 13 फरवरी 2020 को राजधानी लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को ट्रायल के तौर पर लागू किया. कहा गया था कि ट्रायल सफल हुआ तो प्रदेश के अन्य शहरों में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जाएगी. सरकार ने लखनऊ और नोएडा में कानून व्यवस्था और अपराध की स्थिति को देखने के बाद कानपुर और वाराणसी में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली को हरी झंडी दे दी है.
कानपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली दूसरी बार लागू हुई है. इससे पहले 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कानपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की थी. वासुदेव पंजवानी कानपुर के पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए गए थे, नए कमिश्नर को चेन्नई के कमिश्नरी सिस्टम की तर्ज पर यूपी में भी कमिश्नर प्रणाली की रूपरेखा तैयार करने को कहा.
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में जिला कलेक्टर के कम हुए अधिकारों को देखते हुए आईएएस लॉबी ने इस व्यवस्था को रद्द करा दिया. फिर साल 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश की लेकिन प्रस्ताव समय से तैयार नहीं हो सका और मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
कुछ ऐसा ही सपा सरकार में भी हुआ, तत्कालीन डीजीपी रिजवान अहमद ने अखिलेश यादव को प्रस्ताव सौंपा लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया. लगातार तीन बार की कोशिशों के बाद 2020 में लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत लाया गया.
योगी सरकार ने भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए कवायद कम नहीं हुई. सत्ता संभालते ही सीएम योगी ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए कोशिश शुरू कर दी गई थी. तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया था और डीजीपी रहे ओपी सिंह ने जनवरी 2020 में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू करवा दिया.
पुलिस कमिश्नर प्रणाली के 4 शहरों में विस्तार पर पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि शहरी पुलिसिंग की जटिलताओं के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली ही एक रास्ता है, जरूरत है. लखनऊ और नोएडा में अच्छे परिणाम देखने के बाद ही इन दो शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जा रही है, लेकिन देश के अन्य शहरों मुंबई, कोलकाता, दिल्ली की तरह यूपी में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली में ज्यादा अधिकार देने की जरूरत है.
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि पुलिस को ज्यादा सुधार करने की आवश्यकता है, लेकिन जितना हो रहा है वही ठीक है, समय के साथ सभी चीजें ठीक हो जाती हैं, पुलिस कमिश्नरी वाले जिलों में ज्यादा आईपीएस अफसरों की पोस्टिंग पर सुलखान सिंह कहते हैं कि आईपीएस अफसरों को फील्ड में ही ज्यादा पोस्ट किया जाना चाहिए, साइड पोस्टिंग में कई विभाग तो ऐसे हैं जहां पर एसपी तक का काम नहीं और एडीजी तैनात हैं.