scorecardresearch
 

मथुरा: जवाहर बाग कांड के छह साल पूरे, अब तक नहीं लगी शहीद एसपी सिटी की मूर्ति, पत्नी ने लगाया ये आरोप

मथुरा के जवाहर बाग हिंसा के छह साल पूरे हो गए हैं. देश में चमड़े की मुद्रा और एक पैसा लीटर पेट्रोल की मांग करने वाले रामवृक्ष यादव समेत 27 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव भी शहीद हो गए थे.

Advertisement
X
शहीद मुकुल द्विवेदी को श्रद्धांजलि देतीं उनकी पत्नी अर्चना द्विवेदी.
शहीद मुकुल द्विवेदी को श्रद्धांजलि देतीं उनकी पत्नी अर्चना द्विवेदी.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मथुरा के जवाहर बाग हिंसा मामले के 6 साल पूरे
  • कब्जाधारियों ने बाग को खाली करने से किया था इनकार

दो जून 2016 को मथुरा में हुए जवाहर बाग कांड में शहीद हुए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव की आज छठी पुण्यतिथि है. इस मौके पर शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने जवाहर बाग में पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने कहा कि उनके पति की शहादत का सम्मान आज तक नहीं मिला है. उन्होंने प्रदेश सरकार पर शहीदों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे शहीद पति की आज तक प्रतिमा नहीं लगाई गई है और न ही सीबीआई जांच आगे बढ़ी है.

अर्चना द्विवेदी ने कहा कि मुझे तो नहीं लगता कि सीबीआई जांच भी आगे बढ़ पाई है. मैं खुद सीबीआई के लोगों से दो बार मिली हूं लेकिन उन्होंने आज तक कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं दिया, बस यह कह कर मामला टाल देते हैं कि अभी जांच चल रही है. उनका कहना है कि आज तक इस मामले के आरोपियों को सजा नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस सरकार से न्याय की उम्मीद कम है. 

2018 में सीएम योगी से हुई थी मुलाकात, न्याय का मिला था आश्वासन

अर्चना द्विवेदी ने बताया कि 2018 में उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई थी. सीएम की ओर से न्याय का आश्वासन मिला था. वहीं शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मथुरा के मांट सीट के बीजेपी विधायक राजेश चौधरी का कहना है कि 2 जून 2016 को मथुरा में यह वीभत्स कांड हुआ था जिसमें  एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष यादव शहीद हुए थे. उनका कहना है कि अभी तक उनकी मूर्ति क्यों नहीं लगी, इस बारे में निश्चित रूप से वह संज्ञान लेकर शासन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर बात करेंगे. उन्होंने कहा कि शहीद को उसकी शहादत का पूरा सम्मान मिलना चाहिए. उन्हें इस बात का खेद है कि इतने लंबे समय के बाद भी शहीद की प्रतिमा नहीं लगायी गयी.

Advertisement

क्या था पूरा मामला

छह साल पहले यानी 2 जून 2016 को मथुरा का जवाहर बाग सुर्खियों में था. दरअसल, मध्य प्रदेश के सागर जिले से 1000 लोगों के साथ स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन का अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने प्रशासन से जवाहर बाग में 2 दिन ठहरने की अनुमति ली थी. अनुमति के बाद रामवृक्ष यादव अपने समर्थकों के साथ यहां से वापस नहीं गया. प्रशासन ने कई बार उसे जवाहर बाग से हटाने का प्रयास किया लेकिन हर बार उसका हमेशा पुलिस से टकराव होता रहा. 

मथुरा के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी ने कई बार जवाहर बाग को खाली कराने का प्रयास किया. इसके लिए उन लोगों ने रामवृक्ष यादव से कई राउंड बात की लेकिन वह उनके सामने शर्त रखता था कि देश में चमड़े की मुद्रा चलनी चाहिए, पेट्रोल एक पैसा लीटर होना चाहिए. जब कई बार वार्ता विफल हुई तो मामला कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने भी जवाहर बाग को खाली कराने के आदेश दिए. 

दो घंटे बातचीत के बाद कब्जाधारियों ने किया था हमला

2 जून 2016 को तत्कालीन जिला अधिकारी राजेश कुमार व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने शाम 4 बजे तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स के साथ जवाहर बाग को खाली कराने के लिए कूच किया. 2 घंटे तक पुलिस और रामवृक्ष के लोग में बात होती रही. शाम 6 बजे कब्जाधारियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.

Advertisement

इसी दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी घायल हुए जिनके सिर में गंभीर चोट आई थी. वहीं तत्कालीन एसओ रिफाइनरी संतोष कुमार यादव भी वहीं घायल हुए थे. दोनों को मथुरा की नियति हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. वहीं पुलिस की जवाबी कार्रवाई में जवाहर बाग में मौजूद कब्जाधारियों में 27 लोग मारे गए थे.

जवाहर बाग में रामवृक्ष यादव समेत 27 कब्जाधारी मारे गए थे. -फाइल फोटो

घटना के दूसरे दिन सुबह पुलिस ने पुष्टि की कि रामवृक्ष यादव भी इन 27 लोगों में मारा गया है. मामले को लेकर राजनीतिक लोगों ने उस वक्त सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी पर भी आरोप लगाए कि इस सबके पीछे समाजवादी पार्टी के लोगों का हाथ था. फिलहाल, मामले में अभी भी सीबीआई जांच चल रही है.

ये भी पढ़ें

 

Advertisement
Advertisement