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अखिलेश को आया चाचा शिवपाल का फोन, कहा- आप अध्यक्ष हैं आपको बधाई

समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक मंगलवार शाम से लेकर बुधवार दोपहर से पहले तक चाचा-भतीजे में सुलह हो जाएगी. इसी मद्देनजर नेताजी के घर पर यादव परिवार के लोग एकजुट होंगे और अखिलेश यादव व शिवपाल यादव के बीच सुलह के रास्ते तलाशे जाएंगे.

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अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की फाइल फोटो(क्रेडिट- PTI)
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की फाइल फोटो(क्रेडिट- PTI)

मुलायम कुनबे में सुलह की कोशिश तेज हो गई है. पांच अक्टूबर को आगरा में होने वाली समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले चाचा-भतीजे के बीच सुलह कराने में मुलायम सिंह अहम भूमिका निभा रहे हैं.

शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को फोन करके अध्यक्ष चुने जाने की अग्रिम बधाई. चाचा भतीजे के बीच सुलह के आसार बने है. शिवपाल ने मुलायम के कहने पर  पहल  की है और सारे गिले शिकवे भुलाकर अखिलेश से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है.

सूत्रों की माने तो मंगलवार को शाम मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव  के बीच इस मुद्दे पर बात हुई. इसके बाद शिवपाल ने अपनी करीबियों से भी इस मुद्दे पर बात की. नेताजी के साथ हुई सारी बातों को रखा. 

सपा सूत्रों की माने तो पिछले लंबे समय से अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच बातचीत बंद थी, बातचीत के विराम को शिवपाल यादव ने तोड़ दिया है शिवपाल यादव ने एक नई पहल की है इससे पहले अखिलेश यादव पिछले दिनों मुलायम सिंह यादव से मिले थे और घंटो चले पिता पुत्र के इस मुलाकात में अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने का न्योता भी दिया था तभी से अंदाजा लगाया जा रहा था अलग-थलग पड़े शिवपाल यादव कोई नया विकल्प की तलाश करेंगे या फिर अखिलेश के साथ समझोता कर लेंगे.

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शिवपाल ने पहल करके समाजवादी पार्टी में चल रही अंतर्कलह पर अब विराम भले ही अब तक नहीं लगा हो लेकिन चाचा भतीजे के बीच रिश्तों के बीच जमीं बर्फ थोड़ी पिघलती जरूर नजर आ रही है.

बता दें कि चाचा-भतीजे के बीच इस साल जनवरी में विवाद इतना बढ़ गया था, कि अखिलेश यादव ने पार्टी में बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था और अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे. अखिलेश को जहां रामगोपाल यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ मिला तो शिवपाल को मुलायम का.

यादव कुनबे में विवावों की वजह से यूपी में अखिलेश को हार का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने झुकने का नाम नहीं लिया. जबकि शिवपाल लगातार कहते रहे कि पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को दी जाए. लेकिन अखिलेश ने एक नहीं मानी. इसके बाद शिवपाल ने नई पार्टी बनाने की बात कहना शुरू किया.

पिछले दिनों नई पार्टी का ऐलान भी होने वाला था, लेकिन मुलायम ने ऐन वक्त पर शिवपाल के अरमानों पर पानी फेर दिया और नई पार्टी बनाने से साफ मना कर दिया. इसके बाद शिवपाल पार्टी में पूरी तरह अलग थलग पड़ गए. 

चाचा भतीजे के बीच सुलह के आसार

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आप बता दें कि समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक बुधवार दोपहर से पहले तक चाचा-भतीजे में सुलह हो जाएगी. इसी मद्देनजर नेताजी के घर पर यादव परिवार के लोग एकजुट होंगे और अखिलेश यादव व शिवपाल यादव के बीच सुलह के रास्ते तलाशे जाएंगे.

सूत्रों का कहना है कि सुलह 95 फीसदी हो चुका है. बस आज देर शाम से कल तक सिर्फ मुहर लगनी है. मालूम हो कि शिवपाल अब इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके जिन तीन करीबियों को अखिलेश ने पार्टी से निकाला है, उन्हें दोबारा से पार्टी में वापस लाया जाए. इसके अलावा शिवपाल खुद के लिए अब राष्ट्रीय महासचिव का पद चाहते हैं, जिस पर नेताजी भी सहमत हैं. हालांकि शिवपाल यादव के राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा रोड़ा रामगोपाल यादव हैं.

रामगोपाल को लगता है कि शिवपाल के राष्ट्रीय राजनीति सक्रिय होने से उनका राजनीतिक कद कमजोर होगा. दरअसल, परिवार में सुलह के संकेत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने भी दिया है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव हमारे नेता हैं और शिवपाल यादव सारथी. पांच तारीख के अधिवेशन में सभी शामिल होंगे.

शिवपाल के करीबी माने जाने वाले बलिया के नारद राय अब फिर से सपा में वापसी कर सकते हैं. वह विधानसभा चुनाव के दौरान सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था.

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