scorecardresearch
 

'बहुत डर था, पता नहीं कब कहां से गोली लग जाएगी', काबुल से लौटे यूपी के सूरज ने बताई दास्तान

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से काबुल में फंसे यूपी के चंदौली के रहने वाले सूरज चौहान भारत लौट आए हैं. यहां आकर उन्होंने काबुल के हालातों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि वहां सड़क पर निकलने पर ऐसा लगता था कि जान हथेली पर लेकर निकल रहे हैं.

Advertisement
X
सूरज काबुल में वेल्डिंग का काम करते थे.
सूरज काबुल में वेल्डिंग का काम करते थे.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इसी साल जनवरी में काबुल गए थे सूरज
  • काबुल में वेल्डिंग का काम करते थे सूरज

अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद ऐसे सैकड़ों भारतीय थे, जो काबुल और अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों में फंसे हुए थे. इन्हीं लोगों में उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले सूरज कुमार चौहान भी शामिल थे, जो काबुल में एक स्टील कंपनी में फंसे हुए थे और वतन वापसी की गुहार लगा रहे थे. भारत सरकार के प्रयास के बाद चंदौली के रहने वाले सूरज कुमार की भी वतन वापसी हो गई है और अपने घर पहुंच कर वो काफी खुश हैं. साथ ही सूरज और उनके परिजनों ने आजतक का आभार भी जताया है.

दरअसल, चंदौली के अमोघपुर गांव के रहने वाल सूरज पहले वाराणसी में ही वेल्डर का काम करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण उनकी नौकरी चली गई. जिसके बाद इसी साल जनवरी में रोजी-रोटी की जुगाड़ में काबुल चले गए थे. सूरज काबुल की एक स्टील फैक्ट्री में वेल्डिंग का काम करते थे. लेकिन तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद वहां जब हालात खराब होने लगे तो सूरज ने वतन वापसी का फैसला कर लिया. 

इसी बीच खराब हालात की वजह से सूरज के कंपनी का मालिक वहां से फरार हो गया, जिस वजह से सूरज समेत कई लोग कंपनी में फंस गए. सूरज और उनके साथियों ने आजतक से संपर्क किया और आजतक ने सूरज और उनके साथियों के काबुल में फंसे होने की खबर को प्रमुखता से दिखाया. जिसके बाद सरकार ने सूरज और उनके साथियों की घर वापसी का इंतजाम किया. घर वापस आने के बाद सूरज ने आजतक से काबुल के हालात और अपने घर वापसी के बारे में अपने अनुभव साझा किए.

Advertisement
पिता का कहना है कि वो अपने बेटे को अब दोबारा अफगानिस्तान नहीं जाने देंगे.

ये भी पढ़ें-- घरों में छापेमारी करते हैं तालिबानी, छीन लेते हैं पैसे, जेवर...काबुल से लौटे लोगों की आपबीती

कब क्या हो जाएगा, मालूम नहीं थाः सूरज

वतन वापसी के बाद सूरज के चेहरे पर जहां चमक दिखाई दे रही थी तो वहीं उनकी आंखों में अफगानिस्तान के हालात की दहशत भी साफ-साफ झलक रही थी. सूरज ने बताया कि वहां के हालात काफी बदतर थे. सड़क पर निकलने पर ऐसा लगता था, जैसे जान हथेली पर लेकर निकल रहे हैं. कब क्या हो जाएगा किसी को मालूम नहीं था. 

उन्होंने बताया कि कंपनी के अंदर तो सब लोग सेफ़ थे लेकिन बाहर कोई सेफ्टी नहीं थी. हालात खराब हो रहे थे और ऐसा लग रहा था कि कंपनी के अंदर भी कुछ ना हो जाए. इसकी वजह से हम लोग डरे सहमे थे. बहुत डर लग रहा था ऐसा लग रहा था कि कब कहां से गोली आकर लग जाएगी. उन्होंने आजतक का भी धन्यवाद दिया.

सूरज अब अफगानिस्तान नहीं जाएगाः पिता

सूरज के बुजुर्ग पिता बुधराम चौहान ने बताया कि सूरज आज 3:00 बजे सुबह घर आ गया था. दोबारा विदेश भेजने के सवाल पर बुधराम चौहान ने साफ-साफ कहा कि अब हम सूरज को दोबारा अफगानिस्तान नहीं जाने देंगे. वहीं, सूरज का भी कहना है कि अब वो अपने देश में ही नौकरी ढूंढ लेंगे और अफगानिस्तान तो बिल्कुल नहीं लौटेंगे.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement