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1000 करोड़ जमा करने पर ही मिलेगी जेपी ग्रुप को राहत: सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान जेपी ग्रुप ने कोर्ट में कहा कि वो फिलहाल 400 करोड़ रुपये जमा करने की हालत में है. उन्होंने कहा कि वो अगले दो महीनों में 600 करोड़ रुपये जमा करवा देगा.

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सुप्रीम कोर्ट
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वित्तीय मुश्किलों से घिरे जयप्रकाश (जेपी) एसोसिएट्स की कठिनाइयां और बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप के डायरेक्टर बोर्ड को साफ कहा है कि वो कम से कम एक हजार करोड़ रुपये जमा करवाने के बाद ही अपनी किसी परिसम्पत्ति (Asset) को बेचने या उसका सौदा करने के बारे में सोचे.

सुनवाई के दौरान जेपी ग्रुप ने कोर्ट में कहा कि वो फिलहाल 400 करोड़ रुपये जमा करने की हालत में है. उसने कहा कि वो अगले दो महीनों में 600 करोड़ रुपये जमा करवा देगा. इसके बाद 300 करोड़ दिसंबर में और बाकी 300 करोड़ रुपये जनवरी में जमा करवा दिए जाएंगे, लेकिन कोर्ट ने इस बात से इंकार कर दिया. जेपी ग्रुप को जवाब देते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें पहले कम से कम एक हजार करोड़ रुपये एकमुश्त जमा कराने होंगे.

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बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने जेपी ग्रुप को 2000 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था. जेपी ग्रुप की दलील थी कि उसे यमुना एक्सप्रेस-वे के आसपास की संपत्तियां बेचने या अपनी ही किसी कंपनी को लीज ट्रांसफर कर रकम जुटाने की अनुमति दी जाए. लेकिन कोर्ट ने पहले 2000 करोड़ और अब 1000 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने की शर्त बरकरार रखी. कोर्ट की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी.

दरअसल जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया घोषित किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को यह रकम जमा कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद जेपी इंफ्राटेक ने कोर्ट से राहत देने की गुहार लगाई थी.

कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी

बता दें कि मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले टिप्पणी करते हुए कहा था कि, हमे कंपनी के हितों की चिंता नहीं. कंपनी बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें घर खरीदारों की फिक्र है. इन खरीदारों में से ज्यादातर निम्न और मध्यम वर्ग के हैं. फ्लैट खरीदारों का संरक्षण किए जाने की जरूरत है. यह हमारा कर्तव्य है और उन्हें या तो फ्लैट दिया जाना चाहिए या उन्हें उनका पैसा वापस मिलना चाहिए.

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