उत्तर से पूरब तक सर्दी हवाओं और आसमान से बरसती बर्फ ने करोड़ों लोगों की जान आफत में डाल दी है. सामान्य से नीचे चल रहे पारे के साथ ऊपर से बरसती बर्फ और जमीन पर जमते पानी ने आधे हिंदुस्तान की कंपकंपी छुड़ा दी है, लेकिन सोचिए तब क्या हो, जब ऐसी सर्दी में बारिश, ओले और बर्फ एक साथ टूट पड़ें. आसमान से बारिश की बूंदों के साथ बर्फ के फाहे और ओले कुछ इस कदर घुलमिलकर बरस रहे हैं कि दोनों के बीच फर्क कर पाना मुश्किल है. पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में 10 सल बाद बर्फबारी का नजारा देखने को मिला है.
दार्जिलिंग में मौसम की अजीबोगरीब करवट देखकर लोग हैरान भी हुए और खुशी से सराबोर भी. हालांकि सड़क पर बारिश के बीच धड़ाधड़ गिरते ओलों का मंजर सिहरन पैदा करने वाला था, बर्फ और ओलों की तड़तड़ाहट से सहमकर सड़कों पर मौजूद गाड़ियां जहां की तहां थम गईं. फिर भी बच्चे और बड़े मौसम के इस नायाब मिजाज का मजा लेने से खुद को रोक नहीं पाए और बाहर निकल पड़े.
10 साल बाद हुई बर्फबारी
दार्जिलिंग में इस बार 10 साल बाद बर्फ बरस रही है. इससे पहले यहां के लोगों ने फरवरी 2008 में आखिरी बार बर्फबारी देखी थी. इस बार पहला दौर करीब हफ्तेभर पहले आया था और दूसरा दौर शुक्रवार से शुरू हुआ. शुक्रवार को जब बर्फ बरसनी शुरू हुई तो चंद पलों में ही सड़कों पर सफेदी की परत बिछ गई. बारिश और बर्फबारी के दोहरे असर से दार्जिलिंग का तापमान शून्य से 4 डिग्री तक नीचे पहुंच गया है.

दार्जिलिंग के अलावा सिक्किम के कई इलाकों में भी शुक्रवार को अचानक बर्फबारी शुरू हो गई. बर्फ इतनी तेजी से गिरी कि अंधेरा ढलने से पहले ही गंगटोक और आसपास के इलाके सर्द सफेदी में डूब गए. दिन के वक्त तो यहां मौजूद पर्यटकों के लिए बर्फबारी सौगात लेकर आई, लेकिन शाम ढलते ही आफत शुरू हो गई. तेज बर्फबारी से गंगटोक पहुंचने वाले सभी रास्ते बंद हो गए. नाथूला, चांगू और गणेशटोक में बर्फबारी से हालात बिगड़ गए. करीब 400 पर्यटक बर्फबारी के चलते फंस गए. पर्यटकों की मदद के लिए सेना की टुकड़ी बुलानी पड़ी. रातभर रास्तों से बर्फ हटाने का काम जारी रहा. सेना में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए प्रभावित इलाकों में कैंप लगाए. सुबह पर्यटकों को वापस गंगटोक लाने का काम शुरू हुआ.
Indian Army has rescued around 2500 tourists who were stuck in Sikkim near Nathu La, close to the India-China border due to heavy snowfall pic.twitter.com/uc3NaW4n7j
— ANI (@ANI) December 29, 2018
उत्तराखंड में हिम युग
उत्तराखंड के औली में ताजा बर्फबारी के बाद हिमयुग का मंजर दिखने लगा है. सड़कों का हाल ऐसा है मानो बर्फ उड़ेल दी गई हो. यहां से गुजरने वाली सेना की गाड़ियों के टायर में चेन बांध दी गई है, तब जाकर वो रास्ता पार कर पा रही हैं वर्ना बर्फ के चलते इतनी फिसलन है कि गाड़ियों को फिसलकर खाई में पहुंचने में एक पल भी न लगे. सड़कों से लेकर खेतों और मकानों तक एक भी इंच ऐसा नहीं बचा जो बर्फबारी की मार से अछूता हो. मकानों की छतों पर बर्फ की इतनी मोटी परत है कि कई दिनों तक हटना मुश्किल है. पारा सामान्य से 3 डिग्री नीचे पहुंचने के बाद झरनों, नदियों और नलों का पानी भी जम चुका है. स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में खासा मशक्कत आन पड़ी है.
बर्फबारी के असर से औली में दिन का अधिकतम 3 से चार डिग्री तक ही पहुंच पाता है. महज 4-5 घंटों के बाद पारा फिर से शून्य के नीचे चला जाता है. सर्दी की सिहरन ऐसी है कि लोग दिन रात अलाव के सहारे बैठे रहते हैं. हालांकि ऐसे कड़ाके की ठंड में पर्यटन भी चरम पर है. बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिए देशभर के सैलानी औली पहुंच रहे हैं. इनके लिए पर्यटन विभाग की ओर से कई तरह की बर्फीले खेलों का भी इंतजाम किया गया है. मौसम विभाग ने 1 जनवरी से पहाड़ों पर बर्फबारी के नए दौर की संभावना जताई है. जाहिर है नए साल का जश्न कड़तड़ाती ठंड और बर्फ के आगोश में ही बीतेगा.
सहमा श्रीनगर, कांपता कश्मीर
कश्मीर घाटी ने ठंड की ऐसी मार पिछले करीब 30 सालों में नहीं देखी, वह भी बिना बर्फबारी के. पिछली बर्फबारी हुए एक हफ्ते से ज्यादा वक्त हो गया है लेकिन पूरी घाटी जहां तहां बर्फ से पटी है. वजह है शून्य से कई डिग्री नीचे जा चुका पारा, जिसके चलते जमीन का पानी जमकर बर्फ बन रहा है. श्रीनगर में शुक्रवार की सुबह आफत की दूसरी बड़ी किश्त आई. पहले से रिकॉर्ड बना रही सर्दी ने एक छलांग और लगाई. एक दिन पहले न्यूनतम तापमान माइनस 7.6 डिग्री दर्ज किया गया था. लेकिन शुक्रवार सुबह थोड़ा और लुढ़ककर पारा सामान्य से 7.7 डिग्री नीचे पहुंच गया. इससे पहले 1990 में सबसे कम तापमान माइनस 8.8 डिग्री दर्ज किया गया था.

इतनी सर्द रात झेलने के बाद डल झील की शक्ल बर्फ के मैदान जैसी बन गई है. किनारों पर तो बर्फ पहले से ही जमी थी. बीच के पानी में भी बर्फ सिल्लियां तैरती दिख रही हैं. झील में नावें चल तो रही हैं, लेकिन बर्फ से जूझते हुए, बर्फ को तोड़ते हुए जो नावें किनारे पर खड़ी थीं वो वहीं की वहीं जम गईं. बर्फ ने नावों को चारों तरफ से जकड़ लिया है. नाव निकालने के लिए एक इंच मोटी बर्फ की तोड़नी पड़ रही है. अनंतनाग के कोकरनाग में भी पारा माइनस 8 डिग्री के करीब है. चंद रोज पहले तेज धार से बहने वाला दरिया इतनी सर्दी में सहम कर जम गया. नीचे से ऊपर तक दरिया का पूरा पानी बर्फ बन गया है. गांव के लोग इस पर चलहकदमी कर रहे हैं.
लद्दाख के पहाड़ों के बीच से होकर बहने वाली इस नदी का हाल भी बुरा है. पानी की धार के साथ बर्फ की भारी भरकम सिल्लियां भी बह रही हैं. दरअसल नदी का पानी कई जगहों पर जम चुका है. धार के थपेड़ों के साथ ये बर्फ टूटकर सिल्लियों की शक्ल में बहने लगती है. ऐसे सर्द माहौल में कश्मीर पर बर्फ के बादल मंडरा रहे हैं. मौसम विभाग का कहना है कि चंद घंटों बाद ही कश्मीर पर आसमान से आफत बरसनी शुरु हो जाएगी.
कहीं जम न जाए दिल्ली
दिल्ली में नए साल के जश्न पर मौसम के तेवर भारी पड़ सकते हैं. कड़ाके की सर्दी झेल रहे दिल्ली वालों के सामने अभी भी बेहद सख्त दिन बाकी हैं. कई दिनों से दिल्ली का न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री के बीच चल रहा है लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आज से पारा और नीचे जाएगा, संभावना सच साबित हुई तो डर है कि दिल्ली जम ही न जाए.