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सिंगापुर में बढ़ रही है हिन्दी की लोकप्रियता

सिंगापुर के शिक्षा मंत्री एन ई हेन ने कहा है कि देश में भाषा के रूप मे हिन्दी सीखने की ललक तेजी से बढ़ रही है. हिन्दी सीखने वालों में से कुछ का मानना है कि इस भाषा को समझकर वे बॉलीवुड संगीत का अधिक आनंद ले पायेंगे, जबकि कुछ भारत के आर्थिक शक्ति के रूप में उदय के कारण इसे महत्वपूर्ण मानते हैं.

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सिंगापुर के शिक्षा मंत्री एन ई हेन ने कहा है कि देश में भाषा के रूप मे हिन्दी सीखने की ललक तेजी से बढ़ रही है. हिन्दी सीखने वालों में से कुछ का मानना है कि इस भाषा को समझकर वे बॉलीवुड संगीत का अधिक आनंद ले पायेंगे, जबकि कुछ भारत के आर्थिक शक्ति के रूप में उदय के कारण इसे महत्वपूर्ण मानते हैं.

हेन ने हिन्दी केन्द्र दिवस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह निस्संदेह बॉलीवुड की बढ़ती लोकप्रियता का एक प्रमाण है. कुछ के लिए तो यह लोकप्रिय गाने (बॉलीवुड फिल्मों के) समझने का जरिया है. इसके अलावा इसकी सांस्कृतिक भूमिका है. बहरहाल, कई लोग मानते हैं कि हिन्दी एक आर्थिक संपदा है. खासकर भारत के उदय के कारण.’’ हेन ने गैर हिन्दी भाषी लोगों द्वारा समाज के लिए चलाये जा रहे हिन्दी पाठ्यक्रमों तथा भाषा के प्रति बढ़ती रुचि की सराहना की.

हेन ने आश्वासन दिया कि हिन्दी के साथ साथ बंगाली, गुजराती, पंजाबी और उर्दू को भी तमिल की तरह मातृभाषा की श्रेणी में रखते हुए उन्हें सीखने के लिए प्रेरित किया जायेगा. सिंगापुर सरकार चार भाषाओं-अंग्रेजी, मलय, चीनी (मेंडेरिन) और तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देती है.{mospagebreak}

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उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात की ओर प्रसन्नता से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हिन्दी समाज अपने समानांतर हिन्दी कार्यक्रम के जरिये हमारे प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में हमारे छात्रों को हिन्दी पढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर देने के अपने प्रयासों में दिनोंदिन मजबूत हो रहा है.’’ उन्होंने बताया कि चार और स्कूल इस साल हिन्दी पढ़ाने वाले कार्यक्रम में शामिल हो गये जिससे हिन्दी कक्षाओं वाले स्कूलों की संख्या बढ़कर 53 हो गयी है.

मंत्री ने कहा कि सिंगापुर में सात हिन्दी केन्द्र चलाये जा रहे हैं. इन केन्द्रों में नजदीक रहने वाले बच्चे हिन्दी सीखते हैं. हेन ने कहा, ‘‘सिंगापुर में रहने के कारण हम भाग्यशाली हैं कि हमारा समाज बहु नस्ली एवं बहुसांस्कृतिक है. इसके कारण हमें ऐसे समुदायों का अनूठा लाभ मिला है जिनकी भाषाएं एवं संस्कृति दुनिया के प्रमुख विकास केन्द्रों से जुड़ी हैं.’’

सिंगापुर सरकार बंगाली, गुजराती, हिन्दी, पंजाबी की शिक्षा को सहयोग देती है जिसके लिए डेढ़ लाख सिंगापुर डॉलर की मदद दी जाती है. इन भाषाओं को 1990 के दशक से राष्ट्रीय विद्यालय परीक्षाओं में भी शामिल किया गया है.

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