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माओवादी हमले की प. बंगाल सरकार ने दिए जांच के आदेश

पश्चिम बंगाल में ईएफआर शिविर पर माओवादियों के हमले के दो दिन बाद राज्य सरकार ने बुधवार को घटना की जांच के आदेश दिए और कहा कि अगर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से कोई कमी पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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पश्चिम बंगाल में ईएफआर शिविर पर माओवादियों के हमले के दो दिन बाद राज्य सरकार ने बुधवार को घटना की जांच के आदेश दिए और कहा कि अगर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से कोई कमी पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पश्चिम बंगाल के गृह सचिव अध्रेंदु सेन ने उच्चस्तरीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘घटना की आधिकारिक जांच के आदेश दिए गए हैं.’ घटना की जांच के आदेश उच्चस्तरीय बैठक में माओवादी हमले के मद्देनजर हालात की समीक्षा के बाद दिए गए. उन्होंने कहा, ‘यह खुफिया विफलता का स्पष्ट मामला नहीं है. खुफिया रिपोर्ट थी कि माओवादी इलाके में जमा हो रहे हैं.

हालांकि, ऐसी स्पष्ट सूचना नहीं थी कि वे ईएफआर शिविर पर हमला कर सकते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि अगर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से कोई चूक पाई गई तो क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी तो सेन ने कहा, ‘हमें जांच पूरी करने दें. किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई विशेष आरोप साबित किया जाना है. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.’

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इस तरह के हमले की खुफिया सूचना के बावजूद राज्य सरकार की निष्क्रियता के बारे में पूछे जाने पर सेन ने कहा कि रिपोर्ट राज्य सरकार के हाथ में हमले से महज तीन घंटे पहले अपराह्न दो बजे आई. निचले स्तर तक सूचना पहुंचाने में समय लगा. सेन ने कहा कि ईएफआर शिविर पर मौजूद जवानों ने जवाबी कार्रवाई की थी जिसमें एक माओवादी मारा गया और कुछ अन्य घायल हुए.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन कोई शक नहीं कि थोड़ी चूक हुई है.’ गृह सचिव ने कहा कि कौन जांच करेगा और उसका कार्यक्षेत्र क्या होगा इसपर शीघ्र फैसला किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या माओवादी नेता किशनजी झारखंड भाग गए तो सेन ने कहा कि वह बंगाल में ही हैं और ‘हम उनकी तलाश कर रहे हैं.’ माओवादियों से लड़ने के लिए ईएफआर जवानों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिलने से जुड़े आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है. वे काफी अनुशासित और अच्छी तरह प्रशिक्षित बल हैं.’

उन्होंने कहा कि सरकार जानती है कि सिल्दा ईएफआर शिविर के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है और उसे स्थानांतरित करने की योजना भी बनाई गई थी लेकिन स्थानीय लोगों के जोर देने पर अंतत: ऐसा नहीं हो सका और शिविर वहीं रहा. स्थानीय लोगों ने कहा था कि शिविर को वहां से हटाए जाने पर वे असुरक्षित महसूस करेंगे. सेन ने कहा कि राज्य के माओवाद प्रभावित जिलों में सुरक्षा बलों के शिविरों की सुरक्षा कड़ी करने के लिए और कदम उठाए गए हैं.

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दिवंगत ईएफआर जवानों के शवों को उत्तर बंगाल में उनके घर ले जाया जा रहा है और जिलाधिकारी समेत वरिष्ठ अधिकारी उनकी सिलीगुड़ी में ग्रहण करेंगे. गोरखा और गैर गोरखाओं के बीच मतभेद पैदा करने की कुछ लोगों की ओर से की जा रही कोशिशों को उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि यह सही नहीं है.

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